मोदी का ‘हाजिरी मिशन’ हुआ फ्लॉप

Edited By ,Updated: 02 Feb, 2015 02:00 AM

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सभी केन्द्रीय मंत्रालयों और विभागों में बॉयोमीट्रिक उपस्थिति सिस्टम लगाने को लेकर काफी चर्चा रही और काफी गहमागहमी भी रही लेकिन अब यह जोश ठंडा पड़ गया है। सूत्रों का कहना है कि ...

(दिलीप चेरियन) सभी केन्द्रीय मंत्रालयों और विभागों में बॉयोमीट्रिक उपस्थिति सिस्टम लगाने को लेकर काफी चर्चा रही और काफी गहमागहमी भी रही लेकिन अब यह जोश ठंडा पड़ गया है। सूत्रों का कहना है कि करीब 50 मशीनें 8-9 महीने के बाद खराब हो चुकी हैं या काम नहीं कर रही हैं। ऐसे में मोदी सरकार, जो कि काफी हद तक इन मशीनों के आंकड़ों पर निर्भर थी अब यह तय ही नहीं कर पाएगी कि बाबुओं के आने-जाने का समय क्या रहा। सरकार के लिए यह कोई अच्छी खबर नहीं है जो कि यह उम्मीद कर रही थी कि इससे कार्यालयों में 100 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज होने लगेगी पर सरकार का यह एजैंडा सफल नहीं होता दिख रहा है।

सूत्रों का कहना है कि ऐसे हालात में नैशनल इंफॉर्मेटिक्स सैंटर के महानिदेशक अजय कुमार के लिए परिस्थितियां काफी अधिक खराब हो गई हैं। उन्होंने सभी मंत्रालयों और विभागों को पत्र लिखकर कहा है कि वे जल्द से जल्द खराब मशीनों को बदलें या उन्हें ठीक करवाएं ताकि सही आंकड़े मिल सकें। 

पुरानी आदतें ऐसे ही नहीं जातीं
कुछ आदतें मुश्किल से ही छूटती हैं बल्कि यूं कहा जाए कि छूटती ही नहीं। इन बदले हुए हालात में भी सभी से दूरी बनाकर रखना नौकरशाही का एक आजमाया हुआ नुस्खा है जिसके चलते सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को सरकारी प्रयासों के बारे में आम लोगों को संदेश देने संबंधी विषय पर एक कार्यशाला स्थगित करनी पड़ी। स्पष्ट है कि बाबू इस प्रकार के किसी प्रयास में शामिल ही नहीं होना चाहते हैं जबकि वे यह भी जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के मीडिया प्रसार प्रयासों से खुश नहीं हैं और वह इसे अधिक मजबूत बनाना चाहते हैं।

मगर आई. एंड बी. सचिव बिमल जुल्का ने अभी भी हथियार नहीं डाले हैं। सूत्रों का कहना है कि उन्होंने अब सभी मंत्रालयों और विभागों के सचिवों से संपर्क साधा है ताकि वह नोडल अधिकारियों को नियुक्त कर आई.एंड बी.अधिकारियों से संवाद कायम करें और इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि वे सभी बाबुओं को इस योजना के साथ आगे बढ़ाएंगे।

इन सब प्रयासों के बाद भी, अभी तक 42 नामांकन ही सामने आए हैं पर जुल्का ने स्पष्ट कर दिया है कि सभी विभागों और मंत्रालयों को यह काम पूरा करना होगा। अब लगता है कि आगे का काम सर्वशक्तिमान प्रधानमंत्री कार्यालय देखेगा और इस काम में सहयोग न करने वाले मंत्रालयों और विभागों को वहीं से आदेश आएगा। अब बाबू जितने मर्जी अपने आप को बचाने के लिए दाएं-बाएं बचते रहें लेकिन जुल्का के प्रयास उन्हें घेर कर इस दायरे में ले ही आएंगे!

यह कैसे छूट गए अहमदाबाद में?
उस समय किसी को अधिक हैरानी नहीं हुई जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री कार्यालय को अपने भरोसेमंद सिपहसालारों से भर लिया और इनमें भी अधिकांश गुजरात काडर से ही थे, जिन्हें सीधे अहमदाबाद से बुलावा देकर बुलाया गया। वहीं एक अन्य वरिष्ठ बाबू भी हैं जिनके बारे में कहा जा रहा था कि दिल्ली में मोदी सरकार में शामिल होने वालों में वह सबसे पहले होंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। 1979बैच के अधिकारी कुनियल कैलाशनाथन, जिन्हें के.के. भी कहा जाता है, को लेकर ऐसी ही उम्मीद थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

पर, के.के. के भविष्य को लेकर लगाए जा रहे कयास इतनी जल्दी दम तोडऩे वाले नहीं हैं। साल 2013 में उनके सेवानिवृत्त होने के बाद भी मोदी का भरोसा उनमें बना हुआ है और इसी के चलते  वह अपने मुख्यमंत्री काल में उन्हें चीफ प्रिंसीपल सैक्रेटरी के तौर पर वापस ले आए थे। उन्होंने मोदी के राज्य और राष्ट्रीय चुनाव अभियानों की रणनीति बनाने में अहम भूमिका निभाई है। अब एक बार फिर से कहा जा रहा है कि इन सेवानिवृत्त बाबू को जल्द ही एक महत्वपूर्ण सरकारी पद से नवाजा जा रहा है हालांकि उन्हें दिल्ली लाए जाने की सभी संभावनाओं को अभी भी नकारा जा रहा है।

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