क्या यूं ही भटकता रहेगा देश का भविष्य

Edited By ,Updated: 03 Mar, 2015 07:19 AM

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सरकारों तथा समाजसेवी संस्थाओं द्वारा बच्चों के भविष्य को लेकर बड़े-बड़े दावे तथा कार्यक्रमों का आयोजन करना हमारे समाज में आम बात है लेकिन...

रतिया(बांसल): सरकारों तथा समाजसेवी संस्थाओं द्वारा बच्चों के भविष्य को लेकर बड़े-बड़े दावे तथा कार्यक्रमों का आयोजन करना हमारे समाज में आम बात है लेकिन देश में शायद ही कोई ऐसी जगह हो यहां छोटे-छोटे बच्चे बाल मजदूरी करते तथा कूड़े के ढेरों में अपना भविष्य ढूंढते दिखाई न दें। परंतु सरकारों द्वारा बाल मजदूरी पर अंकुश लगाने के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। क्योंकि बच्चों से बाल मजदूरी करवाना कई माता-पिता की मजबूरी भी हो सकती है।

हमारे देश में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिवस बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है और इस दिन समाजसेवी संस्थाओं द्वारा अनेक तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और राजनेताओं द्वारा बच्चों के भविष्य को लेकर बड़े-बड़े भाषण दिए जाते हैं। लेकिन देश के भविष्य रूपी बच्चों की वास्तविक हालात को शायद ही किसी राजनेता ने देखा होगा।

छोटे बच्चों को प्रत्येक नागरिक देश का भविष्य कहता है लेकिन इसी भविष्य को देश के बड़े-छोटे शहरों में चाय की दुकानों, होटलों तथा रेहडिय़ों पर झूठे बर्तन साफ करके अपना पेट भरने के लिए रोजी-रोटी का जुगाड़ करते हुए देखा जा सकता है। लेकिन देश के भविष्य रूपी बच्चों के जीवन को सुधारने तथा बाल मजदूरी पर पूर्ण अंकुश लगाने के लिए जहमत नहीं उठाई जा रही। 

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