पंजाब के इन प्रसिद्ध स्थलों ने इतिहास के पन्नों में बनाई पहचान (देखें तस्वीरें)

Edited By ,Updated: 20 Apr, 2015 10:42 PM

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अपनी अलग पहचान बनाए हुए पंजाब की देश में अलग पहचान है। यदि आपका मन अपनी फैमिली के साथ पंजाब घूमने का है, तो आप यहां ...

जालंधर. अपनी अलग पहचान बनाए हुए पंजाब की देश में अलग पहचान है। यदि आपका मन अपनी फैमिली के साथ पंजाब घूमने का है, तो आप यहां के प्रसिद्ध स्थानों में जा सकते हैं। आपको बता दें कि पंजाब में  स्वर्ण मंदिर, वाघा बॉर्डर, सहित कई प्रसिद्ध स्थान हैं। विश्व विरासत दिवस पर आप यहां यात्रा कर सकते हैं।

 
(1) गोबिंदगढ़ किला 
गोबिंदगढ़ किला अमृतसर में स्थित है। इसका निर्माण 1805 में महाराजा रणजीत सिंह, ब्रिटिश सेना ने किया था। इसके बाद भारतीय सेना सहित सेनाओं के लिए सैन्य बेस से किया गया है, जो एक ऐतिहासिक सैन्य किला है। यह किले से शुरू होता है और लाहौर की ओर जाता है। किला गोबिंदगढ़ में शेर-ए-पंजाब महाराजा रंजीत सिंह से संबंधित 17 स्मारक हैं। जिसमें गोबिंदगढ़ ड्योढ़ी, गोबिंदगढ़ गैलरी, नलवा ड्योढ़ी, सरकार-ए-खालसा डयोढ़ी, पूर्वी बैरकें, एंगलो-सिख गैलरी, तोशाखाना, हवेली, शस्त्र अजायब घर, खास महल, दरबार हाल, सिख फौज गैलरी, किलर गेट, पंच पानी भवन, मंदिर, क्लोरीनेशन हाउस तथा बुर्ज शामिल है।
 
2. अकबर चबूतरा , गुरदासपुर 
गुरदासपुर में स्थित शहर कलानौर से महज एक मील की दूरी पर यही वह चबूतरा है, जहां मुगल बादशाह जलाल-उद्दीन मोहम्मद अकबर की ताजपोशी हुई थी। जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर तैमूरी वंशावली के मुगल वंश का तीसरा शासक था। अकबर को अकबर-ऐ-आज़म (अर्थात अकबर महान), शहंशाह अकबर, महाबली शहंशाह के नाम से भी जाना जाता है। सम्राट अकबर मुगल साम्राज्य के संस्थापक जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर का पौत्र और नासिरुद्दीन हुमायूं एवं हमीदा बानो का पुत्र था। बादशाहों में अकबर ही एक ऐसा बादशाह था, जिसे हिन्दू मुस्लिम दोनों वर्गों का बराबर प्यार और सम्मान मिला। उसने हिन्दू-मुस्लिम संप्रदायों के बीच की दूरियां कम करने के लिए दीन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की। उसका दरबार सबके लिए हर समय खुला रहता था। 
 
3. मुबारक किला पटियाला
पटियाला में 300 साल पुराने स्मारक सिख वास्तुकला का एक उदाहरण है। किला मुबारक परिसर, सिख पैलेस वास्तुकला का एक आदर्श उदाहरण, शहर के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है। पटियाला का पूरे शहर किला मुबारक परिसर के चारों ओर फैला हुआ है। 1764 में महाराजा आला सिंह द्वारा निर्मित, यह परिसर ओल्ड मोती बाग पैलेस के निर्माण से पहले तक, पटियाला राजपरिवार का निवास था।
 
4. विरासत-ए-खालसा, आनंदपुर साहिब
विरासत-ए-खालसा के निर्माण के लिए 13 साल लगे थे। यह आनंदपुर साहिब में स्थित है। यहां आपको  500 साल पुराने सिख इतिहास का वर्णन दिखने को मिलता है। यहां सभी दस गुरुओं के जीवन की कहानी को दर्शाया गया है। यहां एक संग्रहालय, प्रदर्शनी हॉल व थिएटर भी है।
 
5) हुसैनीवाला बार्डर
शहीदों के अवशेष भगत सिंह, सुखदेव सिंह, राजगुरु का यहां अंतिम संस्कार किया गया था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इन राष्ट्रीय नायकों के योगदान को चिह्नित करने के लिए यहां एक स्मारक है। इस के साथ साथ, रिट्रीट समारोह सिर्फ वाघा बॉर्डर की तरह, दैनिक आधार पर किया जाता है।
 
6) भूत बंगला, जालंधर 
फ्रेंच वास्तुकला का सुंदर मॉडल जालंधर के कांजली रोड में स्थित है। विभाजन से पहले ये आर्मी हैड क्वार्टर था।
 
7) क्राइस्ट चर्च, लुधियाना
इग्लैंड में चर्च के बाद पंजाब का सबसे पुराना चर्च है। इसकी नींव का पत्थर डेनियल विल्सन डीडी, कलकत्ता के बिशप ने 1836 में रखा था। वर्ष 1840 में इसका निर्माण हो गया था। 
 

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