दुल्हन लाने से पहले ध्यान रखें शास्त्रों की यह बात

Edited By ,Updated: 25 Apr, 2015 08:25 AM

article

गृहसूत्रों में विवाह संस्कार के लिए उपयुक्त समय, वर और वधु की योग्यताएं और विवाह संस्कार के विभिन्न चरणों का विस्तृत वर्णन मिलता है। इसके अनुसार वधू कुमारी होनी चाहिए और वर की माता की सपिंड - संबंधिनी और वर के गोत्र की नहीं होनी चाहिए। सपिंड का अर्थ...

गृहसूत्रों में विवाह संस्कार के लिए उपयुक्त समय, वर और वधु की योग्यताएं और विवाह संस्कार के विभिन्न चरणों का विस्तृत वर्णन मिलता है। इसके अनुसार वधू कुमारी होनी चाहिए और वर की माता की सपिंड - संबंधिनी और वर के गोत्र की नहीं होनी चाहिए। सपिंड का अर्थ है माता के पूर्वजों में छः पीढ़ी और उसके निकट संबंधियों की संतान में छः पीढ़ी। विद्वानों का मत है कि गोत्र उस पूर्वज ॠषि के नाम पर, जिसके उस गोत्र के सभी व्यक्ति संतान हैं। इन प्रतिबंधों का यह उद्देश्य था कि अति निकट संबंधियों में वैवाहिक संबंध न हों। माता- पिता के संतान के साथ या भाई- बहन के अवांछनीय वैवाहिक संबंध का भय ही संभवतः इन प्रतिबंधों का मूल कारण था।

मनु के अनुसार उन परिवारों की कन्या से विवाह नहीं करना चाहिए, जो धर्म पालन न करतें हों, वेद न पढ़ते हों, जिनमें पुत्र जन्म न होता हो या जिसमें कुछ पुराने रोग हों, क्योंकि पुत्र न होना और रोगों का पैतृक प्रभाव भावी संतान पर हो सकता था। वात्स्यायन ने भी वधू में उक्त अभीष्ट गुणों का होना अनिवार्य माना है। मनु ने वर की योग्यता का विशेष विवरण नहीं दिया है, किंतु याज्ञवल्क्य और नारद ने दिया है। उनके अनुसार वर, वेदों का जानने वाला, चरित्रवान, स्वस्थ, बुद्धिमान और कुलीन होना चाहिए।

विवाह संस्कार के निम्नलिखित चरणों का उल्लेख 'गृह्यसूत्रों' में मिलता है :-

1. पहले वर पक्ष के लोग कन्या के घर जाते थे।

2. जब कन्या का पिता अपनी स्वीकृति दे देता था, तो वर यज्ञ करता था।

3. विवाह के दिन प्रातः वधू को स्नान कराया जाता था।

4. वधू के परिवार का पुरोहित यज्ञ करता था और चार या आठ विवाहित स्त्रियां नृत्य करती थीं।

5. वर कन्या के घर जाकर उसे वस्र, दपंण और उबटन देता था।

6. कन्या औपचारिक रुप से वर को दी जाती थी। ( कन्यादान )

7. वर अपने दाहिने हाथ से वधू का दाहिना हाथ पकड़ता था। ( पाणिग्रहण )

8. पाषाण शिला पर पैर रखना।

9. वर का वधू को अग्नि के चारों ओर प्रदक्षिणा कराना। ( अग्नि परिणयन )

10. खीलों का होम। ( लाजा- होम )

11. वर- वधू का साथ- साथ सात कदम चलना ( सप्त- पदी ), जिसका अभिप्राय था कि वे जीवन- भर मिलकर कार्य करेंगे। अंत में वर, वधू को अपने घर ले जाता था।

पंडित ‘विशाल’ दयानंद शास्त्री
vastushastri08@gmail.com
IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!