अल्लामा इकबाल के पोते को ‘सारे जहां से अच्छे’ संबंधों की आशा

Edited By ,Updated: 28 May, 2015 01:06 AM

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उर्दू शायर अल्लामा इकबाल के पोते वलीद इकबाल कोलकाता के अपने पहले दौरे को लेकर बहुत आशावान हैं जहां उनके स्वर्गीय दादा को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित उर्दू अकादमी की ओर से ...

(राखी चक्रवर्ती) उर्दू शायर अल्लामा इकबाल के पोते वलीद इकबाल कोलकाता के अपने पहले दौरे को लेकर बहुत आशावान हैं जहां उनके स्वर्गीय दादा को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित उर्दू अकादमी की ओर से तराना-ए-हिंद अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। वलीद का मानना है कि यह भारत तथा पाकिस्तान के बीच संबंधों को सुधारने के लिए नींव का पत्थर साबित होगा।

वलीद ने लाहौर में एक बातचीत के दौरान कहा कि वह जानते हैं कि कोलकाता टैगोर, सुभाष चंद्र बोस की धरती है और ज्योति बसु के नेतृत्व वाली 34 वर्ष पुरानी कम्युनिस्ट सरकार की सीट है। उन्होंने कहा कि मैंने सुना है कि यह एक स्वच्छ तथा ईमानदार सरकार थी।

वलीद इकबाल एक वकील हैं और इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख कार्यकत्र्ता हैं। वह 3 बार दिल्ली आ चुके हैं और आशा करते हैं कि कोलकाता से वापसी के दौरान वह फिर वहां रुकेंगे। उन्होंने कहा कि यदि स्थितियों ने इजाजत दी तो वह अपने मित्र अमित सिब्बल (पूर्व केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के बेटे)  से मिलेंगे। उन्होंने कहा कि वे दोनों हार्वर्ड में इकट्ठे पढ़े हैं।

पश्चिम बंगाल सरकार पाकिस्तान से वलीद तथा अन्य 2 स्कालरों की  राजकीय मेहमान के तौर पर मेजबानी कर रही है, जो हैं रफीकुद्दीन हाशमी तथा खालिद नदीम। तृणमूल कांग्रेस सांसद एवं कार्यक्रम के प्रमुख आयोजक सुल्तान अहमद ने बताया कि उन्हें शहर के ऐतिहासिक स्थानों पर ले जाया जाएगा। जैसे कि जोरसांको ठाकुरबाड़ी, नेता जी भवन तथा टीपू सुल्तान मस्जिद।

इकबाल के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम का थीम है ‘सारे जहां से अच्छा’ जिसे तराना-ए-हिंदी भी कहा जाता है। हिंदुस्तान की शान में इस गीत को 1904 में कम्पोज किया गया था। यह उत्सव 29 मई को नजरूल मंच पर आयोजित किया जाएगा। जिसके दौरान सैमीनार, प्रदर्शनी तथा एक मुशायरे का आयोजन किया जाएगा। ऐसा दिखाई देता है कि इसमें रबींद्र नाथ टैगोर के विचार प्रतिक्षिंबबित होते हैं कि भारत इकबाल कोभुला नहीं सकता जिनकी शायरी विश्वविख्यात है।

वलीद ने भी उनकी यूनिवर्सल अपील की बात करते हुए कहा कि इकबाल के कार्य एक विस्तृत महासागर की तरह हैं। उन्हें किसी क्षेत्र में नहीं बांधा जा सकता। वलीद ने कहा कि लोग इकबाल के विचारों को अपने विचारों के अनुसार ढाल लेते हैं। उन्हें आशा है कि साहित्यिक तथा अकादमिक कार्यक्रम में उनका कोलकाता का पहला दौरा भारत तथा पाकिस्तान के बीच अधिक से अधिक लोगों में सम्पर्क पैदा करेगा, जहां वे एक-दूसरे को  बेहतर तरीके से जान पाएंगे।

इससे 1977 की याद आ जाती है जब भारत सरकार ने अल्लामा इकबाल की जन्म शताब्दी मनाई थी। वलीद के पिता डा. जावेद इकबाल, जो एक पूर्व सीनेटर एवं पाकिस्तान सुप्रीमकोर्ट के सेवानिवृत्त जज थे तथा मां नासिरा इकबाल, जो 1994 में लाहौर हाईकोर्ट में नियुक्त होने वाली पहली महिला जज थीं, समारोह में शामिल होने के लिए दिल्ली आए थे।

मोरारजी देसाई तब भारत के प्रधानमंत्री थे। वलीद ने बताया कि वह एक अलग समय था। उनके पिता तब अटल बिहारी वाजपेयी, जो उस समय विदेश मंत्री थे तथा इंदिरा गांधी के बीच बैठे थे। उन्होंने कहा कि श्रीमती गांधी ने उनके पिता के माध्यम से उनके व उनके बहन-भाइयों के लिए आटोग्राफ भेजे थे।

वलीद को दुख है कि भारत-पाकिस्तान संबंध वर्तमान में अच्छे नहीं हैं। मगर उन्हें आशा है कि दोनों तरफ की सरकारें विश्वास बहाली के उपाय करेंगी। उन्होंने कहा कि आरोप-प्रत्यारोप बंद होने चाहिएं। दोनों तरफ की सरकारों को रक्षा तथा परमाणु क्षमता पर खर्च करने की  बजाए गरीबी हटाने तथा स्वास्थ्य व शिक्षा में सुधार पर ध्यान देना चाहिए। उनका मानना है कि भारत को एक उभरती हुई महाशक्ति (सुपर पावर) के नाते पाकिस्तान के साथ व्यवहार में अधिक उदारता बरतनी चाहिए। (टा.)

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