आत्ममंथन करें: आप ज्योतिष में विश्वास करते हैं या अंधविश्वास

Edited By ,Updated: 08 Aug, 2015 10:21 AM

article

जब आदमी चिंत्तन और आत्मंथन की प्रक्रिया नहीं करेगा तो उसके अंदर हमेशा ही अपनी स्थिति से गिरने का भय व्याप्त होगा। ऐसे भय पैदा होंगे जिनकी कल्पना तक नहीं की जा सकती। जीवन में कोई भी काम सोच-विचार कर करना चाहिए पर परिणामों में असफलता की आशंका कतई नहीं...

जब आदमी चिंत्तन और आत्मंथन की प्रक्रिया नहीं करेगा तो उसके अंदर हमेशा ही अपनी स्थिति से गिरने का भय व्याप्त होगा। ऐसे भय पैदा होंगे जिनकी कल्पना तक नहीं की जा सकती। जीवन में कोई भी काम सोच-विचार कर करना चाहिए पर परिणामों में असफलता की आशंका कतई नहीं करनी चाहिए।

दो सगे भाई किसी ज्योतिषी के पास गए। ज्योतिषी बड़ा अनुभवी था। उसने दोनों को देखा। छोटे से उसने कहा कि तुम्हें कोई राज्य मिलने वाला है। तुम बड़े शासक बनोगे। बड़े भाई से कहा कि सावधान रहना। कोई बड़ी विपत्ति आने वाली है। एक बहुत खुश हुआ, दूसरा बहुत उदास। दोनों घर आ गए। दूसरे ने ज्योतिषी की भविष्यवाणी पर काफी गंभीरता से मंथन किया।

उसने सोचा विपत्ति तो आने वाली है, मुझे अपने जीवन को अच्छे कामों में लगाना चाहिए। भाग्य में लिखा है तो कष्ट तो आएगा ही। पर मैं पहले ही क्यों न संभल जाऊं? वह संभल गया। पूरा जागरूक बन गया। बुरी आदतें छोड़ दीं। अच्छे काम में लग गया। अच्छे आचरण में लग गया। पहले वाले ने भी ज्योतिषी की भविष्यवाणी को शाश्वत सच मान लिया।

उसने सोचा, अब चिंता की क्या बात है? राज्य मिलने वाला है। उसमें अहंकार आ गया। दुनिया भर की जितनी बुरी आदतें थीं उसने सब शुरू कर दीं। धन को उजाडऩा शुरू कर दिया। शराब पीना शुरू कर दिया। मांस खाना शुरू कर दिया। दुनिया की सारी बुराइयों में लिप्त हो गया। उसका व्यवहार तानाशाह जैसा हो गया, वह किसी को कुछ भी न समझता। तभी किसी राजा का पुत्र मर गया। पीछे कोई था नहीं। राजा ने सोचा, बूढ़ा हूं, व्यवस्था करूं। राजा ने एक पद्धति अपनाई और उसमें बड़ा भाई उत्तीर्ण हो गया। बड़ा भाई राजा बना तो छोटे को अजीब लगा। दोनों ने ज्योतिषी को बुलाया और कहा कि आपने उलटी बात बता दी। ज्योतिषी ने कहा ठीक बात बताई थी। उस समय जो होने वाला था वही बताया। बताओ कि मेरे बताने के बाद तुम दोनों ने क्या-क्या किया।

दोनों भाइयों ने अपनी-अपनी कहानी सुनाई। ज्योतिषी ने कहा, मैं क्या करूं। ज्योतिष का जो नियम था उसी के आधार पर मैंने बताया था। तुमने बुरा आचरण किया। तुम्हें राज्य मिलने वाला था किंतु बुरे आचरण के कारण नियम बदल गया और दूसरा लागू हो गया। उसने इतना अच्छा आचरण किया कि विपत्ति बदल गई और इसने सौभाग्य का वरण कर लिया। हम स्वयं हैं अपने भाग्य के निर्माता। हम चाहें तो जीवन में घटित होने वाली बुरी से बुरी घटना को टाल सकते हैं। कोई दूसरा कर्ता नहीं है। कोई दूसरा नियंता नहीं है। 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!