Edited By ,Updated: 03 Sep, 2015 11:21 AM
विश्वनाथ स्वरुप में शिव विश्व के नाथ बनकर और जगतगुरु संपूर्ण जगत का कल्याण करते हैं। शिव का काशी विश्वनाथ स्वरुप ज्योतिर्लिंगों की सारणी में सातवें क्रमांक पर है।
विश्वनाथ स्वरुप में शिव विश्व के नाथ बनकर और जगतगुरु संपूर्ण जगत का कल्याण करते हैं। शिव का काशी विश्वनाथ स्वरुप ज्योतिर्लिंगों की सारणी में सातवें क्रमांक पर है। काशी सभी धर्म स्थलों में सबसे अधिक महत्व रखती है इसलिए सभी धर्म स्थलों में काशी का अत्यधिक महत्व कहा गया है।
माना जाता है की काशी जाकर यदि भैरव बाबा के दर्शन न किए जाएं तो विश्वनाथ जी का दर्शन अधूरा ही रहता है। वाराणसी में ही कमच्छा क्षेत्र में भैरव बाबा का मंदिर है जहां वह दो रूपों में विराजते हैं। बाबा के दोनों रूपों के दर्शन करने से अशुभ ग्रहों का प्रभाव शुभ होता है, पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
भैरव बाबा का प्रथम रूप बटुक भैरव
बटुक भैरव बाल रूप में दर्शन देते हैं। उनके इस रूप का दर्शन करने से पुत्र प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है। माना जाता है की बटुक भैरव के रूप का दीदार करने से ही दुख-दर्द छू मंतर हो जाते हैं। कहते हैं कि यदि कोई श्रद्धालु श्रद्धापूर्वक 21 मंगलवार या रविवार भैरव बाबा के दरबार में हाजिरी लगाते हैं तो बाबा उसकी कोई भी इच्छा अधूरी नहीं रहने देते।
भैरव बाबा का दूसरा रूप आदि भैरव
मंदिर के दूसरे हिस्से में भी बाबा बाल रूप में विराजित हैं। बाबा के इस रूप को आदि भैरव नाम से जाना जाता है। बाबा के दर्शन राहु केतु की बाधा से मुक्ति दिलवाते हैं।मंदिर के पंडित जी का कहना है, ' यहां दर्शन करने से भक्तों की मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं।'
मंदिर में प्रतिदिन तीन बार आरती होती है और आरती के दौरान नगाड़े बजाए जाते हैं। कहते हैं जो व्यक्ति इस मंदिर में नगाड़े बजाता है उस पर बाबा सदा अपनी कृपा का हाथ रखते हैं उसके घर-संसार में कभी कोई कमी नहीं होने देते। सारा साल यहां भक्तों का तांता लगा ही रहता है।