सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का प्रतीक मठ खांडा का निर्मोही अखाड़ा, जानें ऐतिहासिक गाथा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Apr, 2024 10:38 AM

nirmohi akhara of math khanda

मुगल काल में धर्म और देश की रक्षा के लिए बने साधु-संतों के संगठन अखाड़े कहलाते हैं। अखाड़े के साधु शास्त्र और शस्त्र दोनों ही विधाओं

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Nirmohi Akhara: मुगल काल में धर्म और देश की रक्षा के लिए बने साधु-संतों के संगठन अखाड़े कहलाते हैं। अखाड़े के साधु शास्त्र और शस्त्र दोनों ही विधाओं का उपयोग प्रवीणता से करते रहे हैं। कुंभ एवं अर्धकुंभ मेलों में अखाड़ों का विशाल स्वरूप दिखाई देता है, जिसका सनातनी परम्पराओं में विशेष महत्व है।

अखंड शब्द का विकृत रूप है अखाड़ा अर्थात सम्पूर्ण संगठन। अखाड़ा परम्परा आदि जगद्गुरु शंकराचार्य द्वारा संचालित हुई। इसी अविरल परम्परा की आध्यात्मिक व राष्ट्रीय चेतना की जागृति के निरंतर निष्ठापूर्वक प्रयासरत रहने वाला ईश्वरीय भक्ति व राष्ट्र भक्ति के समन्वय का प्रतीक है ‘निर्मोही अखाड़ा’ जिसने अपने शौर्य और पराक्रम से इतिहास के पन्नों को अनेकों बार गौरवांवित किया है। ध्येय वाक्य ‘राष्ट्र देवो भव: राष्ट्र भक्ति सर्वोपरि’ निर्मोही अखाड़े की विचारधारा का स्पष्ट सत्यापन है जिसका अर्थ है कि जिस प्रकार भक्त के हृदय में भगवान का स्थान होता है उसी प्रकार राष्ट्र का स्थान भी देव समान है।

PunjabKesari Nirmohi Akhara

वहीं मठ के द्वार पर लिखा हुआ यह श्लोक ‘धर्म रक्षति रक्षित:’ अखाड़े की ओजस्वी आध्यात्मिक चेतना के भाव को प्रदर्शित करता है अर्थात धर्म अपने रक्षक की सदा ही रक्षा करता है, जिसका भाव है कि राष्ट्र सुरक्षित है तो धर्म सुरक्षित रहता है और धर्म के सुरक्षित रहने से संस्कृति सुरक्षित रहती है।

‘निर्मोही अखाड़ा मठ, खांडा’ इसका जीवंत उदाहरण प्रतीत होता है। हरियाणा प्रदेश के सोनीपत जिले में ग्राम खांडा में छ: एकड़ में बना यह भव्य मठ आध्यात्मिक ऐश्वर्य, वैभव, श्रद्धा और शौर्य की छटा बिखेरता दिखाई देता है।

रात्रि में पूनम चंद्र की कलाओं से मठ के मीनार के शिखर में स्थापित कमल पुष्पों पर सुसज्जित स्वर्णिम कलशों की आभा दमक उठती है। सुनहरी प्रकाश प्रभावली से सजा यह मठ मानो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला चैतन्य मार्ग प्रतीत होता है।
उत्तर भारतीय व द्रविड़ शैली से निर्मित यह मठ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की चेतना के विस्तार को दर्शाता है। सौंदर्य से परिपूर्ण मठ के मुख्य प्रवेश द्वार के चार विशाल स्तंभ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रारूप हैं। द्वार के ऊपर भव्य सिंहासन पर विराजमान भगवान श्री राजा राम की मूर्ति मर्यादित रामराज की कामना को प्रकट करती है। मठ के प्रांगण में तीन एकड़ में बना नागावाली सरोवर व कूप मानो इस मठ में तत्कालीन सेवारत नागा साधुओं के पवित्र जीवन की कहानी बयां करते हैं।

महंत बाबा किशोरदास जी का समाधि स्थल आस्था का एक बड़ा केंद्र है, जहां दीवाली और जन्माष्टमी के दिन मेला लगता है। इतिहास में उल्लेखित है कि यह मठ वर्ष 1709 में मुगलों से लोहा लेने वाले वीर बंदा बैरागी का प्रथम सैन्य मुख्यालय था। नौ माह तक उन्होंने यहां रह कर आम जनमानस के सहयोग से एक विशाल सेना का गठन किया था, जिन्होंने मुगलों से लोहा लेते हुए मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। उन्हीं योद्धाओं को समर्पित एक भव्य ‘वीर बंदा वैरागी सैन्य स्मारक’ का निर्माण यहां किया गया है जो भावी पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा।

PunjabKesari Nirmohi Akhara

इसी पावन सरोवर के किनारे फहराता हुआ 121 फुट ऊंचा गगनचुंबी राष्ट्रीय ध्वज मानो आजादी का जश्न मना रहा है और संदेश दे रहा है कि ऐसे वीरों की प्राण वायु से ही मैं उन्मुक्त गगन में फहराता हूं। राष्ट्रीय ध्वज के मूल में राष्ट्र का ध्येय वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ और ‘अशोक चक्र’ पाषाण से बनाया गया है। जो राष्ट्र के प्रति सत्यार्थ कर्त्तव्य पालना से अवगत कराता है।

मठ के प्रांगण में शंख, चक्र और तिलक से सुसज्जित नवधा भक्ति, कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग को दर्शाते भारत वर्ष के प्रथम स्वर्णिम वैष्णव धर्म स्तंभ का निर्माण किया गया है, जिसके दोनों ओर चतु:वैष्णव संप्रदाय के प्रवर्तकों जगद्गुरु स्वामी रामानंदाचार्य जी, जगद्गुरु स्वामी माधवाचार्य जी, जगद्गुरु स्वामी निम्बार्काचार्य जी और जगद्गुरु स्वामी विष्णु स्वामी जी की मूर्तियां स्थापित की गई हैं।

मंदिर के मस्तक पर तिलक, शंख और चक्र चिह्नित हैं जो स्पष्ट रूप से बताते हैं कि मन्दिर तन स्वरूप होता है और गर्भ गृह में विराजमान विग्रह मंदिर की आत्मा होती है। द्वार पर दोनों ओर विशाल गज और द्वारपाल जय-विजय की मूर्तियां बैकुंठ की दृश्य अनुभूति करवाती हैं। मन्दिर की दीवारों पर भगवान कृष्ण व श्री राम की जीवन लीलाओं को उकेरा गया है। छत और गुम्बदों में हुई नक्काशी, रंग-बिरंगी आकृतियां और आकर्षित करते झूमर मानों नृत्य गान करते हैं।

द्वार के सामने गर्भगृह में विराजमान बाल रूप में भगवान राम लला की मोहिनी मूर्त से मानो दृष्टि ओझल ही नहीं होना चाहती। वहीं निश्चल प्रेम के प्रतीक श्री राधा-कृष्ण और माता लक्ष्मी सहित सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु विराजमान हैं। सैंकड़ों वर्षों से इस मठ में पूजित भगवान शालिग्राम दिव्य सिंहासन पर विराजित होकर श्रद्धालुओं को कृतार्थ कर रहे हैं।

PunjabKesari Nirmohi Akhara

मंद-मंद ध्वनि में गुंजित वैदिक मंत्र व श्लोक मंत्रमुग्ध कर देते हैं। मठ में बनी धर्मशाला व संत निवास में निरंतर धार्मिक अनुष्ठानों के चलते साधु-संत सेवा प्रसादी पाते हैं। समाधिस्थ महंत बाबा किशोरदास जी के वर्तमान वंशज डा. राज जी के सांस्कृतिक, राष्ट्रवादी व वैचारिक सौंदर्य इस मठ की रूपरेखा तैयार करने में सदैव तत्परता को प्राप्त रहते हैं। उनके ओजस्वी प्रयासों व निर्मोही अखाड़े के योग सहयोग से इस वैष्णव तीर्थ का पुन: जीर्णोद्धार होकर भव्य स्वरूप स्थापित हो सका।

 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!