Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jun, 2017 03:10 PM
चंद्रमा को जल तत्व का देव कहा जाता है। पुराणों के मतानुसार देव और दानवों द्वारा किए गए सागर मंथन से जो 14
चंद्रमा को जल तत्व का देव कहा जाता है। पुराणों के मतानुसार देव और दानवों द्वारा किए गए सागर मंथन से जो 14 रत्न निकले थे उनमें से एक चंद्रमा भी थे। जिन्हें भगवान शंकर ने अपने सिर पर धारण कर लिया था। प्रजापितामह ब्रह्मा ने चंद्र देवता को बीज, औषधि, जल तथा ब्राह्मणों का राजा बनाया। चंद्र देव मन के कारक ग्रह हैं। नवग्रहों में इनका स्थान द्वितीय है। चंद्रमा की प्रतिकूलता से भौतिक रूप से मनुष्य को मानसिक कष्ट तथा श्वास आदि के रोग हो जाते हैं। शुभ चंद्र व्यक्ति को धनवान बनाते हैं, सुख और शांति देते हैं। भूमि और भवन के मालिक चंद्रमा से चतुर्थ में शुभ ग्रह होने पर घर संबंधी शुभ फल मिलते हैं।
चन्द्र प्रधान दिन सोमवार को घर से निकलने से पहले सफेद रूमाल में मिश्री बांध कर आपनी जेब या पर्स में रख लें। सारा दिन ये पोटली आपके साथ रहनी चाहिए। ऐसा करने से सारा दिन शुभता से व्यतित होगा और धन-दौलत आएगी आपके घर।
सुबह उठते ही अपनी माता के पैर छू कर आशिष लें।
सोमवार को विशेष रूप से शिव जी भगवान की पूजा अर्चना करें।
सोमवार का व्रत करें।
पानी या दूध को साफ पात्र में सिरहाने रखकर सोएं और सुबह शद्ध होकर कीकर के वृक्ष की जड़ में डाल दें।
चावल, सफेद वस्त्र, शंख, वंशपात्र, सफेद चंदन, श्वेत पुष्प, चीनी, बैल, दही और मोती दान करें।
श्री महाभारत में लिखा है कि पूर्णिमा को चंद्रोदय के समय तांबे के बर्तन में मधुमिश्रित पकवान को यदि चंद्र देवता को अर्पित किया जाए तो इससे चंद्र देवता को तृप्ति तो होती ही है साथ ही साथ आदित्य, विश्वदेव, मरुद्गण, वायुदेव तथा अश्विनीकुमार भी प्रसन्न एवं तृप्त हो जाते हैं।