मृत्यु का अब नाद कर दो

Edited By Seema Sharma,Updated: 20 Jan, 2020 03:08 PM

kill the death now

आहत हो जब सीता का सार लंका हो क्यों न सागर के पार

आहत हो जब सीता का सार
लंका हो क्यों न सागर के पार
किंचित कहीं से आग निकले वो महावीर फिर जाग निकले

 

जो लांघ निकले सारी सीमा
फिर दंश देखे 'दैत्य सेना' आए
रिपु बल ध्वस्त करके राज काज सब भस्म करके



रावण है बाकी देखो
आज ये जो खड़े सब नरपिशाच लौटेगा
इनका कृत्य देखो 'काल' का अब नृत्य देखो


मोमबत्तियां फेंकों सारी !
गदा बाण कमान चुनलो जागो हे महाबाहु अर्जुन !
कृष्ण का आह्वान सुनलो

चिरकाल तक इतिहास में जगको सदा से याद होगा
जो काट खाए कौरवों को एक नारी फिर श्राप होगा

चुप हैं खड़े जो भीष्म सारे चीखेंगे
जब महादंश होगा महायुद्ध होगा,
सिद्ध होगा तब दैत्यदल विध्वंश होगा

अवतार सब लौटेंगे
अब महाविनाश के ही भेष होंगे रक्तरंजित,
प्रतिशोध इंगित अब द्रौपदी के 'केश' होंगे

सुनो कर रहा नभ गर्जना
क्षमा नहीं आघात कर दो
नरधर्म देखो जगा रहा है
मृत्यु का अब नाद कर दो
जया पाण्डेय 'अन्जानी'

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