Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Jun, 2018 03:02 PM
ख़त्म कर इन फासलो को कब हम इतने करीब आयेंगे हवा भी गुजरने की ले इजाजत हमारे दर्मियां ऐसे दिन कब आयेंगे समर्पण से भरी होगी हमारी कहानी, ज़माना जाने हमारे इश्क़ को, ऐसे दिन कब आयेंगे तू है सिर्फ मेरा इस बात का इल्म...
ख़त्म कर इन फासलो को कब हम इतने करीब आयेंगे
हवा भी गुजरने की ले इजाजत हमारे दर्मियां ऐसे दिन कब आयेंगे
समर्पण से भरी होगी हमारी कहानी,
ज़माना जाने हमारे इश्क़ को, ऐसे दिन कब आयेंगे
तू है सिर्फ मेरा इस बात का इल्म है मुझे,
बुझेगी तुझे पाने की प्यास मेरी, ऐसे दिन कब आयेंगे.
जागती आँखों के ख़वाब की मंजिल हो तुम,
साफ होगी मिलन की तस्वीर, ऐसे दिन कब आयेंगे.
पीड़ा इस जुदाई की सही नहीं जाती अब,
मल्हम लगे “हर्ष” तेरे इश्क़ का, ऐसे दिन कब आयेंगे.
प्रमोद कुमार "हर्ष"