हिमाचल का मंदिर- लुटरू महादेव मंदिर

Edited By Riya bawa,Updated: 04 Jun, 2020 02:25 PM

temple of himachal lutru mahadev temple

हिमाचल की देवभूमि में भगवान शिव के अनेकों मंदिर हैं, उनमें से एक है लुटरू महादेव| एक सुंदर पहाडी के ऊपर स्थित है। यह मंदिर अर्की जिला सोलन से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  हिमाचल की देवभूमि में भगवान शिव के अनेकों मंदिर हैं और मान्यता है कि भगवान...

हिमाचल की देवभूमि में भगवान शिव के अनेकों मंदिर हैं, उनमें से एक है लुटरू महादेव| एक सुंदर पहाडी के ऊपर स्थित है। यह मंदिर अर्की जिला सोलन से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  हिमाचल की देवभूमि में भगवान शिव के अनेकों मंदिर हैं और मान्यता है कि भगवान शिव को भांग, धतुरा बहुत पसंद है।
इसी वजह से उनकी पूजा में इनका विशेष तौर पर उपयोग किया जाता है। लेकिन इनमे से एक मंदिर ऐसा भी है, जहां भगवान शिव बड़े चाव से सिगरेट पीते हैं। ये सुनकर आपको हैरानी हो रही होगी लेकिन ये सत्य है। यह मंदिर देवभूमि हिमाचल राज्य के अर्की सोलन जिले में स्थित है। मैं 2014 में इलेक्शन ड्यूटी में अर्की गया था तब मुझे इस मंदिर को देकने का अवसर मिला था। इस मंदिर में शिव भक्त भगवान महादेव को एक अलग ही नाम से पुकारते है। आपको बता
दे, इस मंदिर को लुटरू महादेव के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि यहां आने वाले श्रद्धालु भगवान शिव को अर्पित करने के लिए सिगरेट लेकर जरूर आते हैं। मान्यताओं के आधार पर भक्त जो सिगरेट शिव को अर्पित करते है, उसको भोले नाथ बड़े ही चाव से पीते भी है।

मंदिर का इतिहास
लुटरू महादेव मंदिर साल 1621 में बनाया गया था। कहा जाता है कि भगवान शिव बाघल रियासत के तत्कालीन राजा के सपने में आए और उन्हें मंदिर बनाने का आदेश दिया। मंदिर से जुड़ी एक मान्यता ये भी है कि अनादिकाल में जब शिव पार्वती विवाह हुआ तो सभी देवता शादी में शामिल होने के लिए कैलाश की ओर चल पड़े। सभी देवताओं के एक तरफ आने से धरती का संतुलन बिगड़ने लगा। ऐसे में भगवान शिव ने लुटरू महादेव की गुफा में तपस्या कर रहे अगस्तय ऋषि को आदेश दिया कि वह दक्षिण की ओर चले जाएं ताकि धरती का संतुलन बना रहे। लुटरू महादेव मंदिर में बनी गुफाएं भी अद्भुत हैं।

अद्भुत गुफाओ बाला मंदिर
प्राचीन लुटरू महादेव गुफा एक चमत्कार की तरह है। आग्रेय चट्टानों से निर्मित इस गुफा की लम्बाई पूर्व से पश्चिम की तरफ लगभग 25 फीट और उत्तर से दक्षिण की ओर 42 फीट है। गुफा की ऊंचाई तल से 6 फीट से 30 फीट तक है। गुफा के ऊपर ढलुआ चट्टान के रूप में एक कोने से प्रकाश अंदर आता है। गुफा की ऊंचाई समुद्र तल से 5500 फीट है और इस के चारों ओर 150 फीट का क्षेत्र एक विस्तृत चट्टान के रूप में फैला है। गुफा के अंदर मध्य भाग में 8 इंच लम्बी प्राचीन प्राकृतिक शिव की पिंडी विद्यमान है। गुफा की छत में परतदार चट्टानों के रूप में भिन्न-भिन्न लंबाइयों के छोटे-छोटे गाय के थनों के आकार के शिवलिंग दिखाई पड़ते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार इनसे दूध की धारा बहती थी, लेकिन अब इन प्राकृतिक थनों से पानी की कुछ बूंदे टपकती रहती हैं, जिन्हें देख कर मानव आश्चर्यचकित हो जाता है।

देवभूमि में स्थित इस मंदिर को लेकर कई पौराणिक कहानियां प्रचलित है। इस मंदिर से जुड़े कई चमत्कार भी दुनिया भर में विघमान है। इन्ही में से एक है शिव के द्वारा सिगरेट का पीना। बताया जाता है कि जब भगवान शिव को सिगरेट अर्पित की जाती है, तो वह अपने आप ही सुलगने लगती है और इससे निकलने वाला धुआं देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान शिन उसे पी रहे हैं। भगवन शिव के इस अद्भुत आश्चर्यचकित करने बाले दृश्य को देखने के लिए यहां दूर-दूर से लोग आते हैं। लुटरू माहदेव के इस मंदिर में शिवलिंग में कई जगहों पर गड्ढे बने हुए हैं, जहां श्रद्धालु सिगरेट फंसा देते हैं। और ये सिगरेट अपने आप सुलगने लगती है। माना जाता है कि यहां सिगरेट चढ़ाने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।

(जीवन धीमान नालागढ़)

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