Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Apr, 2023 01:59 PM
मामले से वाकिफ लोगों ने कहा कि भारतीय बासमती चावल के लिए भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग देने से इनकार करने का ऑस्ट्रेलिया का फैसला ट्रेडमार्क रजिस्ट्रार के एक प्रतिनिधि के समक्ष अभियोजन और सुनवाई के बाद प्राधिकरण की अज्ञानता का मामला हो सकता है और...
नई दिल्लीः मामले से वाकिफ लोगों ने कहा कि भारतीय बासमती चावल के लिए भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग देने से इनकार करने का ऑस्ट्रेलिया का फैसला ट्रेडमार्क रजिस्ट्रार के एक प्रतिनिधि के समक्ष अभियोजन और सुनवाई के बाद प्राधिकरण की अज्ञानता का मामला हो सकता है और पाकिस्तान द्वारा गहन पैरवी का परिणाम हो सकता है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपने बासमती चावल के लिए एक संयुक्त जीआई टैग मान्यता प्राप्त करने की संभावना तलाश रहा है लेकिन यह सम्मेलन के विपरीत है क्योंकि एक ही उत्पाद के लिए सीमा पार जीआई टैग के कोई मामले सामने नहीं आए हैं। भारत दुनिया के बासमती चावल की आपूर्ति का 70% हिस्सा है।
ऑस्ट्रेलिया ने GI टैग की मांग को किया खारिज
एक रिपोर्ट के अनुसार, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के अध्यक्ष एम अंगमुथु ने कहा, "ऑस्ट्रेलिया ने जीआई के लिए हमारे आवेदन को खारिज कर दिया है।" उन्होंने आगे कहा, “हम पहले ही बासमती चावल नाम के लिए एक अपील दायर कर चुके हैं जोकि 1 फरवरी, 2023 को ऑस्ट्रेलिया के संघीय न्यायालय के समक्ष अपील दायर की गई है।” बता दें कि एपीडा एक प्राधिकरण है जो निर्यात को बढ़ावा देता है और विदेशों में भारतीय उत्पादों के लिए जीआई पंजीकरण कराता है।
जीआई पंजीकरण सतत प्रक्रिया
एपीडा के अध्यक्ष ने कहा, "जीआई पंजीकरण एक सतत प्रक्रिया है और हम फिर से अपील करेंगे। इससे हमारे व्यापार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।" आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऑस्ट्रेलिया सालाना करीब 50,000 टन बासमती का आयात करता है। वहीं चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-दिसंबर अवधि के दौरान 351.78 करोड़ रुपए मूल्य के 35,112 टन बासमती का आयात किया है।