ड्रोन हमलों जैसी सस्ती तकनीक के दुरुपयोग ने बढ़ते खतरों की ओर ध्यान दिलाया

Edited By Updated: 19 Jan, 2022 04:41 AM

abuse of cheap technology like drone strikes draws attention to growing dangers

ईरान का समर्थन प्राप्त हूती विद्रोही कई वर्षों से यमन में कब्जे की लड़ाई लड़ रहे हैं। यमन की राजधानी ‘सना’ सहित देश के कई इलाकों पर हूतियों का कब्जा भी हो चुका है, जिसके दृष्टिगत

ईरान का समर्थन प्राप्त हूती विद्रोही कई वर्षों से यमन में कब्जे की लड़ाई लड़ रहे हैं। यमन की राजधानी ‘सना’ सहित देश के कई इलाकों पर हूतियों का कब्जा भी हो चुका है, जिसके दृष्टिगत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त यमन सरकार की बहाली के लिए सऊदी अरब के नेतृत्व वाला सैन्य गठबंधन हूतियों के विरुद्ध युद्ध कर रहा है। 

इस गठबंधन में संयुक्त अरब अमीरात (यू.ए.ई.) भी 2015 से ही सक्रियतापूर्वक शामिल है और इसी के अंतर्गत इसने कुछ समय से यमन में हूतियों के ठिकानों पर अपना हवाई अभियान तेज कर रखा है। हूती विद्रोहियों ने भी इसके विरुद्ध जवाबी कार्रवाई करने की चेतावनी दी हुई है और इसी कड़ी में वे सऊदी अरब तथा संयुक्त अरब अमीरात (यू.ए.ई.) में अक्सर ड्रोन और मिसाइलों से हमले करते रहते हैं।

इसी के अंतर्गत 17 जनवरी को हूती विद्रोहियों ने संयुक्त अरब अमीरात (यू.ए.ई.) की राजधानी अबू धाबी में एक प्रमुख पैट्रोलियम केंद्र को निशाना बनाकर ड्रोन से हमला कर दिया। इससे तेल से भरे 3 ट्रक टैंकरों में लगातार होने वाले अनेक विस्फोटों के बाद आग लग गई जिसने थोड़ी देर में ही हवाई अड्डïे को भी अपनी लपेट में ले लिया। संयुक्त अरब अमीरात (यू.ए.ई.) पुलिस द्वारा की गई शुरूआती जांच की रिपोर्ट के अनुसार घटना से कुछ देर पहले नजदीक के आकाश में ड्रोन जैसा एक छोटा विमान उड़ रहा था। 

हालांकि जल्दी ही स्थिति पर काबू पा लिया गया परन्तु इस दौरान 2 भारतीयों और एक पाकिस्तानी सहित 3 लोगों की मौत तथा 6 अन्य घायल हो गए। जिस स्थान पर यह हमला किया गया वहां अबू धाबी के सरकारी नियंत्रण वाली तेल क पनी का भंडारण केंद्र और पाइपलाइन नैटवर्क है। 

इसी वर्ष 2 जनवरी को हूती विद्रोहियों ने संयुक्त अरब अमीरात (यू.ए.ई.) के ‘रवाबी’ नामक मालवाहक जहाज को कब्जे में लेकर उस पर सवार 11 लोगों को बंधक बना रखा है, जिनमें 7 भारतीय हैं। भारत ने इस घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए संयुक्त राष्ट्र से सहायता की गुहार भी लगाई है। आज तरह-तरह की जनविरोधी कार्रवाइयों के लिए ड्रोनों का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है। इनके तुलनात्मक दृष्टिï से सस्ते एवं मानव रहित होने के कारण किसी का पकड़ा जाना भी संभव नहीं है।

यही नहीं, चूंकि इनके जरिए किसी भी जगह पर अचूक निशाना साधा जा सकता है, अत: किसी खास स्थान पर हमला करने या नशीले पदार्थ, हथियार, नकली करंसी आदि की आपूॢत करने के लिए भी इनके इस्तेमाल में लगातार वृद्धि हो रही है। इसी तकनीक का इस्तेमाल करके आज पाकिस्तान की सरकार, सेना तथा गुप्तचर एजैंसी आई.एस.आई. भारत में अपने पाले हुए आतंकवादियों को नकली करंसी, नशीले पदार्थों और हथियारों आदि की लगातार सप्लाई करके भारत की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर रही हैं। 

पता चला है कि पाकिस्तान ने अपनी नई भारत विरोधी साजिश के अंतर्गत चीन से कुछ आधुनिक और उन्नत ड्रोन खरीदे हैं। इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार इन आधुनिक ड्रोनों की अलग बनावट और डिजाइन के कारण इन्हें पकड़ पाना बहुत मुश्किल है। ये ड्रोन बरसात के दौरान भी उड़ कर आसानी से अपना टार्गेट पूरा कर सकते हैं। बताया जाता है कि ये ड्रोन 800 मीटर की ऊंचाई पर एक बार में 15 से 20 किलोमीटर दूर तक जा सकते हैं। 

अबू धाबी में ड्रोन हमले ने विश्व समुदाय का ध्यान सस्ती वैज्ञानिक तकनीक के सहारे बढ़ रहे सुरक्षा खतरे की ओर दिलाया है। इसे गंभीरता से लेकर इससे बचाव के उपाय ढूंढने तथा इसराईल की भांति ड्रोनों के हमले का पहले ही पता लगा कर उन्हें नाकारा करने की तकनीक हासिल करने की तुरंत आवश्यकता है ताकि आने वाले दिनों में ड्रोनों के इस्तेमाल में वृद्धि होने से उसी अनुपात में बढऩे वाले खतरों से बचा जा सके।—विजय कुमार

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