Edited By Parveen Kumar,Updated: 16 Dec, 2025 11:46 PM

आपकी जेब में रखा स्मार्टफोन अब सिर्फ कॉल करने का जरिया नहीं रहा, बल्कि बटुए से भी ज्यादा कीमती बन चुका है। खरीदारी से लेकर बिल भुगतान तक, हर लेन-देन इसी पर टिका है। लेकिन यही सुविधा अब साइबर ठगों के लिए सबसे बड़ा हथियार बन गई है। संसद के शीतकालीन...
नेशनल डेस्क: आपकी जेब में रखा स्मार्टफोन अब सिर्फ कॉल करने का जरिया नहीं रहा, बल्कि बटुए से भी ज्यादा कीमती बन चुका है। खरीदारी से लेकर बिल भुगतान तक, हर लेन-देन इसी पर टिका है। लेकिन यही सुविधा अब साइबर ठगों के लिए सबसे बड़ा हथियार बन गई है। संसद के शीतकालीन सत्र में सामने आए आंकड़े इस खतरे की गंभीरता साफ दिखाते हैं- सिर्फ इस साल नवंबर तक साइबर अपराधियों ने लोगों से 805 करोड़ रुपये की ठगी कर ली।
805 करोड़ का UPI फ्रॉड: आंकड़े जो डराने के लिए काफी हैं
सोमवार को लोकसभा में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने यूपीआई फ्रॉड को लेकर लिखित जवाब दिया। उनके मुताबिक, चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में नवंबर तक ही 805 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हो चुकी है और 10.64 लाख लोग इसका शिकार बने हैं। पिछले वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो तस्वीर और भी चौंकाने वाली है-
- वित्तीय वर्ष 2023-24: 1,087 करोड़ रुपये की ठगी, 13.42 लाख मामले
- वित्तीय वर्ष 2024-25: 981 करोड़ रुपये की ठगी, 12.64 लाख मामले
- वित्तीय वर्ष 2025-26 (नवंबर तक): 805 करोड़ रुपये की ठगी
सरकार का कहना है कि रकम में कुछ कमी जरूर आई है, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है।
ठगी रुक क्यों नहीं रही? सरकार ने बताई असली वजह
सरकार के मुताबिक, यूपीआई सिस्टम में कोई तकनीकी खामी नहीं है। असली समस्या डिजिटल ट्रांजैक्शन की तेजी से बढ़ती संख्या है। अकेले नवंबर महीने में देश में 20.47 अरब बार यूपीआई ट्रांजैक्शन हुए, जिनकी कुल वैल्यू 26.32 लाख करोड़ रुपये रही। इसी भीड़ का फायदा उठाकर ठग फर्जी कॉल, मैसेज और लिंक के जरिए लोगों को जाल में फंसा रहे हैं।
ठगों पर ‘AI’ की नजर, सरकार ने कसा शिकंजा
लोगों की मेहनत की कमाई बचाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं-
- AI से निगरानी: बैंक अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम से संदिग्ध ट्रांजैक्शन पर नजर रख रहे हैं।
- चक्षु पोर्टल: ठगी से जुड़े कॉल या मैसेज की रिपोर्ट यहां की जा सकती है।
- हेल्पलाइन 1930: ठगी होते ही तुरंत इस नंबर पर कॉल करना सबसे बड़ा बचाव है।