‘असम और मिजोरम में’ सीमा विवाद को लेकर ‘खूनी टकराव’

Edited By Updated: 28 Jul, 2021 05:28 AM

bloody clash  over border dispute  in assam and mizoram

देश में विभिन्न राज्यों के बीच अनेक सीमा और नदी जल विवाद चल रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप रह-रह कर इनमें तनाव और टकराव पैदा होता रहता है। विवादों की इसी शृंखला में असम और मिजोरम के बीच

देश में विभिन्न राज्यों के बीच अनेक सीमा और नदी जल विवाद चल रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप रह-रह कर इनमें तनाव और टकराव पैदा होता रहता है। विवादों की इसी शृंखला में असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद गत 26 जुलाई को हिंसक रूप धारण कर गया, जब दोनों राज्यों की पुलिस तथा नागरिकों के बीच असम के कछार जिले में, सीमा के निकट हुई भीषण ङ्क्षहसक झड़प में असम पुलिस के 5 जवानों और 1 नागरिक की मृत्यु तथा कछार के पुलिस अधीक्षक निंबालकर वैभव सहित कम से कम 60 जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। 

इस घटना के लिए दोनों राज्यों के मु यमंत्री एक-दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं। दोनों राज्यों में 1875 से ही भूमि-विवाद चला आ रहा है। मिजोरम के तीन जिलों आईजोल, कोलासिब और ममित की सीमा असम के 3 जिलों हेलाकांडी, कछार और करीमगंज के साथ सांझी है। 

मिजोरम का दावा है कि असम उसके सीमावर्ती गांवों की जमीन पर दावा जता रहा है, जहां 100 से अधिक वर्षों में मिजो लोग रह रहे हैं। दूसरी ओर असम सरकार का आरोप है कि मिजोरम के लोगों ने बराकघाटी के क्षेत्र में असम के 3 जिलों में 1,777.58 हैक्टेयर भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा है। मिजोरम का कहना है कि 26 जुलाई को एक द पति कछार जिले के रास्ते मिजोरम आ रहा था तो लौटते समय उनकी गाड़ी से हुई तोड़-फोड़ के बाद झगड़ा बढ़ गया और नौबत फायरिंग तक पहुंच गई। 

यह घटना ऐसे समय में हुई है, जब इससे दो दिन पहले ही 24 जुलाई को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पूर्वोत्तर के 7 राज्यों के मु यमंत्रियों के साथ बैठक करके उन्हें अपने सीमा विवाद सुलझाने की जरूरत पर बल दिया था  लेकिन इसके बाद भी दोनों राज्यों के मु यमंत्री सोशल मीडिया पर आपस में उलझ पड़े। हालांकि बाद में शाह ने दोनों को राजी कर लिया और दोनों मु यमंत्रियों ने उन्हें क्षेत्र में शांति यकीनी बनाने का आश्वासन दिया था। 

असम के मु यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मिजोरम पुलिस पर असम के पुलिसकर्मियों के विरुद्ध हल्की मशीनगनों एल.एम.जी. का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है, वहीं लगातार गोलीबारी के बीच जंगल में छिपे असम के एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि दोनों राज्यों के प्रशासनिक अधिकारी बातचीत कर रहे थे, तभी दूसरी ओर से कुछ उपद्रवियों ने गोलाबारी शुरू कर दी। मिजोरम के गृहमंत्री लालचामलियाना ने दावा किया कि असम पुलिस के 200 जवानों द्वारा सी.आर.पी.एफ. जवानों की ड्यूटी चौकी को जबरदस्ती पार करने, आगजनी करने, निहत्थे लोगों पर हमले और फायरिंग करने पर मिजोरम पुलिस ने जवाबी फायरिंग से इसका उत्तर दिया। 

इससे पूर्व 30 जून को मिजोरम ने असम पर कोलासिब जिले में अवैध कब्जे का आरोप लगाया था, जबकि असम के अधिकारियों और विधायकों ने मिजोरम पर हैलाकांडी में इमारतों का निर्माण करने, सुपारी तथा केले के पौधे लगाने के आरोप लगाए। 

उल्लेखनीय है कि 21 जनवरी, 1972 को मिजोरम के अलग राज्य बनने के बाद भी दोनों राज्यों में दशकों से सीमा विवाद जारी है तथा अक्सर दोनों राज्यों की सीमा पर झड़पें होती रहती हैं। नवीनतम घटना से पूर्व इसी वर्ष फरवरी में व उससे पहले गत वर्ष अगस्त में दोनों राज्यों में सीमा पर टकराव हो चुका है। इसी बीच विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार से मांग की है कि असम-मिजोरम सीमा विवाद पर हुई खूनी हिंसा के मामले में केंद्र सरकार को एक ‘आल पाॢलयामैंटेरियन डैलीगेशन’ असम और मिजोरम भेजना चाहिए। 

इसी बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि उनकी सरकार ‘इनरलाईन फारैस्ट रिजर्व’ को अतिक्रमण से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी तथा कहा कि मिजोरम द्वारा (असम के क्षेत्र में) सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। कुल मिला कर जहां असम-मिजोरम सीमा पर तनाव बना हुआ हैै तथा असम सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा कर दी है, वहीं केंद्र सरकार ने 28 जुलाई को असम व मिजोरम के मु य सचिवों एवं पुलिस महानिदेशकों की बैठक बुला ली है। दूसरी ओर कछार जिले के लोगों ने मिजोरम की आॢथक नाकेबंदी करने की धमकी भी दे दी है। 

स्वतंत्रता के 74 वर्ष बाद भी देश के विभिन्न राज्यों में आपसी विवादों का जारी रहना दुर्भाग्यपूर्ण है। विदेशी गुलामी से तो हमें मुक्ति मिल गई परन्तु आपसी लड़ाई-झगड़ों से हम मुक्ति प्राप्त नहीं कर सके हैं।आज जहां चीन और पाकिस्तान हर समय इस ताक में रहते हैं कि भारत के टुकड़े कैसे करें, ऐसे में यदि हम (भारतीय) खुद से ही लड़ते रहेंगे तो दुश्मन को शरारतें करने का और भी प्रोत्साहन मिलेगा।
जो ऊर्जा देश के विकास पर खर्च होनी चाहिए उसे आपसी झगड़ों में नष्टï किया जा रहा है। समय की मांग है कि ऐसी समस्याओं को निजी स्वार्थों के कारण लटकाने की बजाय तुरन्त सुलझाया जाना चाहिए।   —विजय कुमार 

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