क्या कानून वास्तव में किसी बलात्कारी को सजा देना चाहता भी है?

Edited By Updated: 07 Oct, 2024 05:06 AM

does the law actually want to punish a rapist

देश में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों का सिलसिला लगातार जारी है और कोई भी दिन ऐसा नहीं बीतता जब कई-कई महिलाओं और बच्चियों से बलात्कारों के समाचार पढ़ने-सुनने को न मिलते हों।

देश में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों का सिलसिला लगातार जारी है और कोई भी दिन ऐसा नहीं बीतता जब कई-कई महिलाओं और बच्चियों से बलात्कारों के समाचार पढऩे-सुनने को न मिलते हों। वर्ष 2013 में देश में बलात्कार के 33,000 मामले दर्ज हुए जबकि 2016 में यह आंकड़ा 39,000 के निकट पहुंच गया और इनमें लगातार वृद्धि हो रही है। इसे लेकर बड़ी संख्या में प्रदर्शन भी होते आ रहे हैं लेकिन इस पर रोक लगती नजर नहीं आती। 

  • 3 अक्तूबर को प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) के हाजीगंज में एक 8 वर्षीय बच्ची से बलात्कार करने के बाद सिर कुचल कर उसकी हत्या कर दी गई।
  • 4 अक्तूबर को महाराष्ट्र के पुणे के बाहरी इलाके में 21 वर्षीय युवती के साथ 3 लोगों ने बलात्कार करने के अलावा उसके पुरुष मित्र के साथ बुरी तरह मारपीट करके उसे घायल कर दिया।
  • 4 अक्तूबर को ही 24 परगना जिले (पश्चिम बंगाल) में एक 10 वर्षीय बच्ची का शव मिला जिसकी बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी।
  • 5 अक्तूबर को वडोदरा (गुजरात) में 2 लोगों ने एक महिला के पुरुष मित्र को बंधक बना कर महिला से सामूहिक बलात्कार कर डाला।

इस संबंध में यह परेशान करने वाला तथ्य सामने आया है कि महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के मामले वर्षों तक चलते रहते हैं। इस कारण या तो आरोपियों को दंड मिलते-मिलते काफी समय बीत जाने के कारण सजा का उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है और या फिर लम्बी कानूनी प्रक्रिया के दौरान जांच कमजोर पड़ जाने के कारण वे छूट जाते हैं। कानूनी प्रक्रिया में देरी और अन्य बाधाओं के कारण कभी गवाह मुकर जाते हैं, कभी ढीली-ढाली जांच के कारण सबूत मिट जाते हैं और कभी सामाजिक या राजनीतिक दबाव के कारण पीड़ित केस वापस ले लेते हैं। 

वर्ष 2022 में पुलिस को बलात्कार के लगभग 45,000 मामलों की जांच सौंपी गई थी परंतु उनमें से केवल 26,000 मामलों में ही चार्जशीट दायर की गई। यह समस्या केवल बलात्कारों के मामले तक ही सीमित नहीं, महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की सभी श्रेणियों में पाई गई है जिनमें छेड़छाड़, दहेज हत्या, अपहरण, एसिड अटैक आदि शामिल हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार देश में बलात्कार के मामलों में सजा मिलने की दर 27 से 28 प्रतिशत ही है अर्थात 100 में से 27 मामलों में ही आरोपी का दोष साबित हो पाता है और अन्य मामलों में उसे बरी कर दिया जाता है।

यानी देश में बलात्कार के मामलों से निपटने के लिए कठोर कानून होने के बावजूद न तो इनमें कमी आ रही है और न ही सजा की दर बढ़ रही है जबकि भारत के विपरीत इंगलैंड में  बलात्कार के मामलों में सजा मिलने की दर 60 प्रतिशत से अधिक तथा कनाडा में 40 प्रतिशत से अधिक है। सजाओं के अमल में तेजी लाने की भी आवश्यकता है क्योंकि यहां भी मामला अपीलों में जाकर फंस जाता है और पीड़िता को समय रहते न्याय नहीं मिल पाता।

भारत में बलात्कार के मामलों को लेकर 2013 में फांसी की सजा का प्रावधान किए जाने के बावजूद पिछले 20 वर्षों में केवल 5 बलात्कारियों को ही फांसी की सजा दी गई है। वर्ष 1990 के बलात्कार के एक मामले में 2004 में धनंजय चटर्जी को फांसी दी गई थी जबकि मार्च, 2020 में निर्भया बलात्कार कांड के चार दोषियों मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी। कुल मिलाकर यह एक विचित्र स्थिति है। अव्वल तो केस दर्ज होता नहीं, दर्ज हो जाए तो पुलिस द्वारा धीमी जांच प्रक्रिया से मामला अदालत तक पहुंचते-पहुंचते लम्बा समय बीत जाता है और यदि मामला अदालत में पहुंच भी जाए तो वहां से गवाहों के भुगतने और केस के अंजाम तक पहुंचने में वर्षों लग जाते हैं। इस प्रक्रिया में बदलाव लाने की आवश्यकता है।

Related Story

    Trending Topics

    IPL
    Royal Challengers Bengaluru

    190/9

    20.0

    Punjab Kings

    184/7

    20.0

    Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

    RR 9.50
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!