देश में साम्प्रदायिकता को आइना दिखाते सौहार्द के चंद अनुकरणीय उदाहरण

Edited By ,Updated: 22 Sep, 2022 03:54 AM

few exemplary examples of harmony showing the mirror to communalism

जहां एक ओर देश में जाति और धर्म के नाम पर कुछ लोग नफरत फैला कर अपने कृत्यों से माहौल बिगाड़ रहे हैं, वहीं अनेक स्थानों पर हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के सदस्य भाईचारे और सद्भाव

जहां एक ओर देश में जाति और धर्म के नाम पर कुछ लोग नफरत फैला कर अपने कृत्यों से माहौल बिगाड़ रहे हैं, वहीं अनेक स्थानों पर हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के सदस्य भाईचारे और सद्भाव के अनुकरणीय उदाहरण पेश कर रहे हैं : 

* 19 सितम्बर को मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के ‘कोलारस’ में मुस्लिम भाईचारे के सदस्यों द्वारा निकाले गए ‘चेहलुम’ के ‘ताजियों’ के जलूस में सैंकड़ों हिन्दुओं ने भाग लिया और मुस्लिम बंधुओं से गले भी मिले। हिन्दुओं की फरमाइश पर जलूस में शामिल मोहम्मद रिजवान अख्तर हुसैन नामक मुस्लिम युवक ने बैंड के सुरताल के साथ राम भजन गा कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मोहम्मद रिजवान का कहना है कि यहां उसे एक अलग ही तरह का वातावरण देखने को मिलता है। 

* 19 सितम्बर को ही राजस्थान के चुरू शहर में मानवता की एक मिसाल सामने आई। यहां के एक हिन्दू दम्पति की अपने सभी 3 मंदबुद्धि बच्चों के इलाज पर सारी जमीन-जायदाद बिक गई परंतु बच्चों को आराम नहीं आया। इस बेघर दम्पति की दयनीय स्थिति का पता चलने पर शहर के वार्ड नं. 42 के मुस्लिम समाज के सदस्य आगे आए। 

इनमें से लतीफ खान ने अपनी 3 बीघा जमीन में से न सिर्फ 300 गज जमीन मकान बनाने के लिए इस दम्पति के नाम कर दी बल्कि अन्य लोगों के सहयोग से 80,000 रुपए इकट्ठे करके उस पर कमरा बनवा दिया और पानी का कनैक्शन भी लगवा दिया। चूंकि मकान में अभी थोड़ा काम बाकी है लिहाजा इन लोगों ने तब तक इस दम्पति को रहने के लिए किराए पर कमरा भी लेकर दिया है। 

* 19 सितम्बर को संगरूर के रामपुर गुज्जरां गांव में मस्जिद निर्माण के लिए एक हिन्दू परिवार द्वारा भूमि देने के बाद अब हिन्दू समुदाय के ही अन्य लोग इसका निर्माण पूरा करने के लिए धन और दूसरे सामान के रूप में अपना योगदान डाल रहे हैं। अभी तक इस गांव में रहने वाले मुस्लिम परिवारों को नमाज अदा करने के लिए 3 किलोमीटर दूर दिड़बा कस्बे में जाना पड़ता है। मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने ही मस्जिद के लिए जमीन की मांग गांव की पंचायत के सामने रखी थी जिसने इस आशय का प्रस्ताव 3-4 वर्ष पूर्व पारित किया था परंतु इस मामले में आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। 

एक गांववासी का कहना है कि लगभग 4 सप्ताह पूर्व उन्होंने गांव के एक इकट्ठ में यह मामला उठाया तो 2 हिन्दू भाइयों ने इसके लिए भूमि देने की घोषणा कर दी। गांव के मुस्लिम समाज के सदस्यों का कहना है कि उन लोगों ने दानी भाइयों से वायदा किया है कि मस्जिद का निर्माण पूरा होने पर वे अपने लिए प्रार्थना करने से पूर्व उनकी खैरियत के लिए दुआ मांगेंगे। 

* 20 सितम्बर को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के एक मुस्लिम दंपति सुबीना बानो और अब्दुल गनी ने आंध्र प्रदेश में तिरुमाला स्थित ‘तिरुमाला मंदिर’ में 1.02 करोड़ रुपए दान किए हैं। यह मंदिर विश्व के सर्वाधिक अमीर मंदिरों में से एक है। इस राशि में से 15 लाख रुपए ‘श्री वेंकटेश्वर अन्न प्रसादम ट्रस्ट’ के लिए हैं जो प्रतिदिन मंदिर में आने वाले हजारों भक्तों को मुफ्त भोजन प्रदान करता है। शेष 87 लाख रुपए ‘श्री पद्मावती गैस्ट हाऊस’ में रसोई में नए फर्नीचर और अन्य चीजों के लिए दिए गए हैं। 

यह दम्पति इससे पहले सब्जियों के परिवहन के लिए मंदिर को 35 लाख रुपए का रैफ्रिजिरेटेड ट्रक भी दान में दे चुका है। यही नहीं, 5 अक्तूबर को मनाए जाने वाले विजयदशमी पर्व के लिए जम्मू में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के विशालकाय पुतलों का निर्माण मेरठ से आए 30 कारीगरों का एक दल कर रहा है जिसमें 15 मुसलमान और अन्य हिन्दू कारीगर शामिल हैं। आगरा के रामलीला मैदान में दशहरा पर्व को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। इस बार 100 फुट से भी अधिक ऊंचा रावण का पुतला बनाया जा रहा है जिसके निर्माण में मुस्लिम समुदाय के सदस्य योगदान डाल रहे हैं। 

यही नहीं, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला का भी कहना है कि‘‘भारत साम्प्रदायिक नहीं, एक धर्मनिरपेक्ष देश है। मैं भी भजन गाता हूं और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। अगर हिंदू अजमेर की दरगाह पर जाएगा तो क्या वह मुसलमान बन जाएगा!’’ 

उक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि भले ही कुछ लोग जाति, धर्म के नाम पर समाज में घृणा फैलाते हों पर इसी समाज में ऐसे लोग भी हैं जिनकी बदौलत देश और समाज में परस्पर प्रेमपूर्वक मिल-जुल कर रहने की भावना जिंदा है। जब तक भाईचारे और सद्भाव के ये बंधन कायम रहेंगे, हमारे देश की ओर कोई टेढ़ी आंख से देखने का साहस नहीं कर सकता।—विजय कुमार 

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