एस.सी.ओ. की क्षेत्रीय आतंकवादरोधी सरंचना की बैठक में एक साथ आएंगे भारत, पाकिस्तान, रूस और चीन

Edited By Updated: 16 May, 2022 03:52 AM

india russia china will come together regional antiterrorist structure meeting

शंघाई सहयोग संगठन (एस.सी.ओ.) 2001 में अस्तित्व में आया था और 2017 में भारत और पाकिस्तान इसके सदस्य बने थे। एस.सी.ओ. ग्रुप विश्व के सबसे बड़े समूहों में  शामिल है। इसमें विश्व  की करीब 40 प्रतिशत आबादी और वैश्विक सकल घरेलू उ

शंघाई सहयोग संगठन (एस.सी.ओ.) 2001 में अस्तित्व में आया था और 2017 में भारत और पाकिस्तान इसके सदस्य बने थे। एस.सी.ओ. ग्रुप विश्व के सबसे बड़े समूहों में  शामिल है। इसमें विश्व  की करीब 40 प्रतिशत आबादी और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 30 प्रतिशत शामिल है। 

इस ग्रुप में रूस, चीन, कजाखिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान, पाकिस्तान तथा भारत शामिल हैं। उज्केबिस्तान इस ग्रुप का अध्यक्ष है और सितम्बर में शिखर सम्मेलन आयोजित करेगा। 2023 में भारत एस.सी.ओ. के शिखर सम्मेलन का आयोजन करेगा। अब भारत इस सप्ताह एस.सी.ओ. की क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी संरचना (आर.ए.टी.एस.) बैठक की मेजबानी करने जा रहा है। यह बैठक 16 से 19 मई के बीच नई दिल्ली में होगी, जिसमें पाकिस्तान भी शामिल हो रहा है। 3 सदस्यीय पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल दोनों देशों के सदस्य बनने के बाद पहली बार भारत में बैठक में शामिल होगा। कोविड-19 के चलते चीनी प्रतिनिधिमंडल वर्तमान में भारत की यात्रा करने में सक्षम नहीं हो सका। 

यहां एक बात महत्वपूर्ण है कि पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सत्ता में आने के बाद पहली बार कोई पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल भारत के दौरे पर पहुंच रहा है। इससे पहले भारत ने पाकिस्तान के साथ 2018 में रूस के चेबरकुल में आतंकवाद विरोधी अभ्यास सहित विभिन्न एस.सी.ओ. पहलों में भी भाग लिया था। आर.ए.टी.एस.का मुख्य मकसद क्षेत्र में आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद का मुकाबला करना है। यह बैठक ऐसे वक्त में हो रही है जब भारत आर.ए.टी.एस. कार्यकारी परिषद का मौजूदा अध्यक्ष है। 

भारत ने इस साल अक्तूबर में दिल्ली के बाहरी इलाके‘मानेसर-एंटी टैरर 2022’ मानेसर में एक एस.सी.ओ. संयुक्त आतंकवाद विरोधी अभ्यास आयोजित करने का भी प्रस्ताव रखा है जिसे सभी सदस्य देशों ने समर्थन दिया है। ऐसे में अब यूक्रेन के बाद सबकी निगाहें एशिया पर टिकी हैं जिसके चलते एशिया में चीन का मुकाबला करने के लिए अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दो दिवसीय सम्मेलन के लिए ‘आसियान’ के नेताओं का व्हाइट हाऊस में स्वागत किया। व्हाइट हाऊस एशिया-पैसेफिक क्षेत्र में चीन का प्रभुत्व समाप्त करना चाहता है। 

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एल.ए.सी.) पर 2020 से ही चीन के साथ गतिरोध बढऩे, पाकिस्तान के साथ ट्रेड बंद होने तथा इस साल यूक्रेन में रूसी आक्रमण के बाद यह पहली अधिकारिक चर्चा है। यदि भारत ने इसका चेयरपर्सन बनना है तो हमारे लिए यह बैठक अति महत्वपूर्ण है। एशिया पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं क्योंकि चीन भी अपना नेवलबेस बढ़ा रहा है। ऐसे में इस क्षेत्र में चीन की बढ़त को कम करने के लिए भारतीय उपस्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है। आर.ए.टी.एस. की बैठक के माध्यम से भारत एक ऐतिहासिक भूमिका निभा सकता है।

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