एन.आर.सी. पर की गई घोषणा से भ्रम के बादल दूर होने के आसार

Edited By ,Updated: 06 Feb, 2020 01:56 AM

nrc but the announcement is expected to clear the confusion

नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (सी.ए.ए.), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एन.आर.सी.) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एन.पी.आर.) को लेकर देश में व्याप्त भ्रम की स्थिति पर 4 फरवरी को लोकसभा में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद द्वारा स्पष्टïीकरण देने के बाद यह आशा...

नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (सी.ए.ए.), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एन.आर.सी.) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एन.पी.आर.) को लेकर देश में व्याप्त भ्रम की स्थिति पर 4 फरवरी को लोकसभा में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद द्वारा स्पष्टीकरण देने के बाद यह आशा करनी चाहिए कि एन.पी.आर. और एन.आर.सी. को लेकर देश में व्याप्त भ्रम के बादल छंट जाएंगे। एक प्रश्र के लिखित उत्तर में नित्यानंद राय ने कहा है कि ‘‘देशभर में एन.आर.सी. लागू करने के बारे में कोई फैसला नहीं किया गया है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि  ‘‘एन.पी.आर. को अपडेट करने के दौरान किसी तरह के कागज की जरूरत नहीं है और इस दौरान आधार कार्ड का नम्बर देना भी वैकल्पिक होगा।’’

उल्लेखनीय है कि सी.ए.ए. के फैसले के तुरंत बाद भारत सरकार ने एन.पी.आर. को अपडेट करवाने का फैसला किया था जिसके बारे में कागजों की मांग को लेकर राज्य सरकारों की ओर से कई तरह के प्रश्र खड़े किए जा रहे थे परंतु अब सरकार ने कहा है कि वह राज्य सरकारों से इस बारे में बात करेगी। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व 10 दिसम्बर, 2019 को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा था कि ‘‘एन.आर.सी. आने वाला है।’’राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी गत वर्ष भाजपा-2 के सत्ता में आने के कुछ ही समय बाद 20 जून, 2019 को कहा था कि सरकार ने प्राथमिकता के आधार पर एन.आर.सी. तैयार करने का फैसला किया है। 

ज्ञातव्य है कि सुप्रीमकोर्ट की निगरानी में असम में एन.आर.सी. अपडेट किया गया था जिसके गत वर्ष 31 अगस्त को प्रकाशित अंतिम प्रारूप में 19 लाख लोगों के बाहर रह जाने पर असम में भारी विवाद छिड़ा हुआ है। देश के अनेक भागों में सी.ए.ए. पर विवाद के चलते प्रदर्शनों और हिंसा के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 दिसम्बर को कहा था कि 2014 में सत्तारूढ़ होने के बाद से उनकी सरकार ने कभी एन.आर.सी. पर चर्चा नहीं की है और बाद में अमित शाह ने भी यह बात दोहराई थी। 

इस प्रकार की भ्रामक स्थिति के बीच नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (सी.ए.ए.), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एन.आर.सी.) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एन.पी.आर.) को लेकर देश के अनेक राज्यों में प्रदर्शनों से देश का राजनीतिक और सामाजिक वातावरण अशांत चला आ रहा है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अनुसार एन.आर.सी. की दहशत से राज्य में 30 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। बहरहाल अब जबकि सरकार ने एन.आर.सी. पर अपना स्टैंड स्पष्ट कर दिया है, अन्य मुद्दों पर भी सरकार को राज्य सरकारों से बात करके भ्रम की स्थिति दूर करके सभी पक्षों की सहमति से कोई बीच का रास्ता निकालने की जरूरत है ताकि देश के हित भी प्रभावित न हों और संबंधित पक्ष भी संतुष्ट रहें।—विजय कुमार 

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