‘भिखारियों का बड़ा निर्यातक बना पाकिस्तान’ कर रहा सबसिडी में गरीबों से भेदभाव

Edited By ,Updated: 01 Oct, 2023 03:52 AM

pakistan becomes a big exporter of beggars

अस्तित्व में आने के समय से ही पाकिस्तान के शासकों पर सेना के दबदबे और कुशासन के परिणामस्वरूप देश की जनता पिस रही है। इसी कारण वहां एक वर्ष के भीतर ही गरीबों की संख्या 5 प्रतिशत बढ़ कर 39.4 प्रतिशत हो गई जो गत वर्ष 34.2 प्रतिशत थी।

अस्तित्व में आने के समय से ही पाकिस्तान के शासकों पर सेना के दबदबे और कुशासन के परिणामस्वरूप देश की जनता पिस रही है। इसी कारण वहां एक वर्ष के भीतर ही गरीबों की संख्या 5 प्रतिशत बढ़ कर 39.4 प्रतिशत हो गई जो गत वर्ष 34.2 प्रतिशत थी। चूंंकि देश की आर्थिक बदहाली का सर्वाधिक खमियाजा तो गरीबों को ही भुगतना पड़ता है, इसलिए खाद्यान्न और र्ईंधन की कमी व आकाश छूती कीमतों के कारण आम आदमी के लिए पेट भरना मुश्किल हो गया है। 

हालत यह हो गई है कि इस समय पाकिस्तान से बड़ी संख्या में भिखारी विदेश जा रहे हैं, जिससे मानव तस्करी को बढ़ावा मिल रहा है तथा पाकिस्तान अरब देशों को भिखारियों का सबसे बड़ा ‘एक्सपोर्टर’ बन गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार अरब देशों में बड़ी संख्या में गिरफ्तार किए गए 90 प्रतिशत भिखारी पाकिस्तान के हैंं। सऊदी अरब, ईराक और ईरान की जेलों में सर्वाधिक पाकिस्तानी भिखारी बंद हैं, जो उमरा (मक्का की तीर्थयात्रा) के नाम पर वीजा लेकर विदेश पहुंचते ही भीख मांगने के धंधे में लग जाते हैं। यहां तक कि ईराक और सऊदी अरब के राजदूत सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि उनकी जेलें पाकिस्तानी भिखारियों से भरी पड़ी हैं तथा सऊदी अरब में गिरफ्तार किए गए जेबकतरों में पाकिस्तानियों की संख्या बहुत अधिक है। इसीलिए सऊदी अरब ने पाकिस्तान सरकार से यहां तक कह दिया है कि जायरीन (तीर्थयात्रियों) के नाम पर हमारे यहां जेबकतरों को भेजना बंद करो। हमारी जेलें तुम्हारे जेबकतरों के कारण भर गई हैं। 

सऊदी अरब ने अपने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की एक बैठक में पाकिस्तान को अपने हज कोटा से जायरीनों (तीर्थयात्रियों) का चयन करने में सावधानी बरतने को कहा है। इस तरह के हालात के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) की प्रबंध निदेशक ‘क्रिस्टालिना जॉर्जीवा’ ने पाकिस्तान के गरीबों को उनकी दुर्दशा से कुछ राहत देने के लिए अमीरों से अधिक टैक्स वसूलने का सुझाव दिया है। आई.एम.एफ. ने पाकिस्तान की डगमगाती अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने के लिए इस वर्ष जुलाई में 1.2 अरब डालर की राहत दी थी, जो 9 महीने के लिए पाकिस्तान को दिए जाने वाले 3 बिलियन अमरीकी डालर के बेलआऊट कार्यक्रम का एक हिस्सा है। आई.एम.एफ. से सहायता लेने के लिए सरकार द्वारा उठाए कदमों के परिणामस्वरूप बिजली और पैट्रोल की कीमतों में भारी वृद्धि से अगस्त माह में महंगाई 27.4 प्रतिशत के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई। 

ऐसे हालात में आई.एम.एफ. की प्रबंध निदेशक ‘क्रिस्टालिना जॉर्जीवा’ ने पाकिस्तान सरकार को अमीरों से अधिक टैक्स वसूल करके गरीबों के हितों की रक्षा करने का सुझाव देते हुए कहा है कि पाकिस्तान के लोग भी यही चाहते होंगे क्योंकि सरकार द्वारा अतीत की कमियों पर ध्यान देकर देश की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना ही वहां के लोगों के हित में है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष अप्रैल में भी ‘क्रिस्टालिना जॉर्जीवा’ ने पाकिस्तान सरकार को अमीरों को राहतें देना बंद करने की सलाह दी थी और कहा था कि ‘‘आॢथक बदहाली से त्रस्त पाकिस्तान यदि सचमुच एक देश के तौर पर काम करना चाहता है और खतरनाक जगह नहीं बनना चाहता तो इसके शासकों को कुछ कदम उठाने होंगे।’’

‘‘टैक्स उन पर बढ़ाया जाए जो अच्छा कमाते हैं और सबसिडी का बंटवारा सही तरीके से किया जाए। जिन्हें जरूरत है उन्हें सबसिडी मिले। यह अमीरों के लिए नहीं बल्कि गरीबों के लिए है।’’उन्होंने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि ‘‘गरीबों को सबसिडी का लाभ न मिलना और अमीरों द्वारा उनको अधिकार से वंचित करना उचित नहीं है। इसलिए अमीरों पर टैक्स बढ़ाना जरूरी है।’’अब तक तो पाकिस्तान दुनिया में सर्वाधिक दहशतगर्दों (आतंकवादियों) के निर्यात के लिए बदनाम था और अब दुनिया में भिखारियों के ‘निर्यात’ के लिए भी चर्चा में आ गया है। जहां पाकिस्तान से तीर्थयात्रा के नाम पर विदेश जा रहे पाकिस्तानी अपने देश के शासकों के लिए शर्मिंदगी का कारण बन रहे हैं, वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंध निदेशक ने पाकिस्तान के शासकों को अमीरों पर भारी टैक्स लगाने का सुझाव देकर देश की खस्ताहाल स्थिति और गरीबों को सबसिडी देने में भेदभाव की पोल खोल दी है।—विजय कुमार  

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