Edited By ,Updated: 15 Jul, 2021 06:32 AM
आज जबकि कार्यपालिका और विधायिका लगभग निष्क्रिय हो रही हैं, केवल न्यायपालिका और मीडिया ही जनहित से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को उठा रहे हैं और न्यायपालिका अपने लोकहितकारी
आज जबकि कार्यपालिका और विधायिका लगभग निष्क्रिय हो रही हैं, केवल न्यायपालिका और मीडिया ही जनहित से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को उठा रहे हैं और न्यायपालिका अपने लोकहितकारी फैसलों से समाज में व्याप्त अनेक बुराइयां दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। हाल ही में विभिन्न अदालतों ने गंभीर अपराधों में शामिल आरोपियों को जमानत देने से इंकार करके समाज के प्रति अपने सरोकार की एक बार फिर पुष्टिï की है जिसके मात्र लगभग 2 सप्ताह के उदाहरण निम्र में दर्ज हैं :
* 28 जून को पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने 2300 नशीली गोलियों के साथ पकड़े गए एक व्यक्ति की जमानत याचिका रद्द करते हुए कहा, ‘‘नशों के व्यापारी अपने लाभ के लिए युवाओं को नशे में फंसा रहे हैं।’’
* 03 जुलाई को पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश न्यायमूर्ति हरनरेश सिंह गिल जहरीली शराब के एक आरोपी की जमानत याचिका रद्द करते हुए बोले, ‘‘यदि ऐसे लोगों को जमानत दी गई तो ये समाज के ताने-बाने को ही नष्टï कर देंगे और इनकी करतूतों से समाज विधवाओं, अनाथ बच्चों और लाचार व बेसहारा बुजुर्गों से भर जाएगा।’’
* 05 जुलाई को पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच.एस. मदान ने एक नशा तस्कर के विरुद्ध दर्ज केस पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘नशा तस्कर स्वयं पकड़े जाने से बचने के लिए गरीब, बेरोजगार लोगों से तस्करी करवाते हैं, अत: यह जानने के लिए याचिकाकत्र्ता आरोपी को हिरासत में रखना जरूरी है ताकि पता चल सके कि वह नशा कहां से प्राप्त करता था और कहां सप्लाई करता था।’’
* 10 जुलाई को दिल्ली की एक अदालत ने कोरोना से बचाव में प्रयुक्त होने वाली वैक्सीन रेमडेसिविर के नकली टीके रखने के आरोप में गिर तार आरोपी को यह कह कर जमानत देने से इंकार कर दिया कि ‘‘आरोपी ने कोविड-19 की गंभीर स्थिति के दौरान उन रोगियों के जीवन से खेलने का प्रयास किया है जिन्हें इस दवा की तुरन्त जरूरत थी।’’
* 12 जुलाई को सुप्रीमकोर्ट के माननीय न्यायाधीश एन.वी. रमण ने ऑनर किङ्क्षलग के एक मामले में आरोपी की जमानत रद्द करते हुए कहा, ‘‘यह गंभीर अपराध है। इसमें जमानत नहीं दी जानी चाहिए। आरोपी को जमानत देने से मृतक की पत्नी व उसके बच्चे को जान का खतरा हो सकता है।’’
* 12 जुलाई को हिमाचल प्रदेश के गांव भदरोहा की रहने वाली नशा तस्कर बचनी देवी और उसके बेटे लवजीत की 1 करोड़ रुपए की स पत्ति को जब्त करने का दिल्ली की विशेष अदालत ने आदेश जारी किया जो इन लोगों ने नशे के कारोबार से बनाई थी।
नशा तस्करों, ऑनर किलिंग तथा नकली रेमडेसिविर दवा के धंधे से जुड़े समाज के दुश्मनों के विरुद्ध न्यायपालिका द्वारा मात्र लगभग 2 सप्ताह में सुनाए गए उक्त लोकहितकारी आदेशों के लिए सभी माननीय न्यायाधीश साधुवाद के पात्र हैं। काश! सभी जज इस तरह के फैसले लें तो देश को अनेक बुराइयों से मुक्त होने में अधिक समय नहीं लगेगा।—विजय कुमार