राजनीतिक महत्वाकांक्षा से टूटते उत्तर प्रदेश और बिहार के ‘यादव परिवार’

Edited By ,Updated: 01 May, 2022 05:23 AM

yadav family  of uttar pradesh and bihar broken by political ambitions

अपना देश राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते पुराने रजवाड़ों से लेकर आजादी के बाद राजनीतिक दलों के पतन का गवाह रहा है तथा देश की स्वतंत्रता के बाद बनी कई पार्टियां टूटन की शिकार बनीं। इन दिनों

अपना देश राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते पुराने रजवाड़ों से लेकर आजादी के बाद राजनीतिक दलों के पतन का गवाह रहा है तथा देश की स्वतंत्रता के बाद बनी कई पार्टियां टूटन की शिकार बनीं।
इन दिनों अब देश की 120 लोकसभा सीटों पर प्रभाव रखने वाले उत्तर प्रदेश और बिहार के 2 सबसे बड़े राजनीतिक ‘यादव’ परिवारों के सदस्यों की महत्वाकांक्षाओं के चलते उनमें अंतर्कलह जोरों पर है।

समाजवादी पार्टी की स्थापना 1992 में मुलायम सिंह यादव ने चंद्रशेखर के नेतृत्व वाली ‘समाजवादी जनता पार्टी’ से अलग होकर की थी। मुलायम सिंह के परिवार में 2017 में असहमति के स्वर उस समय उभरे जब उनके भाई शिवपाल यादव ने पहले ‘समाजवादी सैकुलर मोर्चा’ बनाया और फिर चुनाव लडऩे के लिए ‘प्रगतिशील समाजवादी पार्टी’ (प्रसपा) का गठन किया। इसी बीच चुनावों से ठीक पहले मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना सिंह के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव ने 19 जनवरी को भाजपा में शामिल होकर धमाका कर दिया।

इस झटके से उबरने के लिए अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा परंतु अखिलेश द्वारा शिवपाल को पर्याप्त सीटें न देने के कारण दोनों के बीच विवाद फिर बढ़ गया तथा इन दिनों शिवपाल भतीजे अखिलेश यादव से काफी नाराज बताए जा रहे हैं। प्रदेश की राजनीति में चाचा-भतीजे की लड़ाई अब खुल कर सामने आने के बाद दोनों के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है तथा शिवपाल यादव के अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल होने की चर्चा जोरों पर है जिसके संबंध में अखिलेश यादव ने कहा है कि : 

‘‘अगर हमारे चाचा को भाजपा लेना चाहती है तो देर क्यों कर रही है? मुझे चाचा जी से कोई नाराजगी नहीं है लेकिन भाजपा बता सकती है कि वह क्यों खुश है? चाचा भाजपा में जाना चाहते हैं तो चले जाएं, इसमें देर क्यों कर रहे हैं!’’ इसके जवाब में शिवपाल यादव ने पलटवार करते हुए कहा है कि ‘‘यह एक गैर जि मेदाराना और नादानी वाला बयान है। मैं हाल के विधानसभा चुनाव में विजयी सपा के 111 विधायकों में से एक हूं। यदि वह मुझे भाजपा में भेजना चाहते हैं तो मुझे पार्टी से निकाल दें।’’

शिवपाल यादव ने यहां तक कह दिया है कि समाजवादी पार्टी में उनकी लगातार उपेक्षा हुई है और उन्हें पार्टी में अपमान के सिवा कुछ नहीं मिला : ‘‘यदि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव सबको साथ लेकर चलते तो 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को आसानी से सत्ता से हटाया जा सकता था लेकिन ‘विनाशकाले विपरीत बुद्धि’।’’  

दूसरी ओर बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू यादव का परिवार भी इन दिनों भारी अंतर्कलह का शिकार है और लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप तथा छोटे बेटे तेजस्वी यादव में कुछ समय से मतभेदों की चर्चा जोरों पर है, जिन्हें लालू यादव साध नहीं पा रहे। 

अब जबकि तेजस्वी यादव को लालू यादव लगभग अपना वारिस घोषित कर चुके हैं और वह राजद में प्रतिदिन मजबूत होते जा रहे हैं, ऐसे में राबड़ी देवी भी यही चाहती हैं कि तेजस्वी यादव के हाथों में पार्टी की कमान हो, लेकिन उनकी यह भी इच्छा है कि तेज प्रताप की हैसियत भी कम न हो। परंतु पार्टी में तेज प्रताप की हैसियत तेजस्वी जैसी नहीं है। पार्टी का कोई बड़ा नेता तेज प्रताप को गंभीरता से नहीं लेता तथा समय-समय पर तेज प्रताप यादव द्वारा उठाए जाने वाले ‘नाटकीय’ कदमों से परिवार में विवाद पैदा होता रहता है। 

तेज प्रताप लंबे समय से अपनी मां और परिवार के अन्य सदस्यों से अलग, विधायक के तौर पर आबंटित अपने सरकारी बंगले में रह रहे थे परंतु 26 अप्रैल को अचानक वह अपनी मां राबड़ी देवी के आवास पर पहुंचे और वहीं रात बिताने के साथ ही यह घोषणा कर दी कि अब वह राज्य सरकार द्वारा उन्हें अलाट बंगले में नहीं रहेंगे। उनके मां के आवास में फिर से लौट आने, यानी इस ‘पुनर्मिलन’ को परिवार के लिए खुशी से ज्यादा ‘आशंकाओं’ भरा माना जा रहा है, जिसका संकेत तेज प्रताप के 25 अप्रैल के ट्वीट से मिलता है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वह (राजद से) अपना त्यागपत्र जल्द ही अपने पिता लालू प्रसाद को सौंप देंगे। 

कुछ समय पूर्व पार्टी की युवा इकाई के एक पदाधिकारी की ओर से तेज प्रताप के विरुद्ध लगाए गए गंभीर आरोपों से उत्पन्न विवाद ने भी पार्टी के लिए असुखद स्थिति पैदा कर रखी है। वास्तव में राजनीतिक पार्टियों में टूटन और परिवारों में उठा-पटक का सिलसिला निजी महत्वाकांक्षाओं का ही परिणाम है। ऐसे में कहना मुश्किल है कि उत्तर प्रदेश व बिहार के 2 सबसे बड़े राजनीतिक परिवारों की अंतर्कलह कहां जाकर थमेगी जिससे इनका राजनीतिक आधार खिसक रहा है।—विजय कुमार

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!