Edited By Parminder Kaur,Updated: 03 Dec, 2022 05:02 PM
वाहन निर्माता कंपनीज अक्सर ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाती रहती हैं। कई बार माइलेज को लेकर कंपनी के दावे सही नहीं रहते है और ग्राहकों को कम माइलेज ही मिलता है। हाल ही में एक मामला सामने आया है कि फोर्ड इंडिया अपनी कार का अधिक...
ऑटो डेस्क. वाहन निर्माता कंपनीज अक्सर ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाती रहती हैं। कई बार माइलेज को लेकर कंपनी के दावे सही नहीं रहते है और ग्राहकों को कम माइलेज ही मिलता है। हाल ही में एक मामला सामने आया है कि फोर्ड इंडिया अपनी कार का अधिक माइलेज क्लेम कर मुश्किल में फंस गई है।
यह मामला एक 8 साल पुरानी फोर्ड की कार को लेकर है, जिसमें कार के मालिक ने कंपनी पर गलत माइलेज का दावा कर कार बेचने की शिकायत की और अदालत का दरवाजा खटखटाया। दरअसल केरल के एक आदमी ने साल 2014 में फोर्ड की क्लासिक डीजल कार खरीदी थी। कंपनी ने इस कार में 32 किलोमीटर की माइलेज मिलने का दावा किया था। अधिक माइलेज के दावे से प्रभावित होकर उसने यह डीजल कार खरीदी, लेकिन असल में उसे जो माइलेज मिल रही थी वह दावे से कई गुना कम थी। इसके बाद आदमी ने केरल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने आदमी के द्वारा शिकायत करने के बाद फोर्ड इंडिया के अधिकारियों को खटघरे में खड़ा कर दिया। फिर कोर्ट ने माइलेज चेक करने के आदेश दिए, जिससे पता चला कि कार की असल माइलेज कंपनी के दावे से 40 फीसदी कम थी।
इसके बाद कोर्ट ने फोर्ड इंडिया को कार ग्राहक को 3 लाख रुपये हर्जाना देने का आदेश सुनाया। कोर्ट ने कहा कि फोर्ड इंडिया लिमिटेड और कैराली फोर्ड (शोरूम) ने ग्राहक को अधिक माइलेज का झांसा देकर कार की बिक्री की है, जो कि कानूनी तौर पर अपराध है।