री-डिजाइन करने पर ये कारें हो गईं धीमी

Edited By ,Updated: 01 Dec, 2015 10:16 AM

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जब एक कार कंपनी अपनी किसी कार को री-डिजाइन करती है तो आमतौर पर ज्यादा सुधार, ज्यादा पैसेंजर स्पेस, कार्गो कैपेसिटी और लग्जरी पर ध्यान दिया जाता है

जालंधर : जब एक कार कंपनी अपनी किसी कार को री-डिजाइन करती है तो आमतौर पर ज्यादा सुधार, ज्यादा पैसेंजर स्पेस, कार्गो कैपेसिटी और लग्जरी पर ध्यान दिया जाता है। एक ग्राहक अपनी कार में ये सभी चीजें चाहता है पर ये सभी बदलाव कार के वजन को बढ़ा देते हैं और वजन बढऩे से कार की परफार्मैंस पर भी असर पड़ता है। 

कई बार ऑटोमेकर व्हीकल को बड़ा, आकर्षक और तेज बनाने में कामयाब हो जाते हैं तो कई बार प्रोसैस पूरा होने तक शुरूआत के समय टैस्ट की गई इंजन परफार्मैंस से कम हो जाती है। यहां हमारे पास कुछ ऐसी कारों की उदाहरण हैं जिन्हें कार निर्माताओं द्वारा सुधारने पर इनकी परफार्मैंस कम हो गई।

FERRARI F40/F50

जब फरारी एफ40 का निर्माण शुरू हुआ था तो खुद एंजो फरारी ने अपने इंजीनियर्स को कहा था कि वे दुनिया की सबसे बेहतरीन कार बनाएंगे और जैसा वह चाहते थे उन्होंने ऐसा करके भी दिखाया। इसके बाद फरारी ने एफ50 का निर्माण किया जो टैक्नोलॉजीकली एफ40 से बेहतर थी लेकिन इसे बेहतर बनाने के चक्कर में इसकी रतार (एफ40 201.4 मील प्रति घंटा और एफ50 201 मील प्रति घंटा) पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा।

DODGE NEON SRT4/CALIBER SRE4

डॉज नियोन एसआरटी4 एक टर्बोचाज्र्ड बीस्ट (कार) थी और होंडा हॉट रोडर्स में कोई भी कार इसे टक्कर नहीं दे सकती थी। भारी-भरकम इंजन के साथ यह 0 से 60 (मील प्रति घंटा) की स्पीड 5.3 सैकेंड में पकड़ लेती थी। जब डॉज ने नियोन एसआरटी4 की जगह कैलिबर एसआरटी4 को पेश किया तो इसकी परफार्मैंस भी कम हो गई। इसके डिजाइन में थोड़ा-सा फेरबदल करने के कारण इसकी 0 से 60 मील प्रति घंटा की रतार 5.9 सैकेंड हो गई।

JEEP GRAND CHEROKEE SRT8

पहली पीढ़ी की जीप ग्रांड चिरूकी एसआरटी8 उस समय की पोर्शे की कायेन टर्बो और बीएमडब्ल्यू एक्स5एम को सीधी टक्कर देती थी। उस समय यह कार 4.5 सैकेंड में 0-60 मील प्रति घंटा की रतार पकड़ती थी लेकिन 2012 में जब ग्रांड चिरूकी एसआरटी8 को री-डिजाइन किया गया तो इसकी लग्जरी में इजाफा पर इसकी स्पीड भी कम (4.7 सैकेंड) हो गई।

LAMBORGHINI MIURA/ COUNTACH

लैम्बोर्गिनी मिऊरा (1970) की कवर बॉडी (हल्का-सा मुड़ा हुआ डिजाइन) अजीबो-गरीब एरोडीनमिक्स पैदा करती थी। वहीं इसका आगे का बड़ा हुआ हिस्सा रतार पर बड़ी समस्या पैदा करता था लेकिन मिड माऊंटेड वी12 इंजन इसे 5 सैकेंड में 0-60 मील प्रति घंटा की रतार देता था। लैबोर्गिनी ने 1983 में अपनी कौंटाश 5000 एस में वही वी12 इंजन अपडेट करके लगाया गया। यह 0-60 मील प्रति घंटा की रतार 5.4 सैकेंड में पकडऩे लगी जो मिऊरा से कम है।

MAZDA MAZDASPEED3

माजदा की माजदास्पीड 3 के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ जब कपनी ने 2010 में इस कार को री-डिजाइन किया। माजदास्पीड 3 वर्ष 2007 में आई थी और तब इसकी स्पीड 5.8 सैकेंड (0-60 मील प्रति घंटा) थी और रिडिजाइन करने पर इसे इस रतार पर पहुंचने के लिए 6.1 सैकेंड का समय लगने लगा।

 

 

 

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