देश का गौरव है ‘भारतीय वायु सेना’

Edited By ,Updated: 08 Oct, 2016 12:19 AM

air force armed forces

भारतीय वायु सेना का गठन 8 अक्तूबर 1932 को रॉयल इंडियन एयरफोर्स के नाम से हुआ था और आज ...

भारतीय वायु सेना का गठन 8 अक्तूबर 1932 को रॉयल इंडियन एयरफोर्स के नाम से हुआ था और आज हम भारतीय वायु सेना की 84वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। यह कैसी विडम्बना है कि हमारे सशस्त्र बल और अद्र्धसैनिक बल देश की रक्षा में लगे रहते हैं और उनका स्थापना दिवस ऐसे गुजर जाता है जैसे कि कोई सामान्य अवसर हो।

होना तो यह चाहिए कि प्रत्येक देशवासी इस आयोजन में भाग ले और राष्ट्रीय स्तर पर इसे समारोहपूर्वक मनाया जाए। अभी तो बस ऐसा लगता है कि खानापूॢत ही की जाती है। भारतीय वायु सेना के प्रथम भारतीय प्रमुख एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी बने, इसलिए 1 अप्रैल 1954 को भी भारतीय वायु सेना का जन्मदिन मनाया जाता है। भारतीय वायु सेना की युद्ध और शांति दोनों ही अवस्थाओं में महत्वपूर्ण भूमिका है। इसका शीर्षक गीत भी बहुत ओजपूर्ण है:

जांबाज हम चले, छूने आसमां चले
अपनी तो बस, यही उड़ान है
बड़ी शान से चले, अभिमान से चले
अपनी तो बस, यही पहचान है
ये आसमां है मेरा, ये आसमां है मेरा
जांबाज हम चले, छूने आसमां चले
अपनी तो बस, यही उड़ान है
ये आसमां है मेरा, ये आसमां है मेरा
मिलती है ऊंचाइयां,
 मानो तन्हाई हिम्मतों के साथ है 
तो फिर क्या है ऊंचाई
नाज है हमको हमारे जोश पर ऐसा
सरहदें ऊंचाइयों तक, हमने पहुंचाईं
ये आसमां है मेरा, ये आसमां है मेरा
जांबाज हम चले, छूने आसमां चले
अपनी तो बस, यही उड़ान है
बड़ी शान से चले, अभिमान से चले
अपनी तो बस, यही पहचान है
ये आसमां है मेरा, ये आसमां है मेरा
कुछ नहीं से सब कुछ तक।

भारतीय वायु सेना की शुरूआत केवल चार वैस्टलैंड वापिटी हवाई जहाज, 6 रैपिड एक्शन फोर्स और 19 हवा सिपाहियों से हुई थी। आज यह विश्व में सबसे बड़ी वायु सेना के रूप में चौथे नम्बर पर है। चाहे तकनीकी क्षेत्र हो या युद्ध में पराक्रम दिखाना हो, आज यह सभी आधुनिक साजो सामान से लैस है। हमारी वायु सैन्य शक्ति इतनी मजबूत है कि शत्रु हम पर हमला करने का साहस तो छोडि़ए, कल्पना भी नहीं कर सकता बशर्ते कि वह आत्महत्या ही न करना चाहे।1965 हो या 1971 या फिर कारगिल युद्ध, हमारी सेना ने अद्भुत पराक्रम से शत्रु को मुंह की खाकर परास्त होने के लिए मजबूर किया है। यही नहीं, जब किसी अन्य देश ने भी संकट के समय गुहार लगाई तो हमारी वायु सेना ने अपने शौर्य से चकित किया है।

भारतीय वायु सेना के एक अफसर के रूप में जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और जिन रोमांचक परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है इससे उन्हें लगता है कि इस बल की सेवा से बड़ा पुरस्कार और कोई नहीं है। भारतीय वायु सेना की कार्यप्रणाली ऐसी है कि जैसे-जैसे आपकठिन परिस्थितियों से बाहर निकलते जाते हैं, पद और प्रतिष्ठा में आप आगे बढ़ते जाते हैं। इसी विशेषता के कारण बिल्कुल नीचे से शुरूआत कर सर्वोच्च पद तक पहुंचने के बहुत से उदाहरण हमारी वायु सेना में हैं

यहां न तो चुनौतियों की कमी है और न ही अवसरों की, बस आगे बढ़कर कुछ कर दिखाने का दृढ़ संकल्प होना चाहिए। इस बल के सैनिक और अधिकारियों की अपनी ही एक अलग दुनिया बस जाती है। अनुशासन इस प्रकार जीवन का अंग बन जाता है कि रिटायर होने के बाद अंतिम सांस तक वह एक जीवन प्रणाली बना रहता है। रोमांचक गतिविधियों में भाग लेते-लेते वायु सैनिक इतना दृढ़ हो जाता है कि उसके मन में किसी प्रकार के भय का संचार ही नहीं हो पाता। अनेक राष्ट्रीय समारोहों में जिस प्रकार के करतब वायु सैनिक दिखाते हैं वे अपने आप में अद्भुत तो होते ही हैं, साथ ही दृढ़ संकल्प का प्रतीक भी होते हैं।

कोई भी क्षेत्र ले लीजिए, कहीं भी तैनात कर दीजिए, कहीं भी भेज दीजिए, ये हमेशा सर्वश्रेष्ठ ही सिद्ध होते हैं। बम वर्षा का विश्व रिकार्ड बनाने वाले स्क्वाड्रन लीडर चिन्ना हों जिन्होंने लद्दाख में 5500 मीटर एल्टीच्यूड पर एम.आई. 29 हैलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया था, स्क्वाड्रन लीडर संजय थापर साऊथ जोन में पैराशूटिंग करने वाले पहले भारतीय थे, स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा कोस्मोनॉट के रूप में देश भर में प्रसिद्ध हुए। अंतरिक्ष से तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इन्दिरा गांधी से उनकी बातचीत के स्वर आज भी प्रत्येक भारतीय के कानों में गूंजते हैं, जिसमें उन्होंने कहा था ‘सारे जहां से अच्छा ङ्क्षहदोस्तां हमारा।’

आज हमारी भारतीय वायु सेना के प्रमुख विमानों में मिग-21, मिग-27 और जगुआर नितांत आधुनिक कर दिए गए हैं और मिराज 2000 तथा मिग-29 का आधुनिकीकरण चल रहा है। इसी प्रकार हैलीकाप्टरों को भी आधुनिक बनाया जा रहा है। भविष्य में आधुनिक मारक और भार वाहक विमानों की खेप हमारे बेड़े में सम्मिलित होने वाली है। विभिन्न प्रकार के राडार और नवीनतम हथियार तथा युद्ध में विजय सुनिश्चित करने के लिए नैटवर्क केन्द्रित प्रणालियां विकसित की जा रही हैं। महिला सैनिकों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है।

कुछ भी असंभव नहीं: हिमालय की ऊंचाइयां हों, समुद्र की रहस्य भरी गहराइयां हों, विशाल आकाश हो या निर्जन स्थानों में स्थित कंदराएं हों, भारतीय वायु सैनिक इन सभी क्षेत्रों में अपनी रोमांचक गतिविधियों को लेकर सबसे आगे रहते हैं। रोमांच जीवन का इस कदर अंग बन जाता है कि चाहे युद्ध में विजय प्राप्त करनी हो या शांति काल में नागरिकों की सहायता करनी हो, ये हमेशा आगे रहते हैं।

यदि कभी युद्ध की स्थिति आती है तो वर्तमान परिस्थितियों में वायु सेना की ही निर्णायक भूमिका होगी। वायु सेना की मारक क्षमता पर ही यह निर्भर करेगा कि युद्ध में किसका पलड़ा भारी है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए यह निरंतर आधुनिक तकनीक और अस्त्र-शस्त्र से लैस की जाती रही है। भारतीय वायु सेना अपने सैनिकों और अधिकारियों को इस प्रकार प्रशिक्षित करती है कि एक टीम के रूप में काम करना, उपलब्ध समय को अधिक से अधिक लाभकारी बनाना सीखने के अतिरिक्त समस्याओं का समाधान अनुशासन और जिम्मेदारी से करने की कला आ जाती है जिससे दूसरों को भी प्रेरणा मिलती है।

रिटायरमैंट के बाद एयरफोर्स एसोसिएशन उनके लिए रोजगार या स्वयं को व्यस्त रखने के साधन जुटाने की पहल करती है ताकि वे शेष जीवन आरामदायक परिस्थितियों में सेवा भावना से ओतप्रोत होकर व्यतीत करें। हमारी भारतीय वायु सेना की कार्यप्रणाली, क्षमता और आधुनिक विमानों, हैलीकाप्टरों तथा परिश्रमी, कर्मठ और सेवाभावी सैनिकों को इस अवसर पर शुभकामनाएं। 

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