बजट सत्र में दिग्गजों ने चलाए ‘हास्य-व्यंग्य बाण’

Edited By ,Updated: 28 Mar, 2015 01:38 AM

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हरियाणा में पहली बार बनी भाजपा की सरकार का पहला बजट सत्र किसी विशेष हंगामे की बजाय आपसी नोक-झोंक व कटाक्षों के बीच ही गुजर गया।

(राकेश संघी): हरियाणा में पहली बार बनी भाजपा की सरकार का पहला बजट सत्र किसी विशेष हंगामे की बजाय आपसी नोक-झोंक व कटाक्षों के बीच ही गुजर गया। सत्तापक्ष व विपक्ष के सदस्यों ने एक-दूसरे पर छींटाकशी करने का कोई भी अवसर हाथ से नहीं जाने दिया। इसके बावजूद भी ऐसी नौबत कभी नहीं आई कि विधानसभा अध्यक्ष कंवर पाल गुर्जर को सदन की कार्रवाई में व्यवधान डालने के लिए किसी सदस्य को चेतावनी देनी पड़ी हो या उसे सदन से निलंबित करना पड़ा हो। मुख्य विपक्षी दल इनैलो ने तो अपना ध्यान राज्य सरकार को रचनात्मक सुझाव देने पर ही केंद्रित रखा लेकिन कांग्रेस व हजकां सदस्यों ने कुछ अवसरों पर सदन से बहिर्गमन कर अपना रोष व्यक्त किया। 
सदन में मौजूद दिग्गज नेताओं ने अपने व्यंग्यों से एक-दूसरे पर कटाक्ष कर कई अवसरों पर सभी को खूब हंसाया। व्यंग्यों के ये बाण सत्र के अंतिम दिन तो उस समय काफी हास्यास्पद हो गए जब एक-दूसरे को किस्से सुनाने का दौर चल पड़ा व सत्र की समाप्ति एक-दूसरे का धन्यवाद करने के साथ हास्यपूर्ण वातावरण में हो गई। 
 
आगे-आगे चाले जा, अर रोवे जा
बजट सत्र के दौरान विभिन्न अधिनियमों में संशोधन करने के लिए पेश हुए विधेयकों में अंतिम विधेयक पूर्व राज्य सरकार की ओर से स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती करने के लिए अलग से बोर्ड बनाने के कानून को निरस्त किए जाने से संबंधित था। पूर्व सरकार ने इस बोर्ड का गठन इस उद्देश्य से किया था कि शिक्षा संस्थानों में अध्यापकों की कमी को अति शीघ्र दूर किया जा सकेगा। यह विधेयक पेश करते हुए शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने यह तर्क दिया कि यह बोर्ड अपने उद्देश्यों की पूर्ति पर खरा नहीं उतरा व इस बोर्ड की ओर से की गई भॢतयों में कई अनियमितताएं होने की शिकायतें मिलती रहीं व मामला न्यायालय तक जा पहुंचा। अब भर्तियों की जांच करवानी पड़ रही है।
 
कांग्रेस के करण सिंह दलाल ने इस विधेयक का विरोध करते हुए जब यह कहा कि यदि बोर्ड को भंग कर राज्य कर्मचारी चयन आयोग से ही अध्यापकों की भर्ती करवाई गई तो प्रक्रिया लंबी खिंच सकती है क्योंकि आयोग के पास तो सभी विभागों के लिए भर्ती का कार्य होता है।
 
उनके इस विरोध का जवाब रामबिलास शर्मा ने यह किस्सा सुना कर दिया कि एक वृद्ध महिला जो घर पर अकेली थी, की चक्की का पाट खराब हो गया। उसने रमलू नामक युवक को बुला कर पाट को ठीक करने के लिए कहा व खुद मटका लेकर कुएं पर पानी लेने चली गई। रमलू जब पाट को ठीक करने लगा तो वह टूट गया। उसे लगा कि ताई वापस आकर गुस्सा करेगी। हड़बड़ाहट में उससे दीमक से खाया हुआ दरवाजा भी टूट गया। पास रखी हांडी पर दरवाजा गिर जाने से उसमें रखा तेल भी जमीन पर बिखर गया व अन्य सामान भी इधर-उधर फैल गया। कुछ देर बाद जब ताई पानी लेकर वापस आई तो दरवाजे पर तेल फैला होने से वह फिसल गई और पानी का मटका टूट गया। वह चिल्लाते हुए बोली ‘रमलू तन्ने कित्त कित्त रोऊं।’ 
 
रमलू ने कहा कि ताई ‘आगे-आगे चाले जा, अर देख-देख के रोवे जा।’ यह किस्सा सुनाकर रामबिलास शर्मा ने कहा कि हम तो तुम्हारे किए हुए को देख रहे हैं और रो रहे हैं।
 
मैं हाथ जोड़ लूंगा, तुम मूछ उखाड़ लो
बजट सत्र की समाप्ति पर सदन की कार्रवाई सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करने पर जब एक-दूसरे का धन्यवाद करने का दौर चल रहा था तो सत्तापक्ष की ओर से विभिन्न अवसरों पर चुनाव से पहले वोट बैंक को लुभाने के लिए पूर्व सरकार की ओर से कई घोषणाएं कर दिए जाने के लगते रहे आरोपों का उत्तर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने यह किस्सा सुनाकर दिया कि एक जगह सरपंची के चुनाव हो रहे थे, जिसमें गांव के 2 लोगों के बीच सीधा मुकाबला था। उनमें से एक लोगों से हाथ जोड़ कर अपने लिए वोट मांग रहा था।
 
दूसरे उम्मीदवार ने उससे पूछा कि तुम  हाथ  जोड़  कर  वोट  क्यों  मांग  रहे  हो।  इस पर उसने कहा कि वह तो हाथ जोड़ कर काम चलाएगा। तुम में हिम्मत है तो इनकी मूंछें उखाड़ कर वोट मांग लो। 
 
यह किस्सा सुनाकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने स्वयं की तुलना हाथ जोड़ कर वोट मांगने वाले से करते हुए कहा कि सरकार में हिम्मत है तो वह कर्मचारियों को पंजाब के समान वेतनमान देने व बुढ़ापा पैंशन के मामले में मूंछ उखाड़ कर देख ले।
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