मौत के बाद मुझे दफन किया जाए

Edited By Updated: 26 May, 2021 06:01 AM

bury me after death

जिस दिन कोविड जांच टीम (मुझे नहीं पता कि वे कहां से आए थे। इतने सारे अंतरिक्ष यात्री जैसे जीव जो कई सारे अलग-अलग विभागों, सरकारों, अस्पतालों, परीक्षण केंद्रों से आते हैं और

जिस दिन कोविड जांच टीम (मुझे नहीं पता कि वे कहां से आए थे। इतने सारे अंतरिक्ष यात्री जैसे जीव जो कई सारे अलग-अलग विभागों, सरकारों, अस्पतालों, परीक्षण केंद्रों से आते हैं और मैंने बहुत पहले उन पर हैरान होना बंद कर दिया था और अब चुपचाप उन्हें मेरी नाक, गले में स्टिक डालने तथा खून निकालने देती हूं।) ने घोषित किया कि मुझ पर वायरस ने हमला कर दिया है तो मेरे दिमाग में तुरंत मौत के याल आने लगे। मेरी पहचान के कई सारे लोग मर चुके हैंं। 

दो की मौत तब हो गई जब मैं फोन पर उनके लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था करने की कोशिश कर रही थी। एक अन्य को मेरे द्वारा अस्पताल के मालिक से काफी मिन्नतें करके अस्पताल में भर्ती कराया गया। हर सुबह कोई न कोई व्यक्ति जिसे मैं जानती हूं वह एक याद बन कर रह जाता है। तो अगला कदम यह था, मैं अपने शरीर के साथ क्या करना चाहूंगी? अगर मुझे कोविड हो तो बहुत कुछ नहीं किया जा सकता है : वे शायद आएंगे और इसे ले लेंगे, इसे प्लास्टिक में लपेटेंगे और इसे जलाने के लिए ढेर में फैंक देंगे। लेकिन मैं जलना नहीं चाहती। मैं अभिनेता ल्यूक पेरी की तरह जाना चाहती हूं।

वर्षों से मैं अपने परिवार से मांग कर रही हूं कि मुझे मेरे बगीचे में, पृथ्वी के उस हिस्से में दफनाया जाए, जिसे मैंने शांति और आश्चर्य के जंगल में बदल दिया है। जब मैं रोज उठती हूं, तो इसकी सुंदरता को देखने के लिए दरवाजा खोल देती हूं। मैं दिन-रात सैंकड़ों व्यस्त पक्षियों की आवाजें सुनती हूं। मैं पेड़ों की बेरियों को बदलने के साथ ऋतुआें को बदलते हुए देखती हूं। मेरी पोती को दो, चार पत्ते वाले क्लोवर घास के नीचे छिपे हुए दिखे। मैं इस जंगली स्थान में दफन होना चाहती हूं। मेरे द्वारा बनाया गया यह ‘ईडन’, जहां सभी पेड़ जीवित हैं और पुराना पीपल का पेड़ हम सभी की देखभाल करता है। 

मैं नहीं चाहती कि मुझे लपेट कर भेजा जाए। मैं उस बदसूरत भावनाहीन, कालिख से भरे सरकारी श्मशान में अंतिम संस्कार नहीं करवाना चाहती और अगर मुझे पता चला कि मुझे लकड़ी से जलाया गया है तो मैं ग्लानि से मर जाऊंगी। लेकिन मैं कैसे दफन होना चाहती हूं? एक पुरानी सफेद चादर में लपेट कर और नमक से दबाकर नहीं। मैं अभिनेता ल्यूक पेरी की तरह दफनाया जाना चाहूंगी।

ल्यूक पेरी का 52 वर्ष की आयु में निधन हो गया। मैंने उनके मरने से पहले उनके बारे में कभी नहीं सुना था लेकिन उनके दफनाए जाने के तरीके में मेरी दिलचस्पी जगी। उन्हें उनके खेत में मशरूम से बने एक सूट में, प्राकृतिक अपघटन में तेजी लाने और संदूषित मिट्टी को ठीक करने में मदद करने के लिए विशेष रूप से बनाए गए एक माइसेलियम आधारित ताबूत में दफनाया गया था। यह विषाक्त पदार्थों को बेअसर करता है और पौधों की वृद्धि में सहायक होता है। 

coeio.com नाम की एक कंपनी है जो इन्हें अमरीका में बनाती है। ‘‘स्व-पुनर्चक्रण करने वाले आर्गेनिक सूती सूट/कफन में मशरूम मायसेलियम और अन्य सूक्ष्मजीवों के जैव मिश्रण को डाला जाता है जो अपघटन में सहायता करते हैं, शरीर में पाए जाने वाले विषाक्त पदार्थों को बेअसर करने का काम करते हैं, और पोषक तत्वों को पौधों में अंतरित करते हैं, ताकि मृत व्यक्ति के अवशेष नया जीवन बनाने में मदद करें।’’ 

कुछ धर्म शवों पर इस तरह से लेप लगाते हैं कि मृत व्यक्ति एेसे दिखते हैं जैसे वे सो रहे हों। कर्नेल विश्वविद्यालय की शोध के अनुसार, केवल एक देश-संयुक्त राज्य अमरीका  में दफनाने में लगभग 4$ 3 मिलियन गैलन लेप किए जाने वाले तरल पदार्थ का उपयोग होता है और उसमें से 827,060 गैलन फार्मलाडिहाइड, मिथेनाल, बेंजीन, ग्लूटीजडिहाइड और फिनोल है। वे शव को एेसे ताबूतों में रखते हैं जो अधिक महंगे और अनूठे होते जा रहे हैं। 

ताबूत और शव रखे जाने वाले स्थानों में 20 मिलियन बोर्ड-फीट स त लकड़ी का उपयोग होता है, जिसमें वर्षावनों की लकड़ी शामिल है, साथ ही साथ 17,000 टन तांबा और कांसा, 64,500 टन स्टील लगा होता है जो पर्यावरण में लोहा, तांबा, सीसा, जस्ता और कोबाल्ट रिसता है। और हजारों टन विषाक्त प्लास्टिक भी। अंतिम संस्कार उद्योग ही 20 बिलियन डालर से अधिक कमाता है। और शरीर को इन सभी विषाक्त पदार्थों को मिट्टी में विघटित होने और रिसने में 10 साल से अधिक का समय लगता है। 

अन्य धर्म शवों को जलाते हैं। लाखों पेड़ काटे जाते हैं, खासकर आम के पेड़। अगले 20 साल में वह समय आ जाएगा जब देश में आम ही नहीं बचेंगे। विद्युत शवदाह गृह में दाह संस्कार भी ज्यादा बेहतर नहीं है। यह प्रक्रिया दो घंटे से अधिक समय तक 1,900 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंचने और बनाए रखने के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग करती है, हवा और पानी में डाईऑक्सन और पारा छोड़ती है, और एसिड रेन में पाए जाने वाले नाइट्रोजन ऑक्साइड, डाईऑक्सन और कणीय उत्पाद जैसे उप-उत्पाद छोड़ती है। 

हमारे शवों को किसी एेसी चीज में बदलने की अवधारणा जो पृथ्वी को फिर से पोषित करेगी, कुछ एेसी है जो मुझे आकॢषत करती है। इतने सालों में जितने जानवर मेरे साथ रहे हैं और उस स्वर्ग में चले गए हैं, जहां मेरे पति रहते हैं, उन्हें बगीचे में दफनाया गया है और हमने उनके शरीर पर पेड़ उगाए हैं। उन्होंने बस रूप बदल दिया है -जैसा मैं करूंगी, अगर आप मुझे मरने के बाद इस विलासिता की अनुमति दें तो।-मेनका गांधी

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