‘क्योंकि मेरे पास कहने को कुछ नहीं’

Edited By ,Updated: 24 Jan, 2021 05:13 AM

cause i have nothing to say

मुझे कभी-कभी मानना पड़ता है कि मैं अपना सबसे बड़ा दुश्मन हूं। मैं अपनी मूर्खतापूर्ण नाक को ऐसे मौकों पर मोड़ देता हूं जो अन्य लोग अपने दोनों हाथों से पकड़ लेते हैं। खैर, अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन व्हाइट हाऊस में बस गए हैं लेकिन मुझे

मुझे कभी-कभी मानना पड़ता है कि मैं अपना सबसे बड़ा दुश्मन हूं। मैं अपनी मूर्खतापूर्ण नाक को ऐसे मौकों पर मोड़ देता हूं जो अन्य लोग अपने दोनों हाथों से पकड़ लेते हैं। खैर, अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन व्हाइट हाऊस में बस गए हैं लेकिन मुझे अफसोस है कि मैं 2 बार मूर्खतापूर्ण से फैंक दिया गया या फिर मुझे अधिक ईमानदार होना चाहिए था। मैं यह सब भुनाने में विफल रहा। यदि मैंने ऐसा किया होता तो शायद यह बहुत ही अलग किस्म का लेख होता। 

जुलाई 2013 को मैंने जो बाइडेन से मुलाकात की। मगर उस आदमी में मैंने पर्याप्त रूप से रुचि नहीं दिखाई। उस समय वह ओबामा मंत्रिमंडल में उप राष्ट्रपति थे तथा भारत की यात्रा पर आ रहे थे।  हमारे अपने उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने हैदराबाद हाऊस में एक रात्रि भोज का आयोजन किया जिसमें मुझे आमंत्रित किया गया। कुछ लोगों के लिए यह क्षण किसी ऐसे व्यक्ति को जानने के लिए अवसर रहा होगा जो उस समय अमरीकी राष्ट्रपति पद से केवल एक दिल की धड़कन से दूर होंगे। मूर्खतापूर्ण मेरे पास कुछ अलग-अलग विचार थे। 

हामिद अंसारी के आने के कुछ समय बाद मुझे अमरीकी उप राष्ट्रपति से मिलवाने की पेशकश की गई लेकिन बाइडेन लोगों से घिरे हुए थे। मैं काफी हद तक संकोच कर रहा था क्योंकि मुझे यकीन नहीं था कि मुझे क्या कहना है। मेहमानों में से मैंने किसी और को देखा था और उनसे बात करने के लिए उत्सुक था। इसलिए आज जो बाइडेन को जानने का दावा करने की बजाय मैं वह व्यक्ति हूं जो ऊपर नहीं बढ़ पाया और उनसे हाथ नहीं मिला पाया। प्रत्येक ने ऐसा किया मगर मैं कमरे के एक दूसरे छोर पर चिपका रहा और एक मूर्ख की तरह किसी और के साथ बात में व्यस्त रहा। 

दुर्भाग्यवश यह मेरी खेद कहानियों के संग्रह का अंत नहीं है। दिसम्बर 2015 में मुझे एंटनी ब्लिंकेन के साथ एक साक्षात्कार की पेशकश की गई थी। उस समय वह बराक ओबामा के राज्य के उप सचिव थे। आज वह अमरीकी विदेश मंत्री हैं। सौभाग्य से मैंने इंकार नहीं किया मगर एक बार फिर एंटनी ब्लिंकेन को मैंने उतनी गंभीरता से नहीं लिया जितना मुझे होना चाहिए था। यह 30 मिनट का साक्षात्कार था और ब्लिंकेन वास्तव में आकर्षक थे। काश! मुझे केवल एहसास हुआ जब मैंने पिछले सप्ताह एक बार फिर उन्हें देखा। 5 वर्ष पूर्व मैंने महसूस किया कि एक अमरीकी अधिकारी के साथ एक अन्य साक्षात्कार में मैं फिर कभी नहीं मिलूंगा और न ही कभी सुनूंगा। खैर, जिस निष्कर्ष पर मैं इशारा कर रहा हूं वह स्पष्ट है और मुझे यकीन है कि आपने पहले ही अपने लिए काम कर लिया है। 

पत्रकारों में अक्सर निर्णय की कमी होती है। हमारे पास इतनी प्रतिभा नहीं। कम से कम मुझमें नहीं। हम में उस चीज को सूंघने की शक्ति नहीं जो आने वाले समय में उच्च पर विराजमान होने वाला है। यहां पर दो मौके थे जब मेरे हाथों में से दो मौके फिसल गए। सबसे बुरी बात यह है कि मुझे पता भी नहीं चल रहा था कि आखिर क्या हो रहा है? 

दरअसल एंटनी ब्लिंकेन के साथ मेरी गलती और भी खराब थी। वह एक हड़बड़ी में थे और मैंने साक्षात्कार को 20 मिनट से आगे अपने तरीके से बढ़ाया था। मैं देख सकता था कि वह नाराज थे। दूसरी ओर ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उन्हें इस साक्षात्कार से मजा आया। मुझे उनके सटीक शब्दों के बारे में याद नहीं है लेकिन उनका कहना था कि मुझे सम्पर्क में उनके साथ रहना चाहिए मगर मैंने ऐसा नहीं किया। 

मैंने प्रयास करने की जहमत नहीं उठाई। इसलिए एक बार फिर मैं यह दावा नहीं कर सकता कि मैं नए विदेश मंत्री को जानता हूं। हमारी बैठक रात में गुजरने वाले जहाजों की तरह थी। हम अपने अलग रास्ते चले गए। जैसा कि लांगफैलो ने 1863 में एक वाक्य में कहा था कि, ‘‘जीवन के समुद्र पर हम एक-दूसरे से बोलते हैं और एक-दूसरे के पास से गुजरते हैं। केवल एक नजर और एक आवाज फिर अंधेरा और एक मौन हो जाता है।’’-करण थापर
 

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