ई-कॉमर्स से लाई जा सकती है आर्थिक विकास व रोजगार में तेजी

Edited By Updated: 02 Feb, 2022 06:26 AM

economic growth and employment can be brought about by e commerce

भारत के विकास में मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर का बड़ा योगदान होने जा रहा है। इसके लिए माइक्रो, स्माल, मीडियम एंटरप्राइजिस (एम.एस.एम.इका) को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की तमाम जरूरी

भारत के विकास में मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर का बड़ा योगदान होने जा रहा है। इसके लिए माइक्रो, स्माल, मीडियम एंटरप्राइजिस (एम.एस.एम.इका) को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की तमाम जरूरी सुविधाएं प्रदान की जाएं तो आर्थिक विकास, रोजगार, आय के स्तर में तेजी लाने और सप्लाई चेन क्षमता बढ़ाने के लिए यह डिजिटल क्रांति वरदान साबित होगी।

एम.एस.एम.इका के कारोबार को टिकाऊ और लाभकारी बनाने के लिए समय की मांग न केवल उत्पादन प्रक्रिया में दक्षता और ऑटोमेशन लाना है, बल्कि उन्हें अधिक से अधिक बाजारों तक पहुंचने के लिए स्थानीय और वैश्विक सप्लाई चेन से जोडऩा भी जरूरी है। डिजिटल सशक्तिकरण के बगैर हमारे एम.एस.एम.इका भविष्य के विश्वव्यापी बाजार के मुकाबले के लिए तैयार नहीं हो सकेंगे। 

आज ई-कॉमर्स एक ऐसा क्रांतिकारी परिवर्तन है जिसके विश्वव्यापी मंच से एम.एस.एम.इका कम निवेश पर भी कारोबार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं। अब स्थापित सप्लाई चेन से मुकाबले के लिए डिजिटल क्रांति के जरिए कारोबार और निवेश फायदे का सौदा है। एक सर्वे के मुताबिक, 2020 में ई-कॉमर्स सैक्टर में 8 प्रतिशत और 2021 में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 2024 तक इस सैक्टर में कारोबार 111 अरब डॉलर और 2026 तक 200 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। 2021 में ई-कॉमर्स और संबद्ध उद्योगों (ऑनलाइन फूड बिजनैस, सोशल कॉमर्स, ऑनलाइन किराना) में रोजगार के अवसरों में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 

विकास के साथ रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए भारत की अर्थव्यवस्था के 2025 तक 5 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर का लक्ष्य पाना एक चुनौती है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’, ‘लोकल टू ग्लोबल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ का दृष्टिकोण साकार करने में ई-कॉमर्स मददगार हो सकता है। यह दूर-दराज के इलाकों से भी उत्पादों को राष्ट्रीय बाजार में लाने का मंच है। 

स्टार्टअप और नए ब्रांड भी राष्ट्रीय ब्रांड बनने के अलावा दुनियाभर में छा जाने के अवसर की तलाश में हैं। यह आजीविका के कई अवसरों के जरिए अतिरिक्त आय अर्जित करने का एक बेहतर विकल्प है, जिसका आर्थिक समृद्धि और समावेशी विकास में बड़ा योगदान हो सकता है। कई ऑफलाइन स्टोर भी इन अवसरों का लाभ उठाने के लिए ई-कॉमर्स के रास्ते तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

बाधाएं दूर करने की जरूरत : ई-कॉमर्स सैक्टर के ऑनलाइन कारोबार को आसान करने के रास्ते में आने वाली तमाम बाधाएं दूर करने की जरूरत है। पहला, ई-कॉमर्स मार्कीटप्लेस पर विक्रेताओं को एक से दूसरे राज्य में माल की सप्लाई के लिए जी.एस.टी. थ्रैशहोल्ड छूट (40 लाख रुपए) का लाभ नहीं मिलता, जबकि ऑफलाइन विक्रेताओं को टर्नओवर कम होने के बावजूद इसका लाभ मिल रहा है। 

दूसरा, व्यापार के प्रमुख स्थान (पी.पी.ओ.बी.) की आवश्यकता को विशेष रूप से ऑनलाइन विक्रेताओं के लिए डिजिटल बना कर सरकार उनके गृह राज्य से बाहर अपनी पहुंच का विस्तार करने के लिए ‘फिजिकल’ उपस्थिति की अनिवार्यता खत्म करे। ऑफलाइन होने के कारण विक्रेताओं के पास फिजिकल व्यापार का प्रमुख स्थान होना आवश्यक है, जो ई-कॉमर्स कारोबार के लिए व्यावहारिक नहीं है। 

तीसरा, ई-कॉमर्स की कार्यशैली एम.एस.एम.इका को समझाने की जरूरत है। इसके लिए राज्य सरकारें विशेष ट्रेनिंग कार्यक्रम के साथ जागरूकता सत्र आयोजित करें, इमेजिंग और कैटलॉगिंग जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करने के लिए ई-कॉमर्स संस्थाओं की विशेषज्ञता का लाभ लिया जा सकता है। एम.एस. एम.इका के लिए एम.एस.एम.इका को दुनियाभर के बाजारों तक पहुंचने और डिजिटल मार्केटिंग में निवेश करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन की जरूरत है। 

चौथा, डिजिटल क्रांति अपनाने के लिए फिजिकल और डिजिटल बुनियादी ढांचा महत्वपूर्ण है। सड़क और टैलीकॉम नैटवर्क से न केवल उपभोक्ता तक पहुंच आसान होगी, बल्कि यह दूरदराज के क्षेत्रों के विक्रेताओं को बड़े राष्ट्रीय बाजार के साथ एक्सपोर्ट के लिए भी सक्षम करेगा। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के लिए बनाए गए एक मजबूत लॉजिस्टिक नैटवर्क और वेयरहाऊस चेन से इस कारोबार को और अधिक बढ़ावा मिलेगा। राष्ट्रीय लॉजिस्टिक पॉलिसी ई-कॉमर्स सैक्टर की जरूरतों पर केंद्रित होनी चाहिए और पांचवां, भविष्य की मांग को देखते हुए कौशल नीति और कार्यक्रम ई-कॉमर्स सैक्टर की जरूरतों के मुताबिक बनाए जाएं। 

ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट : ई-कॉमर्स के जरिए एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए विशेष कदम उठाए जाएं। उन उत्पादों की पहचान हो, जिनमें एक्सपोर्ट कारोबार की क्षमता है।  ई-कॉमर्स को ‘एक्सपोर्ट ओरिएंटेड मैन्युफैक्चरिंग कलस्टर्स’ से जोडऩा, एक्सपोर्ट प्रमोशन काऊंसिल्स के साथ गठजोड़, मौजूदा एस.ई.जैड में ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट जोन बनाए जाएं और उन्हें भी एस.ई.जैड को दी जाने वाली रियायतों का लाभ मिले। 

आगे का रास्ता : भारतीय ई-कॉमर्स एक्सपोर्टर्स को वैश्विक बाजारों में सफल बनाने के लिए डिजिटलीकरण में सक्षम बनाने और इसके प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है। विदेश व्यापार नीति को ऐसे क्षेत्रों की पहचान करनी चाहिए जो ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट में शामिल हों। ई-कॉमर्स के जरिए साढ़े 6 करोड़ एम.एस.एम.इका देश के आॢथक विकास एवं रोजगार के अवसर बढ़ाने में कारगर साबित हो सकते हैं।-अमृत सागर मित्तल(सोनालीका ग्रुप के वाइस चेयरमैन एवं कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब योजना बोर्ड के वाइस चेयरमैन)

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