जी.एस.टी. से देश की आर्थिक स्थिति में बड़ा बदलाव आया

Edited By Pardeep,Updated: 25 Dec, 2018 04:24 AM

g s t changes in economic status

वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) 1 जुलाई 2017 से लागू किया गया था। अभी इसने लागू होने के बाद से 18 महीने पूरे नहीं किए हैं। जी.एस.टी. को लेकर लोगों को सही जानकारी नहीं है तथा इसकी उद्देश्यपूर्ण आलोचना की जा रही है। इसकी वास्तविक कारगुजारी क्या रही...

वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) 1 जुलाई 2017 से लागू किया गया था। अभी इसने लागू होने के बाद से 18 महीने पूरे नहीं किए हैं। जी.एस.टी. को लेकर लोगों को सही जानकारी नहीं है तथा इसकी उद्देश्यपूर्ण आलोचना की जा रही है। इसकी वास्तविक कारगुजारी क्या रही है? 

भारत में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली सर्वाधिक खराब थी
भारत में विश्व के किसी भी अन्य देश के मुकाबले सर्वाधिक खराब अप्रत्यक्ष कर प्रणाली थी। केन्द्र तथा राज्य सरकार दोनों को ही कई तरह के कर लगाने की छूट थी। 17 तरह के कर लगाए गए थे। इस तरह से एक उद्यमी को 17 इंस्पैक्टरों का सामना करना पड़ता था, 17 रिटन्र्स तथा 17 कर मूल्यांकन दाखिल करने पड़ते थे। देश में कर की दर बहुत ऊंची थी। वैट की मानक दर तथा उत्पाद शुल्क क्रमश: 14.5 प्रतिशत तथा 12.5 प्रतिशत था। इस पर केन्द्रीय विक्रय कर (सी.एस.टी.) जोड़ा जाता था और इस तरह कर पर कर लगता था। अधिकांश वस्तुओं पर मानक दर 31 प्रतिशत होती थी। इसलिए करदाताओं के पास केवल 2 ही विकल्प होते थे-अधिक कर चुकाएं या कर चोरी करें। ऐसे में कर चोरी बहुत बड़े पैमाने पर होती थी। 

देश में कई बाजार हैं। प्रत्येक राज्य में अलग-अलग बाजार हैं क्योंकि कर की दर अलग-अलग हो सकती है। एक राज्य से दूसरे राज्य में माल बेचना स्वाभाविक रूप से अप्रभावी बन गया था क्योंकि राज्यों की सीमाओं पर ट्रकों को घंटों या कई बार एक से लेकर अधिक दिनों तक रुक कर इंतजार करना पड़ता था। जी.एस.टी. ने अपने लागू होने की तिथि से स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया है। सभी 17 करों को मिलाकर एक कर दिया गया है। सारा भारत एक बाजार बन गया है। अंतर्राज्यीय अवरोध समाप्त हो गए हैं। प्रवेश कर समाप्त करने से शहरों में प्रवेश खुला बन गया है। राज्य 35 से 110 प्रतिशत तक मनोरंजन कर वसूलते थे। इसमें अत्यंत गिरावट आई है। 235 वस्तुओं पर 31 प्रतिशत अथवा उससे अधिक कर वसूला जा रहा था। 10 के अलावा बाकी सभी वस्तुओं को तुरंत 28 प्रतिशत की दर पर नीचे लाया गया। 

10 ऐसी वस्तुओं को इससे भी कम दर पर लाया गया यानी कि 18 प्रतिशत पर। यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी भी वस्तु पर कर तेजी से ऊपर न जाए, अस्थायी तौर पर मल्टीपल स्लैब्स लागू की गईं। इसमें मुद्रास्फीति का प्रभाव शामिल था। आम आदमी से संबंधित अधिकतर वस्तुओं को शून्य अथवा 5 प्रतिशत की दर के बीच रखा गया। रिटन्र्स ऑनलाइन हो गईं, कर मूल्यांकन ऑनलाइन हो जाएंगे, बड़ी संख्या में इंस्पैक्टर गायब हो गए हैं। राज्यों से वायदा किया गया है कि पहले 5 वर्षों के दौरान उन्हें राजस्व में वार्षिक 14 प्रतिशत की वृद्धि सुनिश्चित की जाएगी। 

कठिन लक्ष्य प्राप्त किए 
एक टिप्पणी निरंतर की जाती रही है कि राजस्व की स्थिति निराशाजनक रही है। यह टिप्पणी लक्ष्यों तथा राजस्व वृद्धि दोनों की अपर्याप्त समझ पर आधारित है। जी.एस.टी. में राज्यों के लिए निर्धारित किए गए लक्ष्य अप्रत्याशित रूप से ऊंचे हैं। इसके बावजूद 1 जुलाई 2017 को जी.एस.टी. की शुरूआत हो गई तथा राजस्व वृद्धि के लिए आधार वर्ष 2015-16 माना गया। प्रत्येक वर्ष के लिए 14 प्रतिशत वृद्धि की गारंटी दी गई। यह दूसरे वर्ष में 50 प्रतिशत के करीब पहुंचने वाला है। यह लगभग एक न प्राप्त किया जा सकने वाला लक्ष्य है। फिर भी 6 राज्य पहले ही इसे प्राप्त कर चुके हैं, अन्य 7 इसे प्राप्त करने से बस कुछ ही दूर हैं तथा केवल 18 राज्य अभी भी इस लक्ष्य को प्राप्त करने से 10 प्रतिशत से अधिक दूर हैं। 

तीसरे, चौथे तथा 5वें वर्ष तक, जैसा कि वैट के मामले में है, राजस्व को बढ़ाने तथा अंतर को समाप्त करने की क्षमता में निरंतर वृद्धि होगी। जो राज्य 14 प्रतिशत का लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सके उन्हें मुआवजा उपकर चुकाया जाता है। दूसरे वर्ष में मुआवजा उपकर की जरूरत पहले वर्ष के मुकाबले में काफी कम रहने की आशा है। मौद्रिक रूप में करों में काफी कमी के बावजूद इस वर्ष के पहले 6 महीनों में जी.एस.टी. संग्रह ने पहले वर्ष के मुकाबले उल्लेखनीय सुधार दिखाया है। पहले वर्ष में औसत मासिक कर संग्रह 89,700 करोड़ रुपए था। जबकि दूसरे वर्ष में यह प्रति माह 97,100 करोड़ रुपए है। 

28 प्रतिशत की दर समाप्त करने की तैयारी
हमने एक ऐसी स्थिति का सामना किया है जिसमें जी.एस.टी. से पहले बड़ी संख्या में वस्तुओं पर काफी ऊंचा कर लगाया जाता था। अप्रत्यक्ष कर की कांग्रेस की विरासत 31 प्रतिशत तक थी। हमने आंशिक तौर पर उन्हें 28 प्रतिशत की स्लैब में रख दिया। जैसे-जैसे राजस्व में वृद्धि होती गई, हमने दरों में कमी लानी शरू कर दी। अधिकतर वस्तुओं पर करों में कमी की गई है। आज तम्बाकू उत्पादों, लग्जरी वाहनों, शीरा, एयरकंडीशनर्स, बड़े टी.वी. सैटों, गैस युक्त पानी तथा डिश वाशर्स सहित कुल 28 उत्पादों को छोड़कर सभी वस्तुओं को 28 प्रतिशत से 18 तथा 12 प्रतिशत की स्लैब्स में लाया गया है। केवल सीमैंट तथा ऑटोपार्ट्स जैसी सामान्य इस्तेमाल की चीजें हैं जो 28 प्रतिशत की स्लैब में रह गई हैं। हमारी अगली प्राथमिकता सीमैंट को इससे नीचे वाली दर में लाना है। अन्य सभी बिल्डिंग मैटीरियल्स को 28 प्रतिशत से निकालकर 18 अथवा 12 प्रतिशत के दायरे में लाया गया है। 28 प्रतिशत दर को समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू है। 

नीची कर दरों, कर आधार में वृद्धि, उच्च संग्रहण, व्यापार में आसानी तथा मूल्यांकन में कम से कम दखलअंदाजी के साथ करों में तर्कसंगकता के कारण आने वाले वर्षों में वृद्धि प्रतिशत में बढ़ौतरी होगी। 18 महीनों के समय के दौरान रूपांतरण का काम कर लिया गया है। रूपांतरण में कोई भी बाधा राजस्व अथवा व्यापार के लिए हानिकारक हो सकती थी। जिन लोगों ने भारत को 31 प्रतिशत अप्रत्यक्ष करों से बोझ से दबा रखा था और जो जी.एस.टी. का उपहास करते रहे हैं, उन्हें अपने अंदर झांकना चाहिए। गैर-जिम्मेदाराना राजनीति तथा गैर-जिम्मेदाराना अर्थ-नीति दोनों केवल रसातल में ही ले जाती हैं।-अरुण जेतली

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