पंखों वाले घोड़े की सवारी कर रही सरकार

Edited By Updated: 25 Jul, 2021 04:42 AM

government riding a winged horse

एक मंत्री अपने पद की शपथ लेता है कि वह अपने कत्र्तव्य का निर्वहन बिना किसी भय अथवा पक्षपात, दुर्भावना अथवा स्नेह के करेगा। अब तक तो सब ठीक है मगर सच्चाई बताने के लिए एक वायदा अंतॢनहित है, सारा सच और कुछ नहीं (जैसे कि एक प्रत्यक्षदर्शी अदालत में हो)।...

एक मंत्री अपने पद की शपथ लेता है कि वह अपने कत्र्तव्य का निर्वहन बिना किसी भय अथवा पक्षपात, दुर्भावना अथवा स्नेह के करेगा। अब तक तो सब ठीक है मगर सच्चाई बताने के लिए एक वायदा अंतॢनहित है, सारा सच और कुछ नहीं (जैसे कि एक प्रत्यक्षदर्शी अदालत में हो)। जाहिरा तौर पर ऐसा नहीं है। खुद सच के कई रूप हैं और वह बदलाव कर सकता है (जैसे कि सार्स कोरोना वायरस-2)। सच है मगर एक मायने में सच्चाई के 50 रंग हैं, पूरा सच है तथा वैकल्पिक सच भी है। मैं समझता हूं कि मंत्री अवसर के आधार पर उनमें से एक चुन सकता है। 

एक नए मंत्री ने अपने पहले भाषण में ठीक वैसा ही किया। जब राजनीतिज्ञों, जजों, पत्रकारों, सिविल राइट्स कार्यकत्र्ताओं, विद्याॢथयों, व्यवसायियों तथा सामाजिक मित्रों पर ‘चुने हुए लोगों’ के तौर पर जासूसी का तूफान टूट पड़ा, इस बात का खुलासा हुआ कि हजारों मोबाइल फोन्स के मालिक को ‘हितों के व्यक्ति’ के तौर पर सूचीबद्ध किया गया था। हजारों में से सैंकड़ों मोबाइल फोनों में स्पाइवेयर द्वारा घुसपैठ करके उन्हें हैक कर लिया गया जिसके लिए पेगासस नामक मालवेयर का इस्तेमाल किया गया। हितधारक लोगों की सूची में मंत्री शामिल है।

पौराणिक कथा 
(यहां पौराणिक कथा का संक्षिप्त वर्णन असामायिक नहीं होगा। ग्रीक पौराणिक कथाओं के अनुसार पेगासस एक पंखों वाला घोड़ा है जो मेदुसा के रक्त से उत्पन्न हुआ। यह जीयस का सेवक बन गया तथा जब भी जरूरत पड़ी जीयस को अपनी ‘गरज तथा कौंध’ के नीचे ले आता था। पेगासस एक रहस्यमयी जीव है जो सब कुछ करने में सक्षम है, जो दैवीय प्रेरणा अथवा स्वर्ग के लिए यात्रा का प्रतीक है। यह कुछ-कुछ इस नारे की तरह है कि ‘मोदी है तो मुमकिन है।’)  इसराईल में एन.एस.ओ. नामक ग्रुप के स्वामित्व वाला पेगासस नामक सॉ टवेयर अब भारत सरकार का सेवक है तथा जब कभी भी जरूरत पड़े (जो इन दिनों बहुत आम है) सरकार को इसकी ‘गिर तार तथा जेल में डालना’ की असाधारण ताकत का इस्तेमाल करने में सक्षम बनाता है। यह अच्छे दिनों की यात्रा की ओर भी ले जाता है। 

उदारता तथा क्षमाशीलता दिखाते हुए मंत्री ने जासूसी के आरोपों के खिलाफ सरकार का बचाव किया। उनका बचाव करने बारे पहले से ही  पता था। उन्होंने कहा कि यदि कोई ‘तर्क के प्रिज्म’ के माध्यम से देखें तो इसमें कोई ‘अनाधिकृत जासूसी’ नहीं थी। यह बचाव ऐसा था जिसकी कोई भी आई.आई.टी. कानपुर तथा व्हार्टन बिजनैस स्कूल के भूतपूर्व छात्र से आशा कर सकता है। इस तरह के त्रुटिहीन तर्क को खारिज करना कठिन है। हालांकि एक औसत शिक्षा वाला एक औसत नागरिक प्रिज्म के तर्क से वाकिफ नहीं होता,  और एक सीधे प्रश्न का उत्तर जानना चाहता है : क्या पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल करके जासूसी ‘अधिकृत’ थी? निश्चित तौर पर मंत्री अधिकृत तथा अनाधिकृत जासूसी के बीच अंतर जानते हैं। वह पहले कुछ आधारभूत प्रश्नों के उत्तर  प्राप्त करके नागरिक के प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं : 

साधारण प्रश्न
-क्या इस बात का सबूत है कि पेगासस स्पाइवेयर ने भारत में फोन्स में घुसपैठ की?
-क्या सरकार अथवा इसकी किसी एजैंसी ने पेगासस स्पाइवेयर प्राप्त किया?
-सॉफ्टवेयर प्राप्त करने के लिए कितनी रकम चुकाई गई तथा प्रत्येक उपकरण में सॉ टवेयर इंस्टाल करने के लिए कितनी कीमत अदा की गई? (कोट की गई कीमतें अत्यधिक हैं लेकिन बल्क आर्डर के लिए डिस्काऊंट हैं)
-क्या मंत्री ने अपने फोन को फोरैंसिक जांच के लिए पेश किया ताकि पता लगाया जा सके कि उसे हैक किया गया है?
यहां एक अन्य दिलचस्प ङ्क्षबदू है। मंत्री ने एन.एस.ओ. ग्रुप के खंडन का हवाला दिया है कि ‘ऐसी सेवाएं खुले तौर पर किसी के लिए भी, कहीं भी तथा किसी समय भी उपलब्ध हैं और इनका इस्तेमाल सामान्य तौर पर विश्वभर में सरकारी एजैंसियों के साथ-साथ निजी क पनियां करती हैं।’ एन.एस.ओ. ग्रुप ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि ‘एन.एस.ओ. अपनी तकनीकें केवल अनुभवी सरकारों की कानून लागू करने वाली तथा खुफिया एजैंसियों को भी बेचता है।’ 

एन.एस.ओ. ग्रुप के वक्तव्य में सेवाओं का हवाला दिया गया है जो खुले तौर पर एच.एल.आर. को उपलब्ध हैं न कि पेगासस का। जो भी हो, यदि पेगासस केवल अनुभवी सरकारों को ही बेचा गया है तो एक साधारण प्रश्र है कि क्या भारत सरकार एक ऐसी ही अनुभवी सरकार है? यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नए मंत्री को अपनी पारी की शुरूआत एक खराब पिच पर शुरू करनी पड़ी है। मगर मंत्री को फ्रांस तथा इसराईल द्वारा उत्तर ढूंढ कर हमारे साथ सांझे करने से पहले इसके उत्तर उपलब्ध करवाने चाहिएं। (फ्रांस ने राष्ट्रपति मैक्रों की संदिग्ध जासूसी के मामले में जांच के आदेश दिए हैं तथा इसराईल ने एन.एस.ओ. ग्रुप के खिलाफ आरोपों की समीक्षा के लिए एक आयोग की नियुक्ति की है।) 

क्या निजता की कोई कीमत है?
मेरे पास एक उकसाहटपूर्ण सुझाव है। आत्मनिर्भरता के इन दिनों में यह कुछ निराशाजनक है कि भारत सरकार ने प्राचीन भारत के वीर राजाओं द्वारा इस्तेमाल किए गए भारतीय घोड़ों, जिन्होंने अश्वमेध यज्ञ करवाया था, के नाम को स्पाइवेयर की बजाय ‘पेगासस’ को चुना। 

सरकार बीजक नामक स्पाइवेयर की तलाश कर सकती थी, गीतकार-नाट्य लेखक चीनू मोदी द्वारा लिखे गए गुजराती नाटक अश्वमेध का घोड़ा। या फिर पुरुकुत्सा, कुमारविष्णु, समुद्रगुप्त, पुलकेशिन द्वितीय तथा राजा राजा चोला जैसे राजाओं से प्रेरित मोदी की सरकार एक प्रबल सफेद घोड़े की तलाश करके अश्वमेध यज्ञ करवा कर योद्धा भक्तों के साथ सभी राज्यों में भेज सकती थी और सारे भारत की भूमि पर सत्ताधारी पार्टी की सर्वोच्चता स्थापित कर सकती थी। इस तरह से सत्ताधारी पार्टी हर पांच वर्षों में होने वाले चुनावों के शोर से छुटकारा पा सकती थी और सारे देश पर अपना शासन स्थापित कर सकती थी। जासूसी पर प्रश्नों का ‘राष्ट्र विरोधी’, ‘विदेशी ताकतों’ तथा ‘वामपंथी संगठनों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय साजिश’ जैसे आरोपों से सामना किया जा सकता है। जासूसी को एक राष्ट्र भक्त कत्र्तव्य का दर्जा दिया जा सकता है। और जब तक सरकार द्वारा जासूसी को न्यायोचित ठहराने के लिए काफी लोग हैं, भारत के मनहूसियत की ओर बढ़ते कदमों को कौन रोक सकता है?-पी. चिदंबरम
 

Related Story

    Trending Topics

    IPL
    Royal Challengers Bengaluru

    190/9

    20.0

    Punjab Kings

    184/7

    20.0

    Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

    RR 9.50
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!