ऑनलाइन शादी के बढ़ते खतरे

Edited By ,Updated: 01 Jan, 2024 06:13 AM

increasing dangers of online marriage

जब से सोशल मीडिया का नैटवर्क पूरी दुनिया में बढ़ा है तब से इसका प्रयोग करने वालों की संख्या भी करोड़ों में पहुंच गई है। इसका एक लाभ तो यह है कि दुनिया के किसी भी कोने में बैठा व्यक्ति दूसरे छोर पर बैठे व्यक्ति से 24 घंटे सम्पर्क में रह सकता है।

जब से सोशल मीडिया का नैटवर्क पूरी दुनिया में बढ़ा है तब से इसका प्रयोग करने वालों की संख्या भी करोड़ों में पहुंच गई है। इसका एक लाभ तो यह है कि दुनिया के किसी भी कोने में बैठा व्यक्ति दूसरे छोर पर बैठे व्यक्ति से 24 घंटे सम्पर्क में रह सकता है। फिर वह चाहे आपसी चित्रों का आदान-प्रदान हो, टैलीफोन वार्ता हो या कई लोगों की मिलकर ऑनलाइन मीटिंग हो। इसका एक लाभ उन लोगों को भी हुआ है जो जीवन साथी की तलाश में रहते हैं। फिर वह चाहे पुरुष हों या महिलाएं।

हम सबकी जानकारी में ऐसे बहुत से लोग होंगे जिन्होंने इस माध्यम का लाभ उठा कर अपना जीवन साथी चुना है और सुखी वैवाहिक जीवन बिता रहे हैं। पर हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। अगर एक पहलू यह है तो दूसरा पहलू यह भी है जहां सोशल मीडिया का दुरुपयोग करके बहुत सारे लोगों को धोखा मिला है और आॢथक व मानसिक यातना भी झेलनी पड़ी है। 

भारत में किसी अविवाहित महिला का जीवन जीना आसान नहीं होता। उस पर समाज और परिवार का भारी दबाव रहता है कि वह समय रहते शादी करे। चूंकि आजकल शहरों की लड़कियां काफी पढ़-लिख रही हैं और अच्छी आमदनी वाली नौकरियां भी कर रही हैं इसलिए प्राय: ऐसी महिलाएं केवल माता-पिता के सुझाव को मान कर पुराने ढर्रे पर शादी नहीं करना चाहतीं। वे अपने कार्य क्षेत्र में या फिर सोशल मीडिया पर अपनी पसंद का जीवन साथी ढूंढती रहती हैं। 

इसके साथ ही ऐसी महिलाओं की संख्या कम नहीं है जो कम उम्र में तलाकशुदा हो गईं या विधवा हो गईं। इन महिलाओं के पास भी अपने गुजारे के लिए आॢथक सुरक्षा तो जरूर होती है परन्तु भावनात्मक असुरक्षा के कारण इन्हें भी फिर से जीवन साथी की तलाश रहती है। इन दोनों ही किस्म की महिलाओं को दुनिया भर में बैठे ठग अक्सर मूर्ख बना कर मोटी रकम ऐंठ लेते हैं। बिना शादी किए ही इनकी जिंदगी बर्बाद कर देते हैं।

ऐसी ही कुछ सत्य घटनाओं पर आधारित बी.बी.सी. की एक वैब सीरीज ‘वैडिंग कॉन’ इसी हफ्ते ओ.टी.टी. प्लेटफार्म एमजॉन प्राइम पर जारी हुई है। यह सीरीज इतनी प्रभावशाली है कि इसे हर उस महिला को देखना चाहिए जो सोशल मीडिया पर जीवन साथी की तलाश में जुटी हैं। बॉलीवुड की मशहूर निर्माता-निर्देशक तनुजा चंद्रा ने बड़े अनुभवी और योग्य फिल्मकारों की मदद से इसे बनाया है। इस सीरीज में जिन महिलाओं के साथ हुए हादसे दिखाए गए हैं उनमें से एक विधवा महिला तो अपनी मेहनत की कमाई का लगभग डेढ़ करोड़ रुपया उस व्यक्ति पर लुटा बैठी जिसे उसने कभी देखा तक न था। 

इसी तरह एक दूसरी महिला ने 50 लाख रुपए गंवाए तो तीसरी महिला ने 22 लाख रुपए। चिंता की बात यह है कि ये सभी महिलाएं खूब पढ़ी-लिखी, संपन्न परिवारों से और प्रोफैशनल नौकरियों में जमी हुई थीं। शादी की चाहत में सोशल मीडिया पर ये ऐसे लोगों के जाल में फंस गईं जिन्होंने अपनी असलियत छिपा कर शादी की वैब साइटों पर नकली प्रोफाइल बना रखे थे। ये ठग इस हुनर में इतने माहिर थे कि उनकी भाषा और बातचीत से इन महिलाओं को रत्ती भर भी शक नहीं हुआ। वे बिना मिले ही उनके जाल में फंसती गईं और उनकी भावुक कहानियां सुन कर अपने खून-पसीने की कमाई उनके खातों में ट्रांसफर करती चली गईं। 

इन महिलाओं को कभी यह लगा ही नहीं कि सामने वाला व्यक्ति कोई बहुरूपिया या ठग है और वह बनावटी प्यार जता कर इन्हें अपने जाल में फंसा रहा है। इनमें से 2 व्यक्ति तो ऐसे निकले जो तीस से लेकर पचास महिलाओं को धोखा दे चुके थे। तब कहीं जा कर पुलिस उन्हें पकड़ पाई। आश्चर्य की बात यह है कि संभ्रांत परिवार की यह पढ़ी-लिखी महिलाएं इस तरह ठगों के झांसे में आ गईं कि पूरी तरह लुट जाने के पहले उन्होंने कभी अपने माता-पिता तक से इस विषय में सलाह नहीं ली और न ही उन्हें अपने आर्थिक लेन-देन के बारे में कभी कुछ बताया। जब इन्हें यह अहसास हुआ कि वे किसी आधुनिक ठग के जाल में फंस चुकी हैं तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अब पछताए होत क्या जब चिडिय़ा चुग गई खेत। इस अप्रत्याशित परिस्थिति ने उन्हें ऐसा सदमा दिया कि कुछ तो अपने होशोहवास ही गंवा बैठीं। उनके माता-पिता को जो आघात लगा वह तो बयान ही नहीं किया जा सकता। 

फिर भी इनमें से कुछ महिलाओं ने हिम्मत जुटाई और पुलिस में शिकायत लिखवाने का साहस दिखाया। फिर भी ये ज्यादातर ठगों को पकड़वा नहीं सकीं। साइबर क्राइम से जुड़े  पुलिस के बड़े अधिकारी और साइबर क्राइम के विशेषज्ञ वकील ये कहते हैं कि मौजूदा कानून और संसाधन ऐसे ठगों से निपटने के लिए नाकाफी हैं। इनमें से भी जो ठग विदेशों में रहते हैं उन तक पहुंचना तो नामुमकिन है। क्योंकि ऐसे ठगों का प्रत्यर्पण करवाने के लिए भारत की दूसरे देशों से द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि नहीं है। देसी ठगों को भी पकडऩा इतना आसान नहीं होता क्योंकि वह फर्जी पहचान, फर्जी आधार कार्ड, फर्जी पैन कार्ड, फर्जी टैलीफोन नंबर का प्रयोग करते हैं और अपने मकसद को हासिल करने के बाद इन सबको नष्ट कर देते हैं। 

इस सीरीज की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि यह करोड़ों भारतीय महिलाओं को बहुत गहराई से ये समझाने में सफल रही है कि शादी के मामले में सोशल मीडिया की सूचनाओं को और इसके माध्यम से संपर्क में आने वाले व्यक्तियों को तब तक सही न मानें जब तक उनकी और उनके परिवार की पृष्ठभूमि की किसी समानांतर प्रक्रिया से जांच न करवा लें। कोई कितना भी प्रेम क्यों न प्रदर्शित करे, अपने वैभव का कितना भी प्रदर्शन क्यों न करे उसे एक पैसा भी शादी से पहले किसी कीमत पर न दें। शादी के बाद भी अपने धन और बैंक अकाऊंट को अपने ही नियंत्रण में रखें,उसे नए रिश्ते के व्यक्ति के हाथों में न सौंप दें वरना जीवन भर पछताना पड़ेगा। जिन महिलाओं के पास ओ.टी.टी. प्लेटफार्म की सुविधा नहीं है अपने मित्रों या रिश्तेदारों के घर जा कर इस सीरीज को अवश्य देखें और अपने साथियों को इसके बारे में बताएं ताकि भविष्य में कोई महिला इन ठगों के जाल में न फंसे।-विनीत नारायण
 

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