देश में औद्योगिक ‘उत्पादन घटा’ थोक और खुदरा ‘महंगाई बढ़ी’

Edited By ,Updated: 17 Mar, 2021 03:46 AM

industrial  production down  in the country

जहां देश में कोरोना महामारी के कारण रोजगार के अवसर कम हो गए हैं वहीं भारत में औद्योगिक उत्पादन में भी गिरावट आई है। गत दिवस जारी किए गए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार निर्माण क्षेत्र में उत्पादन जनवरी 2021 में 2 प्रतिशत घटा है जबकि

जहां देश में कोरोना महामारी के कारण रोजगार के अवसर कम हो गए हैं वहीं भारत में औद्योगिक उत्पादन में भी गिरावट आई है। गत दिवस जारी किए गए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार निर्माण क्षेत्र में उत्पादन जनवरी 2021 में 2 प्रतिशत घटा है जबकि इसी महीने खनन उत्पादन में 3.7 प्रतिशत की कमी आई है। 

दूसरी ओर लगातार बढ़ रही महंगाई आम आदमी की कमर सीधी नहीं होने दे रही। पैट्रोल, डीजल और घरेलू गैस की कीमतों ने सड़क से रसोई तक लोगों को परेशान कर दिया है। मात्र पिछले 32 दिनों में ही देश में घरेलू गैस के दामों में 4 बार वृद्धि की गई है व इसके सिलैंडर की कीमत में 125 रुपए की वृद्धि हो गई है। केंद्र सरकार द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार देश में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सी.पी.आई.) पर आधारित खुदरा महंगाई फरवरी में बढ़ कर 5.3 प्रतिशत के उच्च शिखर पर पहुंच गई है जबकि एक मास पूर्व जनवरी महीने में यह 4.06 प्रतिशत थी। खुदरा महंगाई बढऩे के लिए मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि जिम्मेदार है। 

यह बात उल्लेखनीय है कि अक्तूबर-मार्च 2016 से लेकर वर्ष 2020 के बीच खुदरा महंगाई औसतन 3.9 प्रतिशत रही थी। इसी प्रकार थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई भी फरवरी, 2021 में बढ़ कर 4.17 प्रतिशत हो गई जो मात्र एक मास पूर्व जनवरी, 2021  में 2.03 प्रतिशत थी तथा दिसम्बर 2020 में इससे भी कम अर्थात 1.22 प्रतिशत थी। फरवरी महीने में खाद्य पदार्थों के दाम 1.36 प्रतिशत बढ़े हैं। 

मुख्य रूप से दालों, रिफाइन्ड तेल, घी तथा मसालों के भावों में भारी उछाल आया है। प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर के अनुसार फरवरी में थोक महंगाई लगातार दूसरे महीने बढ़ कर पिछले 27 महीनों के उच्चतम शिखर पर पहुंच गई है। इस पर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में विभिन्न वस्तुओं, कच्चे तेल और र्ईंधन के दामों में वृद्धि के अलावा खाने-पीने के दामों में वृद्धि का असर पड़ा है। 

अदिति नायर ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगले तीन महीनों में विभिन्न वस्तुओं के दामों में उछाल आने के परिणामस्वरूप थोक महंगाई दर में और वृद्धि होगी तथा राहत मिलने की संभावना बिल्कुल नहीं है। यही नहीं इस वर्ष उत्पादन घटने और निर्यात बढऩे के परिणामस्वरूप कृषि क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विभिन्न मसालों की कीमतों में भी औसतन 40 प्रतिशत तक की तेजी आई है जबकि जानकारों के अनुसार आगे चल कर इनके भाव में और तेजी आने की संभावना है। वर्ष 2020 में अधिकांश मसालों की बिजाई के रकबे में 5 से 10 प्रतिशत तक की कमी आ जाने के परिणामस्वरूप भी इनके उत्पादन में भी 15 से 20 प्रतिशत तक गिरावट आ जाने के कारण कीमतें बढ़ी हैं। 

मंडियों में जनवरी-फरवरी में हल्दी की कीमत बढ़ कर 112 रुपए, धनिया 115 रुपए, जीरा 179 रुपए, लाल मिर्च 220 रुपए तथा काली मिर्च 490 रुपए प्रति किलो तक हो गई है। कमर तोड़ महंगाई से आम आदमी की गृहस्थी कितनी गड़बड़ा गई है इसका अनुमान कुछ समय पूर्व करवाए गए एक सर्वेक्षण से लगाया जा सकता है जिसमें 66 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें अपनी आय तथा दैनिक खर्चों के बीच तालमेल बिठाने में अत्यंत कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। अधिकांश लोगों के अनुसार उनकी आय तो स्थिर रही परंतु खर्च बहुत बढ़ गया है जबकि कुछ अन्य ने कहा कि उनका दैनिक घरेलू खर्च तो बढ़ गया है परंतु आय बहुत घट गई है। 

कुल मिला कर अच्छे दिनों का सपना अभी तक सपना ही बना हुआ है। महंगाई की यह स्थिति लोगों का जीवन-यापन लगातार कठिन होता जाने की ओर संकेत करती है जिसका निवारण सुधारात्मक उपायों और देश में रोजगार के अवसर बढ़ाने से ही संभव है। सरकार को प्रमुख अर्थशास्त्रियों के साथ परामर्श करके इस स्थिति का सामना करने के उपाय तलाश करने चाहिएं। दूसरे देशों से भी इस सम्बन्ध में मार्गदर्शन लिया जा सकता है कि उन्होंने संकट के इस दौर का किस तरह सामना किया है। जहां तक रिजर्व बैंक का संबंध है महंगाई में तेजी और उत्पादन में कमी इस बात का संकेत है कि इसे अपनी भावी आर्थिक नीतियों में जल्दी ही उदारवादी रुख अपनाना होगा।—विजय कुमार

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