असद की मुठभेड़ पर विवाद के मायने

Edited By Updated: 16 Apr, 2023 04:35 AM

meaning of controversy over asad s encounter

माफिया अतीक अहमद के बेटे और उमेशपाल हत्याकांड में वांछित इनामी आरोपी असद अहमद की पुलिस मुठभेड़ में मृत्यु पर जारी राजनीतिक घमासान से किसी को आश्चर्य नहीं हो सकता।

माफिया अतीक अहमद के बेटे और उमेशपाल हत्याकांड में वांछित इनामी आरोपी असद अहमद की पुलिस मुठभेड़ में मृत्यु पर जारी राजनीतिक घमासान से किसी को आश्चर्य नहीं हो सकता। वैसे तो पुलिस मुठभेड़ आमतौर पर हमारे यहां राजनीति से लेकर एक्टिविस्टों के द्वारा विवाद का विषय बनाए जाते रहे हैं। उसमें भी यह विषय उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार एवं एक ऐसे अपराधी के परिवार का है जिसके नाम पर वोट भी मिलता रहा है। 

क्या यह सच नहीं है कि 24 फरवरी को उमेशपाल की दिन-दहाड़े हत्या करने के बाद अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता प्रवीण और असद अहमद सहित 5 अपराधी भागते फिर रहे थे। अगर आरोपी स्वयं आत्मसमर्पण नहीं करेंगे तो पुलिस की दशा क्या होती है यह बताने की आवश्यकता नहीं। पूरा राजनीतिक विपक्ष और वैचारिक विरोधी योगी सरकार से बार-बार प्रश्न कर रहे थे कि इतने दिनों बाद उमेशपाल की हत्या करने वाले अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं हुए? 

स्वाभाविक ही पुलिस पर भारी दबाव था क्योंकि मुख्यमंत्री ने स्वयं विधानसभा में घोषणा की थी कि इस माफिया को मिट्टी में मिला देंगे। मुख्यमंत्री की घोषणा का अर्थ है कि पुलिस मुस्तैदी से कानून का पालन करते हुए उस वचन को पूरा करे। योगी आदित्यनाथ से विचार के स्तर पर किसी का मतभेद हो सकता है लेकिन अपराध के विरुद्ध शून्य सहिष्णुता और कानून व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्धता को कोई नकार नहीं सकता। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में अपराध को नियंत्रित करना सामान्य चुनौती नहीं रही है। 

पुलिस द्वारा मुठभेड़, गिरफ्तारियां, जब्ती ,बुलडोजर से ध्वस्तीकरण आदि कार्रवाई बड़े वर्ग के लिए भय से मुक्ति का कारण बना तो कुछ के लिए कौतूहल एवं विरोधियों के लिए प्रश्न उठाने, संदेह पैदा करने का मुद्दा। अतीक अहमद की गिरफ्तारी से लेकर उमेशपाल की हत्या और अब असद अहमद एवं गुलाम मोहम्मद के मुठभेड़ में मारे जाने तक के पूरे घटनाक्रम पर सरसरी तौर पर नजर दौड़ाइए और कुछ निष्कर्ष निकालिए। क्या पूर्व की सरकारों में पुलिस द्वारा ऐसी कार्रवाई संभव थी? क्या अतीक अहमद को इतने समय तक जेल में रखना और उसे सजा दिलवाने तक की कानूनी प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद कोई कर सकता था? क्या इस बात की संभावना भी व्यक्त की जा सकती थी कि उत्तर प्रदेश के शीर्ष बाहुबली माफिया का पूरा साम्राज्य ध्वस्त हो जाएगा और उसका परिवार दर-दर ठोकरें खाने को विवश? 

स्थिति देखिए, पत्नी फरार ,स्वयं और भाई जेल में, 2 बेटे जेल में, 2 बाल सुधार गृह में और 1 पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। मनुष्य का यह सामान्य स्वभाव है कि बड़े से बड़ा और क्रूर अपराधी भी सजा पाने या गिरफ्तारी के बाद परेशान हो, उसके परिवार के लोग मुठभेड़ में मारे जाएं, सजा पाएं तो उनके प्रति भी सहानुभूति पैदा हो जाती है। जिस तरह का वीडियो फुटेज उमेशपाल की हत्या का दिख रहा है उसको सामने रखिए और सोचिए कि जिस समय उस पर गोलियां चलीं, बम चले उसके और उसके परिवार पर क्या गुजर रही होगी? उसकी मृत्यु के बाद उसके परिवार की दशा क्या होगी? 

पुलिस जानबूझ कर उसे मारेगी इस पर संदेह करने के पर्याप्त आधार हैं। आखिर असद के जिंदा पकड़े जाने के बाद बहुत सारे अपराध से पर्दा हट सकता था। उमेशपाल की हत्या की भी पूरी साजिश का पता चल सकता था। अतीक तो जेल में था। सामने क्या हो रहा था यह उसे पता था। जितने ठोस सबूत पूरे परिवार और उनके साथियों के विरुद्ध आ गए हैं उनमें न्यायालय से उसका बच निकलना संभव नहीं था। इसलिए जानबूझ कर पुलिस उसे मौत के घाट नहीं उतारना चाहेगी। यह बात सही है कि योगी आदित्यनाथ के कड़े रुख के बाद पुलिस प्रशासन ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी थी कि अतीक का अपराधी परिवार ही नहीं उससे जुड़े हुए सारे अपराधी, उसमें सहयोग करने वाले लोगों के लिए भी कहीं छिपना असंभव हो गया था। जितनी जानकारी सामने आई है असद अहमद और गुलाम लगातार जगह बदलते भाग रहे थे। 

हम मानते हैं कि चाहे अपराधी कितना बड़ा हो, कार्रवाई में शत-प्रतिशत कानूनों का पालन होना चाहिए। लेकिन संदेह करने वाले प्रश्न उठाने वालों को भी ऐसे मामलों में ज्यादा गंभीर और परिपक्व होना चाहिए। अखिलेश यादव या उनकी पार्टी, मायावती, असदुद्दीन ओवैसी आदि का बयान राजनीतिक ज्यादा है। किसी के पास इस बात का जवाब नहीं कि आखिर हत्या करने के बाद पुलिस से वह भागता क्यों फिर रहा था जबकि स्पष्ट हो गया था कि पूरी सरकार के सामने उसको जिंदा या मुर्दा लाना कानून व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्धता को साबित करने जैसा हो गया था। विरोधी अब योगी प्रशासन पर यह प्रश्न नहीं उठा सकते कि उमेश पाल के हत्यारे कहां हैं? 

पुलिस ने घटना के 4 दिन बाद मुठभेड़ में अरबाज को मार गिराया। 6 मार्च को उस्मान उर्फ विजय को मुठभेड़ में ढेर कर दिया। असद और गुलाम के बाद केवल 2 अपराधी बचे हैं , गुड्डू मुस्लिम और साबिर। उत्तर प्रदेश और देश का माहौल ऐसा है जिसमें लोग कहने लगे हैं कि यह होती है अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई। इस तरह अपराधियों के बीच पूरी कानूनी ताकत से टूट पडऩे के उदाहरण देश में कम ही उपलब्ध हैं। 

लोग कह रहे हैं कि जिसने अपराध किया वह ठिकाने लगा या जेल में बंद है एवं उसकी सारी संपत्तियां खत्म हो गईं। इससे सारे अपराधियों एवं अपराध को रोमांच मानकर भविष्य में अपराधी बनने वालों के अंदर भी डर पैदा हुआ होगा। अतीक की दशा अनेक को अपराध छोड़कर सामान्य जीवन में आने को विवश कर देगी। अतीक जिस तरह मीडिया के सामने कह रहा था कि हम मिट्टी में मिल चुके हैं अब रगड़ा जा रहा है , साल और महीना तो छोडि़ए जेल में होने के बावजूद कुछ दिनों पहले तक उसके ऐसे करुण वक्तव्य सुनने को नहीं मिल सकते थे। लोग देख रहे हैं कि अपराधी से बड़ा अभागा कोई नहीं होता। अतीक और अशरफ की शनिवार देर रात 3 हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी।-अवधेश कुमार 
 

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