Edited By Shubham Anand,Updated: 21 Dec, 2025 10:38 AM

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण गंभीर स्तर पर पहुंच गया है। राजधानी का औसत AQI 393 दर्ज किया गया, जबकि कई इलाकों में यह 450 से ऊपर रहा। नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम में हवा खतरनाक श्रेणी में है। हालात देखते हुए ‘नो पीयूसी, नो फ्यूल’ नीति लागू की गई...
नेशनल डेस्क : देश की राजधानी दिल्ली इन दिनों भीषण वायु प्रदूषण की चपेट में है। आसमान पर छाई सफेद परत अब सामान्य कोहरा नहीं, बल्कि जहरीली धुंध है, जिसने पूरी दिल्ली को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है और ‘बहुत खराब’ श्रेणी से निकलकर ‘गंभीर’ स्थिति की ओर बढ़ चुका है। हालात ऐसे हैं कि हर सांस के साथ लोगों के शरीर में प्रदूषक तत्व प्रवेश कर रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य संबंधी खतरे गहराते जा रहे हैं। शुक्रवार सुबह दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 393 दर्ज किया गया, जबकि कई इलाकों में यह 450 के पार पहुंच गया।
दिल्ली-एनसीआर में कहां कितनी खराब है हवा?
दिल्ली के साथ-साथ एनसीआर के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता बेहद चिंताजनक स्तर पर पहुंच चुकी है। कई स्थानों पर हवा को ‘खतरनाक’ श्रेणी में रखा गया है। प्रमुख इलाकों में दर्ज किए गए AQI आंकड़े इस प्रकार हैं।
नोएडा: 416
ग्रेटर नोएडा: 362
गाजियाबाद: 360
गुरुग्राम: 348
इन आंकड़ों से साफ है कि सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि पूरा एनसीआर क्षेत्र गंभीर वायु संकट का सामना कर रहा है।
‘नो पीयूसी, नो फ्यूल’ नीति लागू, प्रशासन ने कसे शिकंजे
बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए इमरजेंसी जैसी पाबंदियां लागू कर दी हैं। दिल्ली के बाहर से आने वाले उन निजी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है, जो BS-6 उत्सर्जन मानकों से नीचे हैं। इसके साथ ही राजधानी के पेट्रोल पंपों को निर्देश दिए गए हैं कि बिना वैध PUC (प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र) के किसी भी वाहन को ईंधन न दिया जाए।
वायु गुणवत्ता चेतावनी प्रणाली (AQEWS) ने भी हालात को लेकर चेतावनी जारी की है। सिस्टम के अनुसार, अगले दो से तीन दिनों तक मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण प्रदूषण के स्तर में और इजाफा हो सकता है, जिससे लोगों की परेशानी बढ़ने की आशंका है।
आखिर क्यों बिगड़ रहे हैं हालात?
पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक, हवा की बेहद धीमी रफ्तार और तापमान में गिरावट ने दिल्ली को लगभग ‘गैस चैंबर’ में बदल दिया है। जब हवा नहीं चलती, तो प्रदूषक कण वातावरण में ऊपर उठने के बजाय जमीन के पास ही जमा हो जाते हैं। वाहनों से निकलने वाला धुआं, औद्योगिक इकाइयों का उत्सर्जन और निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल प्रदूषण को और अधिक बढ़ा रही है। इसके अलावा पंजाब और हरियाणा में अब भी जारी पराली जलाने की घटनाओं से उठने वाला धुआं दिल्ली की हवा को लगातार जहरीला बना रहा है।
सेहत पर बढ़ता खतरा, क्या करें और क्या न करें?
डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों से विशेष सावधानी बरतने की अपील की है। खासतौर पर बच्चों, बुजुर्गों और दमा या सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।
मास्क का उपयोग अनिवार्य: घर से बाहर निकलते समय केवल N95 या N99 मास्क का इस्तेमाल करें, ताकि हानिकारक कणों से बचाव हो सके।
आउटडोर गतिविधियों से परहेज: सुबह की सैर, दौड़ या खुले में व्यायाम करने से बचें, क्योंकि सुबह के समय प्रदूषक तत्व जमीन के सबसे करीब होते हैं।
घर के अंदर रहें: बच्चों और बुजुर्गों को अधिकतर समय घर के अंदर ही रखें और खिड़की-दरवाजे बंद रखें।
एयर प्यूरीफायर का सहारा: यदि संभव हो तो घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें, जिससे इनडोर हवा को कुछ हद तक साफ रखा जा सके।