पी.एम. मोदी के 7 सालों का रिपोर्ट कार्ड

Edited By Updated: 08 Jun, 2021 05:26 AM

pm report card of 7 years of modi

पिछले सप्ताह नरेन्द्र मोदी सरकार ने केन्द्र में अपने 7 साल पूरे किए। कोविड-19 महामारी के कारण मोदी सरकार राजनीतिक तथा आर्थिक मोर्चे पर विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रही है। पिछले 7

पिछले सप्ताह नरेन्द्र मोदी सरकार ने केन्द्र में अपने 7 साल पूरे किए। कोविड-19 महामारी के कारण मोदी सरकार राजनीतिक तथा आर्थिक मोर्चे पर विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रही है। पिछले 7 वर्षों के लिए मूल आर्थिक पैरामीटर पर इसकी कार्यकुशलता को दर्शाने और उसे देखने का समय है। 

यह भी दिलचस्प होगा कि मोदी के कार्यकाल को डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यू.पी.ए. सरकार (2004 से लेकर 2010-11) के साथ तुलना। मनमोहन सिंह ने 2014 की शुरूआत में एक प्रैसवार्ता के दौरान कहा था कि इतिहास उनके प्रति समकालीन मीडिया की तुलना में ज्यादा दयालु होगा। 

महत्वपूर्ण आर्थिक पैरामीटरों में से एक जी.डी.पी. वृद्धि है। यह बहुत ज्यादा उत्तम नहीं है क्योंकि इसने गरीबों पर प्रभाव को नहीं पकड़ा। मगर ऊंची जी.डी.पी. वृद्धि को आर्थिक कार्यकुशलता के लिए केन्द्रित माना जाता है। मोदी सरकार के अन्तर्गत जी.डी.पी. वृद्धि की औसतन वार्षिक दर मात्र 4.8 प्रतिशत रही। जबकि डॉ. मनमोहन सिंह सरकार के पहले 7 वर्षों में यह दर 8.4 प्रतिशत की थी। 

यदि हम कोविड-19 के प्रभाव के कारण सिकुड़े 2020-21 के वित्तीय वर्ष को बाहर निकालें तो अभी भी मोदी सरकार के 6 वर्ष की औसत 6.8 प्रतिशत तक खड़ी है जोकि मनमोहन सिंह के 8.4 प्रतिशत की दर से काफी नीचे है। यदि ऐसा चलता रहा तो 2024-25 तक मोदी का 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का सपना पूरा नहीं हो सकता। हालांकि मोदी सरकार का मंदी के मोर्चे पर स्कोर बेहतर नजर आता है। सी.पी.आई. (ग्रामीण तथा शहरों को जोड़कर) 4.8 प्रतिशत की दर से वार्षिक बढ़ रही है। यह आर.बी.आई. के लक्षित बैंड की छूट की सीमा के भीतर है और यह मनमोहन सिंह सरकार के पहले 7 वर्षों के दौरान 7.8 प्रतिशत से भी कम है। 

मेरी मुख्य रुचि हालांकि अनाज तथा कृषि को लेकर है क्योंकि अर्थव्यवस्था में कार्यबल को लेकर इसका बहुत बड़ा हिस्सा शामिल है। ये गरीब खंड के लिए भी मायने रखता है। कृषि मोर्चे पर दोनों सरकारों ने अपने पहले 7 वर्षों के दौरान 3.5 प्रतिशत की वाॢषक औसतन वृद्धि दर पाई है। हालांकि खाद्य एवं खाद सबसिडी के मामले में मोदी सरकार ने महामारी जैसे वित्तीय वर्ष 2021 में सभी रिकार्डों को तोड़ डाला (सी.जी.ए. की रिपोर्ट के अनुसार केन्द्र सरकार के सभी राजस्व 38.5 प्रतिशत रहे)। इसके अलावा संचित अनाज भंडार 2021 में मई की समाप्ति पर 100 मिलियन टन को पार कर गया। वास्तव में यह भारत के अनाज प्रबंधन में बड़ी अयोग्यता दर्शाता है। 

प्रधानमंत्री मोदी इस क्षेत्र में सुधारों से गुरेज करते हैं। एक ऐसा क्षेत्र जिसमें मोदी सरकार ने बेहतर नहीं किया है वह कृषि क्षेत्र है। 2013-14 में यू.पी.ए. सरकार के अंतिम वर्ष कृषि निर्यात 43 बिलियन डॉलर पार कर गया। जबकि मोदी सरकार के सातों वर्षों में कृषि निर्यात 43 बिलियन डॉलर के आंकड़े से भी नीचे रहा। बढ़ते उत्पादन के साथ सुस्त कृषि निर्यात ने अनाज की कीमतों पर प्रभाव डाला। 

अर्थव्यवस्था की लंबी अवधि की वृद्धि के लिए मूलभूत विकास महत्वपूर्ण है। पावर जैनरेशन के मामले में मोदी सरकार ने बेहतर किया है। इसने मनमोहन सिंह की सरकार के प्रतिवर्ष 720 बिलियन यूनिट से ज्यादा 1280 यूनिट बढ़ाए हैं। इसी तरह सड़क निर्माण में मोदी सरकार ने 30 प्रतिशत तेजी से काम किया है। सामाजिक क्षेत्र जोकि अति महत्वपूर्ण है इसमें हमारे पास सरकार की ओर से कोई विश्वसनीय आंकड़ा नहीं है। इंदिरा आवास योजना तथा पी.एम. आवास योजना-ग्रामीण के अंतर्गत वार्षिक तौर पर बनाए गए घरों की गिनती 21 लाख से बढ़कर 30 लाख प्रतिवर्ष हो गई। 

मिला-जुलाकर यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार ने जी.डी.पी. मोर्चे पर बेहतर नहीं किया। उम्मीद की जा सकती है कि एक बार कोविड-19 नियंत्रित हो जाए तो सरकार वृद्धि नीतियों पर अपना ध्यान केन्द्रित कर सकती है। भारत वापसी कर सकता है। इस दौरान मोदी सरकार को उसके बाकी के रहते वर्षों के लिए नीति निर्माताओं को मांग को बढ़ाने, एम.एस.एम.ई. को समर्थन देने तथा स्वास्थ्य एवं कृषि ढांचे पर ध्यान देना होगा।-अशोक गुलाटी

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