‘पॉजिटिव मरीजों’ के क्लिनिकल मैनेजमैंट के लिए ‘पंजाब की रणनीति’

Edited By ,Updated: 07 Aug, 2020 03:30 AM

punjab strategy for clinical management of positive patients

पंजाब में कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों के लिए तुरंत प्रतिक्रिया हेतु तैयारी, अंतर-क्षेत्रीय समन्वय, कड़ी निगरानी, कंटेनमैंट, व्यापक टेस्टिंग, समय पर रोग की पहचान और व्यापक इलाज मुहैया करवाया ...

पंजाब में कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों के लिए तुरंत प्रतिक्रिया हेतु तैयारी, अंतर-क्षेत्रीय समन्वय, कड़ी निगरानी, कंटेनमैंट, व्यापक टेस्टिंग, समय पर रोग की पहचान और व्यापक इलाज मुहैया करवाया जा रहा है। 

इस समय पंजाब में स्वास्थ्य संभाल संस्थाएं इलाज मुहैया करवाने के लिए मेरे नेतृत्व वाली विशेषज्ञ कमेटी द्वारा तैयार किए गए क्लिनिकल  मैनेजमैंट मैनुअल में दिए गए दिशा-निर्देशों की पालना कर रही हैं, मैनुअल में स्वास्थ्य संभाल सेवाएं देने वालों के लिए निर्देश दिए गए हैं। यह राष्ट्रीय प्रोटोकोल और राज्य की ज़रूरतों के बीच एक सेतु है और तजुर्बेकार प्रशिक्षण और बढिय़ा अभ्यासों पर आधारित है। हमारा लक्ष्य देश के प्रमुख स्वास्थ्य संभाल प्रैक्टीशनरों के आधुनिक प्रमाणों और सर्वसम्मति के आधार पर पंजाब के लोगों को अत्याधुनिक इलाज मुहैया करवाना है। 

कोविड-19 में रीमेडिसविर और डैक्सामैथासोन की नैदानिक भूमिका एवं संकेत अलग-अलग हैं। रीमेडिसविर पहले वायरस में दाखि़ल होता है और सामान्य मामलों में लाभदायक होता है, डैक्सामैथासोन कोविड-19 के गंभीर मरीजों की साईकोकिन स्ट्रोम जान बचाने के लिए सहायक होती है। नई दवा रीमेडिसविर कुछ मरीजों के लिए उनके स्वास्थ्य की स्थिति के आधार पर इस्तेमाल की जाती है। 

रीमेडिसविर एक एंटी वायरल एजैंट है, जिसका प्रयोग एमरजैंसी में कम गंभीर कोविड-19 मरीजों के लिए किया जा सकता है। यह एम. ओ. एच. एफ. डब्ल्यू. के दिशा-निर्देशों के अनुसार ऑक्सीजन की जरूरत वाले मरीजों को दी जाती है। इसके प्रयोग से मृत्यु दर की कमी में कोई ज्यादा लाभ नहीं होता, परन्तु फिर भी दूसरे समूह के मुकाबले रिकवरी 4 दिन जल्दी होती है। इसलिए पंजाब में विशेषज्ञ समूह ने स्वास्थ्य की स्थिति के आधार पर इसका प्रयोग सीमित करने की सलाह दी गई है। 

डैक्सामैथासोन गंभीर कोविड-19 मरीजों के इलाज में इस्तेमाल की जा रही है, जोकि और ज्यादा सुरक्षित और आम ही उपलब्ध है। अगर सही समय पर कोविड-19 मरीज के लिए इसका प्रयोग किया जाए, तो मृत्यु दर को घटाया जा सकता है। गंभीर कोविड-19 के मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता द्वारा ज्यादा प्रतिक्रिया होती है, जिसको आम तौर पर एसाईटोकाईन स्ट्रोम कहा जाता है, जो घातक सिद्ध हो सकता है, क्योंकि यह गंभीर सांस की परेशानी के लक्षणों और कई अंगों के काम न करने से जुड़ा हुआ है।

डैक्सामैथासोन एंटी-इंफ्लेमेटरी के तौर पर काम करता है और गंभीर एवं कम गंभीर मरीजों के लिए लाभकारी होता है। इंगलैंड (यूनाइटेड किंगडम) की रिकवरी क्लिनिकल ट्रायल में कोविड-19 वाले अस्पताल में दाखिल मरीजों में इसका मूल्यांकन किया गया है और यह पाया गया कि गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए यह लाभकारी है। वैंटिलेटरों वाले मरीजों के लिए मृत्यु दर में लगभग एक तिहाई और सिर्फ ऑक्सीजन की ज़रूरत वाले मरीजों में मृत्यु दर तकरीबन पांचवें हिस्से तक कम हुई थी। 

इस ड्रग का प्रयोग कई दशकों से किया जा रहा है और कई किस्म के लक्षणों में इसने सुरक्षित और प्रभावशाली रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। डैक्सामैथासोन 1977 से कई किस्म के लक्षणों और मल्टीपल फॉर्मूलेशनों के लिए जरूरी दवाएं (ई.एम.एल.) की डब्ल्यू.एच.ओ. मॉडल सूची में है।  गंभीर कोविड-19 मरीजों को उचित ऑक्सीजन देने के लिए नैसल कैनुला या नॉनइन्वेसिव वैंटीलेशन का प्रयोग किया जाता है। बहुत से मरीजों को इन क्लिनिकल अभ्यासों से लाभ हुआ है। गंभीर  मामलों में टोसीलोजुम्ब और मिथाईलप्रीडनीसोलोन का प्रयोग बहुत ही लाभदायक रहा है और इन तकनीकी सुविधाओं से कुछ मरीजों को पहले वैंटिलेटर से राहत मिली और बाद में वह पूरी तरह ठीक हो गए हैं। 

पंजाब सरकार के दखल और दूरदृष्टि ने यह यकीनी बनाया है कि हम महामारी का सबसे बढिय़ा ढंग से प्रबंधन कर रहे हैं। पंजाब ने प्राईवेट हैल्थ केयर सैक्टर के साथ हिस्सेदारी की है, जिससे उपलब्ध स्रोतों के व्यापक और बढिय़ा प्रयोग को यकीनी बनाया जा सके। ट्रीटमैंट प्रोटोकोल और निगरानी ने महामारी के फैलाव को रोका है। इसके साथ ही कम मृत्यु दर को भी यकीनी बनाया गया है। पंजाब में प्रति मिलियन सबसे कम 11.2 प्रति मिलियन मौतें (भारत में 25.3 प्रति मिलियन) हुई हैं। पंजाब में ज्यादातर मौतें सह-रोगों के नतीजे के तौर पर हुई हैं। (लेखक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा संबंधी पंजाब सरकार के सलाहकार, पूर्व निदेशक, पी.जी.आई. चंडीगढ़, पूर्व प्रमुख, काॢडयोलोजी, एम्ज़ नई दिल्ली, पूर्व चेयरमैन, बोर्ड ऑफ गवर्नर्का तथा एम.सी.आई. हैं।)-डा. के. के. तलवाड़

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