पंजाब की राजनीतिक तकदीर का फैसला पंजाबी खुद करेंगे

Edited By Updated: 25 Jan, 2022 07:25 AM

punjabis themselves will decide the political fate of punjab

पंजाब का राजनीतिक माहौल पूरी तरह से गर्म है। 20 फरवरी को पंजाब की राजनीतिक तकदीर का फैसला पंजाबियों ने खुद करना है। पंजाब की तकदीर अच्छी बनेगी या खराब होगी, इसका ...

पंजाब का राजनीतिक माहौल पूरी तरह से गर्म है। 20 फरवरी को पंजाब की राजनीतिक तकदीर का फैसला पंजाबियों ने खुद करना है। पंजाब की तकदीर अच्छी बनेगी या खराब होगी, इसका परिणाम 10 मार्च को आएगा लेकिन पंजाब के लोग अथवा वोटर इस बार क्या निर्णय लेते हैं, यह मामला बहुत गंभीर है। 

पिछले तीन दशकों से पंजाब का राजनीतिक इतिहास ही एक गवाही दे रहा है कि सरकारें बनती हैं, सरकारें चली जाती हैं, पंजाब के लोगों को सिवाय लारों के विकास से कुछ भी नहीं मिला। इन तीन दशकों में केवल 2 परिवारों ने ही पंजाब की राजनीति में राज किया है वे हैं बादल परिवार तथा कैप्टन का खानदान या अकाली तथा कांग्रेस पार्टियां। 

इन पारंपरिक पार्टियों का एक ही फंडा रहा है कि अपने शासनकाल के मात्र आखिरी 5-6 महीनों में पंजाब के विकास की बातें की हैं, थोड़ी-बहुत गलियां, नालियां, टूटी सड़कें, श्मशानघाटों की दीवारें बनती हैं, लोगों को तरह-तरह के मुफ्त के लालच मिलते हैं, वोटों वाले दिनों में खूब शराब, अफीम, भुक्की, चिट्टा, स्मैक हर तरह का नशा लोगों में बांटा जाता है। पंजाबियों का गौरव, गैरत, जमीर नशों में बर्बाद कर दिया गया है, पंजाब का यही विकास हुआ है। 

1980 से पहले पंजाब के सिर कोई कर्ज नहीं था, आज पंजाब 3 लाख करोड़ का कर्जाई हो गया है। पंजाब में जन्म लेते हर बच्चे के सिर एक लाख का कर्ज चढ़ जाता है। ये तत्कालीन सरकारें तथा दोनों पारंपरिक पार्टियां अकाली तथा कांग्रेस हमारे धार्मिक ग्रंथों तथा गुरु साहिब की बेअदबी का इंसाफ नहीं दे सकीं।

पंजाब का किसान आत्महत्या करने वाले चौराहे में मरने के लिए मजबूर है। पढ़े-लिखे नौजवान, जिन्होंने पंजाब के भविष्य के वारिस बनना था, मजबूर होकर विदेशों में रोजी-रोटी कमाने के लिए जा रहे हैं। पंजाब की जवानी, पंजाब की किसानी, पंजाब की फसलें, पंजाब की नस्लें, पंजाब के व्यापारी, पंजाब के खिलाड़ी, पंजाब के मुलाजिम तथा कोई भी ऐसा अन्य वर्ग नहीं बचा जो खुशहाल पंजाब का उदाहरण दे सके, सबको अपनी तबाही ही आगे दिखाई देती है।

शिक्षा, खेल, संस्कृति तथा स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है। इस कारण समझदार तथा पढ़े-लिखे लोग  पंजाब की राजनीति से दूर चले गए हैं। पंजाब के नेता लोग एक ही रट लगाते हैं कि ‘एक मौका दें, पंजाब की तकदीर बदल देंगे’ यदि टिकट नहीं मिली तो फिर पार्टी बदल देंगे। इतने ही जमीर के मालिक हैं पंजाब के ये राजनीतिक वारिस। पंजाब की मंदहाली की यह तस्वीर बनाने के लिए कौन जिम्मेदार है? 

पंजाबियो, खबरदार हो जाओ, एक बार फिर ये राजनीतिक लुटेरे आपके द्वार पर आपको बड़े-बड़े लालच देकर आपके अरमान, आपके भविष्य, आपके जज्बात लूटने आएंगे मगर इस बार या तो ये लुटेरे बदले जाएंगे या एक बार फिर आप खुद लुट जाओगे। यह फैसला आपका जीवित जमीर करेगा कि आप पंजाब के प्रति कितने वफादार हैं क्योंकि ये राजनीतिक पार्टियां एक महा झूठ बोलने की तैयारी में हैं और आपने इनके झूठ में फंसना है या नहीं, यह निर्णय आपके हाथ है। 

इस बार पंजाब की सभी विधानसभा सीटों का मुकाबला 4 या 5 कोणीय है और आपने वह प्रतिनिधि चुनना है जो साफ-सुथरे किरदार वाला हो तथा आपके क्षेत्र को व पंजाब को आगे ले जाने की क्षमता रखता हो। पंजाबियो, यदि कहीं आपने पारंपरिक पाॢटयों को इस बार फिर पंजाब के राजनीतिक मालिक बना दिया तो फिर पंजाब की तबाही का मंजर तथा अपने ही कारण अपने बच्चों के भविष्य की बर्बादी हम अपनी आंखों से देख कर जाएंगे। ‘बचा लो ओ पंजाबियो, यदि बचता है पंजाब तो’। आखिरी निर्णय पंजाब के मतदाताओं के हाथ में है, बाकी गुरु भला करेंगे, पंजाब कारब राखा।-जगरूप सिंह जरखड़

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