चीन को दरकिनार कर रूस आएगा भारत के पाले में

Edited By Updated: 29 Apr, 2022 03:37 PM

russia will come in india s court bypassing china

रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते पूरी दुनिया में रूस को अलग-थलग करने की मुहिम चल रही है, साथ ही अमरीका सहित पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं।

रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते पूरी दुनिया में रूस को अलग-थलग करने की मुहिम चल रही है, साथ ही अमरीका सहित पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। रूस में काम करने वाली विदेशी कंपनियां भी वहां से अपना काम समेट रही हैं,  जिससे रूस को खासा नुक्सान उठाना पड़ रहा है। ऐसे माहौल में भारत, जो रूस का पुराना दोस्त है, ने उसका साथ दिया। पिछले एक महीने से भारत अमरीका की चेतावनियों के बावजूद रूस से तेल खरीद रहा है। साथ ही संयुक्त राष्ट्र सहित कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर जब भी रूस के खिलाफ कोई मामला चलाया जाता है तो भारत उससे दूरी बना लेता है, उस प्रक्रिया में भारत भाग नहीं लेता।  

 

देश में और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा परिदृश्य है कि रूस और भारत दोनों दोस्ती के नाते एक-दूसरे की मदद करते हैं, यानी जब भारत को जरूरत पड़ती है तो रूस भारत की मदद करता है और इस समय रूस को मदद की जरूरत है तो भारत रूस की मदद कर रहा है। जबकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई भी देश दूसरे देश का न तो दोस्त होता है न ही दुश्मन, दरअसल हर देश अपनी जरूरतों और जिम्मेदारियों से बंधा हुआ है और सारे देश इसी के तहत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काम करते हैं। 

 

दरअसल इस समय रूस का साथ कुछ हद तक चीन भी दे रहा है, हालांकि उसने जरूरत के समय रूस को मैडीकल उपकरण देने से मना कर दिया और अमरीका में चीनी राजदूत ने इस पर हल्ला मचाकर पूरी दुनिया को बता दिया कि रूस ने हमसे मदद मांगी थी, लेकिन हमने उसकी मदद नहीं की। अगर इस समय भारत रूस की मदद नहीं करता और उसकी मुखालफत हर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर करता है तो रूस पूरी तरह से चीन पर निर्भर हो जाएगा, जिसमें मैडीकल उपकरण, दवाइयां, इलैक्ट्रॉनिक उत्पाद और दूसरे इलैक्ट्रिकल उपकरण आते हैं। ऐसे में चीन अवसर का लाभ उठाते हुए रूस को अपनी कठपुतली बना सकता है और यह भारत के खिलाफ जाएगा। आज के समय में रूस भले ही आर्थिक शक्ति नहीं है, लेकिन एक बहुत बड़ी सैन्य शक्ति है। अगर एक सैन्य शक्ति सम्पन्न देश भारत के दुश्मन चीन के पाले में चला गया तो भारत के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है।   

 

अगर बात करें आर्थिक संबंधों की तो रूस और चीन के बीच 100 अरब डॉलर का व्यापार हर वर्ष होता है। रूस चीन पर हर वस्तु को लेकर निर्भर रहता है। वहीं भारत-रूस आर्थिक संबंधों की बात करें तो दोनों देशों के बीच व्यापार सिर्फ 10 अरब डॉलर का होता है। अपनी जरूरत के लिए भारत रूस से समय-समय पर हथियार खरीदता रहता है, लेकिन भारत और रूस के आर्थिक संबंध इससे आगे नहीं गए। लेकिन जबसे रूस और यूक्रेन का युद्ध शुरू हुआ है, तबसे सारी विदेशी कंपनियां रूस में अपना काम बंद कर बाहर जा रही हैं, जिनमें दवाई बनाने वाली कंपनियां भी शामिल हैं। इस स्थिति को देख भारत रूस से इस विषय पर बात कर भारतीय कंपनियों को वहां एंट्री दिलाने की कोशिश कर रहा है, ताकि विदेशी कंपनियों के रूस से बाहर जाने के बाद जो खालीपन पनप रहा है उसे भरा जा सके। 

 

चीन अपने देश में निर्माण कर रूस में सामान बेचता है लेकिन भारतीय कंपनियां रूस में अपने उपक्रम खोल कर स्थानीय स्तर पर सामान बनाकर बेचेंगी, जिससे माल ढुलाई और सीमा पर लगने वाले टैक्स से बचा जा सकेगा। इसका असर उत्पादों के दाम पर भी पड़ेगा जिससे रूसी लोगों को वही सामान चीन के मुकाबले सस्ते दामों पर मिलेगा। वर्ष 2022 में रूस-भारत के बीच होने वाले 10 अरब डॉलर के व्यापार में थोड़ी बढ़ौतरी होगी क्योंकि भारत रूस को 2 अरब डॉलर के सामान का निर्यात करेगा। भारतीय कंपनियां इस वर्ष रूस में दवाइयां, खाद्य सामग्री और कपड़े बेचेंगी, जिससे सिर्फ हथियारों के व्यापार की एक परिपाटी टूटेगी और दूसरे क्षेत्रों में भी भारत-रूस व्यापार की शुरूआत होगी।

 

भारत के पास इतना सामर्थ्य, कुशलता और कच्चा माल है कि रूस के साथ 100 अरब डॉलर से ज्यादा का व्यापार कर सके। हालांकि यह एक शुरूआती चरण है, लेकिन जल्दी ही भारतीय कंपनियां रूस में अपना सिक्का जमा लेंगी। ऐसे में आने वाले समय में अगर भारत रूस से हथियार न भी खरीदे तो भी दोनों देशों में इतने बड़े पैमाने पर व्यापार होगा, जिससे रूस भारत के ज्यादा नजदीक रहेगा। विनिर्माण और कच्चे माल की कम कीमत के कारण भारत रूस को चीन से सस्ता सामान बेचेगा जिससे रूस को भारत से व्यापार करने में ज्यादा लाभ होगा।

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