Edited By ,Updated: 20 Dec, 2023 07:04 AM
आखिर क्या कारण है कि विभिन्न प्रदेशों के बच्चों का पढ़ाई और करियर के प्रति अलग तरह का शौक होता जा रहा है। अगर हम बात करें साऊथ इंडियन बच्चों की तो वे अपना करियर आई.आई.टी., आई.एम.एस. (इंटर डिसप्लिनरी मैडिकल साइंस) व एम.बी.बी.एस. व मैडिकल फील्ड में...
आखिर क्या कारण है कि विभिन्न प्रदेशों के बच्चों का पढ़ाई और करियर के प्रति अलग तरह का शौक होता जा रहा है। अगर हम बात करें साऊथ इंडियन बच्चों की तो वे अपना करियर आई.आई.टी., आई.एम.एस. (इंटर डिसप्लिनरी मैडिकल साइंस) व एम.बी.बी.एस. व मैडिकल फील्ड में बनाते हैं। साऊथ इंडिया में समस्त भारत के 50 प्रतिशत इंजीनिरिंग कॉलेज व 47 प्रतिशत मैडिकल कॉलेज हैं। बिहार के बच्चे ज्यादातर आई.ए.एस., आई.पी.एस. व यू.पी.एस.सी. में अपना करियर बनाने में विशेष रुचि रखते हैं। आज तक आई.ए.एस. और आई.पी.एस. अधिकारियों के प्रतिनिधित्व में विशेष योगदान बिहार के विद्यार्थियों का रहा है। हरियाणा के बच्चे विशेषकर रैसलर व बॉक्सर बनने में खास रुचि रखते हैं। इसका कारण हरियाणा में यूथ गेम्स का प्रचलन है। वहां स्पोट्र्स स्कूल, जैसे कि खरखौदा, सोनीपत में बॉक्सिंग अकादमी है।
राजस्थान से बच्चों का रुझान बी.टैक यू.जी.सी. (एन.ई.टी.), सी.ई.टी. के प्रति है। इंजीनियरिंग के लिए कोटा में कोचिंग संस्थाएं उत्कृष्ट शिक्षा के प्रति नामवर संस्थाएं हैं। इस कारण भी राजस्थान के बच्चे आई.आई.टी. संस्थाओं में दाखिला लेने में कामयाब हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त बच्चों की यू.जी.सी. (नेट) क्लियर करके असिस्टैंट प्रोफैसर और जूनियर रिसर्च फैलोशिप (रीट) के प्रति भी काफी रुचि है। राजस्थान के बच्चे कैट (कॉमन एडमिशन टैस्ट), जोकि मैनेजमैंट कोर्सेज में दाखिला लेने के लिए होते हैं, के प्रति विशेष रुचि रखते हैं। इसके अतिरिक्त सी.ई.टी. (कॉमन एंट्रैंस टैस्ट) भी राजस्थान के बच्चों में बहुत है, जोकि मैडिकल व डैंटल कॉलेज की एडमिशन के लिए होते हैं।
पंजाबी बच्चे तो अब विदेशों में स्टूडैंट वीजा और पॉप सिंगर बनने को ही अपना करियर बनाने लगे हैं। स्कूूल-कॉलेज खाली होते जा रहे हैं। बच्चे या तो आइलैट्स सैंटरों में नजर आते हैं या पॉप सिंगर बनने के चक्कर में अजीब-अजीब तरह के बाल व दाढ़ी-मूंछ रखते हैं और गाडिय़ों को रिमॉडल कर के लाखों रुपए की एक्सैसरीज लगवा कर घूमने और अभिभावकों के लाखों रुपए बर्बाद करके विदेशों में रैस्टोरैंटों में थर्ड ग्रेड काम करने, कार वाशिंग, सिक्योरिटी गार्ड, विदेशी स्टोरों पर थर्ड ग्रेड काम और मीट शॉप, लेबर और घर शिफ्टिंग व टैक्सी ड्राइविंग को ही करियर बना रहे हैं। पंजाब में आइलैट्स कोचिंग सैंटरों के अलावा डांस स्टूडियो और पॉप म्यूजिक व भंगड़ा फंक डांस की वीडियोज रिलीज करके करियर बनाने का नया चलन चल पड़ा है।
उत्तराखंड निवासी बच्चे अपना करियर फौज में बनाने को प्राथमिकता देते हैं। उत्तराखंड में जवानों के बच्चों को सेना के लिए तैयार करने हेतु बाकायदा ट्रेनिंग सैंटर खुले हैं, जहां अद्र्धसैनिक बलों, सेवानिवृत्त सैनिकों के बच्चों को सेना एवं अद्र्धसैनिक बालों में भर्ती के लिए तैयार करने के उदेश्य से विशेष प्रशिक्षण शिविर चलते हैं। दिल्ली निवासी बच्चे अपना करियर मल्टी नैशनल कंपनीज और व्यापार करने में बनाते हैं। दिल्ली में इंडीविजुअल कंसल्टैंट, सीनियर एविडैंस कंसल्टैंट इत्यादि की नौकरियां विदेशी दूतावासों की बहुतायत होने के कारण भी मिल जाती हैं, क्योंकि दिल्ली के पास गुडग़ांव और नोएडा में आई.टी. हब बने हैं, जहां पर एम.एन.सी. कम्प्यूटर (आई.टी.) क्षेत्र में बहुतायत में हैं, जहां पर पेशेवरों (प्रोफैशनल्स) को अच्छे पैकेज पर जॉब ऑफर हो जाती है।
उत्तर प्रदेश के बच्चे तो अपना करियर छात्र नेता, युवा नेता, उभरते नेता, मीडिया प्रभारी, जिला प्रवक्ता माननीय विधायक जी के साथ कुछ पल में ही बना रहे हैं। पूरे प्रदेश के बच्चे ही निरर्थक कामों में समय व्यतीत कर अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में राजनीति ने इतनी गहरी छाप छोड़ रखी है कि बच्चे छात्र संघ चुनाव में अपना करियर बनाने की बजाय ज्यादा रुचि लेते हैं कि अध्यक्ष कौन बनेगा, महामंत्री कौन बनेगा। यू.पी. में सियासत ने इतने पैर पसार लिए हैं कि 35-40 साल तक की उम्र तक तो युवा नेता ही रहता है। युवा नेता, समाज सेवक, प्रत्याशी इत्यादि शब्द तो एक डिग्री के समान हैं, जिसके चलते कोई काम करने की जरूरत नही।
करियर बनाने की बहुप्रचारित उम्र 19-20 वर्ष से आरंभ होती है। तब तक व्यक्ति अपनी बेसिक शिक्षा पूरी कर चुका होता है और अपने भविष्य की एक साफ तस्वीर बना चुका होता है। अगर हमें अपनी भावी पीढ़ी को बचाना है तो राजनीतिक दलों व सरकार को युवकों में शिक्षा प्रति रुझान बढ़ाने के प्रयास करने चाहिएं। बच्चों में रोजगार प्राप्ति हेतु शिक्षा ग्रहण करने और युवाओं में शिक्षा और शिक्षा के नवीनतम तरीकों में महारत हासिल करने के लिए प्रेरित करना होगा, ताकि हमारी भावी पीढ़ी देश के उत्थान के लिए कार्य कर सके। अगर लोकतंत्र और युवा पीढ़ी को बचाना है तो हमें बच्चों में शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए नवीनतम तकनीक लानी होगी। आज की जरूरत कानून, संविधान और न्यायपालिका में भरोसा रखने और शिक्षा के प्रति बच्चों को जागरूक करना है।-एडवोकेट रजनीश मधोक