Sita navami: आज है सीता नवमी, शास्त्रों से जानें इस शुभ दिन की पूरी जानकारी

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 May, 2024 02:43 PM

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हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी का त्योहार मनाया जाता है। कहते हैं कि वैशाख शुक्ल नवमी तिथि को

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Sita navami: हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी का त्योहार मनाया जाता है। कहते हैं कि वैशाख शुक्ल नवमी तिथि को मध्याह्न काल और पुष्य नक्षत्र में देवी सीता का जन्म हुआ था। इस दिन माता सीता की पूजा-अर्चना कर जीवन में चल रही मुश्किलों को आसानी से दूर किया जा सकता है। देवी सीता के आशीर्वाद से रोगों और पारिवारिक कलह-क्लेश दोनों दूर होते हैं। आइए आपको सीता नवमी की पूजन विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में बताते हैं।

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Sita Navami worship method सीता नवमी की पूजन विधि
सीता नवमी पर स्नानादि के बाद गुलाबी रंग के कपड़े पहनें। गुलाबी आसन पर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। भूमि को शुद्ध कर सुंदर मंडप बनाएं। मंडप के मध्य में एक चौकी स्थापित करें। गुलाबी वस्त्र बिछाकर गुलाबी चावल का अष्ट दल बनाएं। अष्ट दल पर राम-जानकी की धातु, काठ या मिट्टी की प्रतिमा रखें। विधि से पूजन करें। माता सीता को लाल वस्त्र पहनाएं। माता सीता को लाल फूल, सिंदूर अर्पित करें। शुद्ध देसी घी का दीपक जलाएं। पूजा में गुलाब की धूप बत्ती जलाएं। साबूदाने की खीर का भोग लगाएं।

Auspicious time of Sita Navami सीता नवमी का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 16 मई 2024 को सुबह 04 बजकर 51 मिनट पर हो रही है। साथ ही इस तिथि का समापन 17 मई को सुबह 07 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि को आधार मानते हुए सीता नवमी 16 मई गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। वहीं सीता नवमी शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 07 मिनट से शुरू होकर दोपहर 01 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।

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Divine remedies for Sita Navami सीता नवमी के दिव्य उपाय
सीता नवमी पर दुख-रोग होंगे दूर
सीता नवमी के दिन शुद्ध रोली मोली, चावल, धूप, दीप, लाल फूलों की माला और गेंदे के पुष्प और मिष्ठान आदि से माता सीता की पूजा अर्चना करें। तिल के तेल या गाय के घी का दीया जलाएं और एक आसन पर बैठकर लाल चंदन की माला से ॐ श्रीसीताये नमः मंत्र का एक माला जाप करें। अपनी माता के स्वास्थ्य की प्रार्थना करें।

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Freedom from family discord on Sita Navami सीता नवमी पर पारिवारिक कलह से मुक्ति
सीता नवमी के दिन दोपहर के समय श्री सीताराम जी को पीले फूलों की माला अर्पण करें। पीले मिष्ठान का भोग लगाकर मिट्टी के दीए में कपूर रखकर आरती करें। एक आसन पर बैठकर श्रीसीता रामाय नमः  मंत्र का एक माला जाप करें। जाप के बाद मिष्ठान का भोग लगाकर जरूरतमंद बच्चों और स्त्रियों में बांटे।

Self protection on sita navami सीता नवमी पर स्वयं की रक्षा
सीता नवमी के दिन सुबह या शाम के समय लाल या पीले फूलों से भगवान श्री राम की पूजा अर्चना करें। एक नारियल पर कलावा लपेटकर पीले मिष्ठान के साथ श्री राम को अर्पण करें और उनके सामने जल का पात्र रखें। किसी भी श्रीराम या शिव मंदिर में एक कुशा के आसन पर बैठकर श्री रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें। पाठ पूरा होने के बाद जल का छिड़काव अपने घर में करें और जल का सेवन भी करें।

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Sita Navami importance सीता नवमी महत्व
भारत के कई जगहों पर सीता नवमी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाते हैं, तो कई जगहों पर फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाते हैं। कहा जाता है इस दिन माता सीता और प्रभु श्री राम की पूजा करने से मां लक्ष्मी के साथ विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन माता सीता की पूजा करने के साथ उन्हें सोलह श्रृंगार चढ़ाना चाहिए। इससे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

Story of appearance of Maa Sita माता सीता के प्रकट होने की कथा
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, एक बार राजा जनक के राज्य मिथिला में सूखा पड़ गया था। ऐसे में प्रजा के साथ-साथ राजा काफी परेशान थे। ऐसे में राजा जनक ने ऋषियों से इसका समाधान पूछा तो, उन्होंने बताया कि अगर वे स्वयं हल चलाएं तो इंद्र देवता अवश्य प्रसन्न होंगे और आपके राज्य में एक बार फिर से वर्षा होगी। एक तय मुहूर्त में राजा जनक के साथ उनकी पत्नी रानी सुनयना से अपने हाथों से खेत में हल चलाया। हल चलाते समय उनका हल किसी पत्थर से टकरा गया। राजा को लगा कि ऐसे बीच में पत्थर कैसे आ गया। उन्होंने उस पत्थर को हटाकर देखा, तो एक कलश में सुंदर सी नवजात बच्ची थी। राजा जनक निःसंतान थे, इसलिए उस बच्ची को देखकर वे बहुत ख़ुश हुए। उन्होंने और देवी सुनयना ने उस बच्ची को अपना नाम दिया और उनका नाम सीता रखा। धरती से माता सीता के बाहर निकलते ही खूब वर्षा भी होने लगी। कहा जाता है कि जिस दिन मां सीता धरती से प्रकट हुई उस दिन वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि थी। तभी से इस दिन को सीता नवमी या जानकी नवमी के नाम से मनाया जाने लगा।

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आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी 
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य 
9005804317

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