क्या विपक्ष के तौर पर कांग्रेस की ‘मृत्यु’ होगी

Edited By ,Updated: 20 Mar, 2020 02:54 AM

will congress  death  as opposition

मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार पर संकट मंडरा रहा है मगर मैं कांग्रेस को एक अनचाही सलाह देना चाहता हूं। चाहे कोई इसे पसंद करे या न करे। ज्योतिरादित्य सिंधिया...

मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार पर संकट मंडरा रहा है मगर मैं कांग्रेस को एक अनचाही सलाह देना चाहता हूं। चाहे कोई इसे पसंद करे या न करे। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस को छोडऩे के बाद कांग्रेस की किस्मत डगमगा रही है। कांग्रेस भाजपा के अलावा एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी है। यह आजकल संकट के दौर से गुजर रही है और सिंधिया का भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के घाव को और गहरा कर गया। मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार अगर गिर जाती है तो कांग्रेस की स्थिति खराब हो जाएगी। उसके किसी भी सहयोगी दल ने राज्यसभा चुनावों को लेकर इसका साथ नहीं दिया। 

लोकसभा चुनावों के बाद राहुल गांधी का बतौर पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का मैं स्वागत करता हूं। उन्होंने यह घोषणा की थी कि गांधी परिवार से कोई भी व्यक्ति इस पद को नहीं भरेगा पर दुर्भाग्यवश सोनिया गांधी उसके बाद अंतरिम अध्यक्ष बनीं। अस्थायी व्यवस्था को ही चलने दिया गया। मेरा ऐसा मानना है कि राष्ट्रीय विपक्ष के तौर पर कांग्रेस की मृत्यु होगी। ऐसे कई व्यक्ति हैं जिनका यह मानना है कि कांग्रेस पार्टी आज विपक्ष की एकता में बहुत बड़ी अवरोधक है। मैं यहां पर कुछ सुझाव देना चाहता हूं: 

*कांग्रेस को पार्टी अध्यक्ष के चुनाव की सारणी की घोषणा तत्काल कर देनी चाहिए। यह सब दो माह के भीतर ही होना चाहिए यदि इससे पहले सम्भव न हो।
*कांग्रेस परिवार को स्पष्ट रूप से घोषणा करनी चाहिए कि इसका कोई भी सदस्य इस पद के लिए उपलब्ध नहीं होगा।
*पार्टी अध्यक्ष का चुनाव गैर गांधी परिवार से किया जाए, जो पार्टी को पूरे कार्यकाल के लिए चलाए।
*‘एक व्यक्ति एक पद’ के नियम का सख्ती से पालन किया जाए। यह अपने आप उन व्यक्तियों को बाहर का रास्ता दिखाएगा जो राज्य सरकारों, संसदीय या फिर विधानसभाओं में पद पर आसीन हैं।
*नया अध्यक्ष अपनी नई टीम को चुनने में स्वतंत्र हो, जिसमें युवा तथा अनुभवी नेता शामिल हों।
*गांधी परिवार के किसी भी सदस्य को किसी भी पद पर आसीन होने से रोका जाए। यह बेहतर होगा कि वे कार्यकारी समिति के सदस्य हों।
*ऐसी सहमति बनाने का प्रयास भी हो जिससे कांग्रेस से जुड़ी सभी पाॢटयों का विलय हो। लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद इस विलय से कांग्रेसी सदस्य को मिल जाएगा।
*कांग्रेस में शामिल होने वाले नेताओं को पार्टी में अहम पद दिए जाएं जोकि चाहे संगठन में हों या फिर विधानसभाओं में हों, जहां पर पार्टी की उपस्थिति है।

क्या यह नुस्खा आदर्शवादी दिखता है? असाधारण समय कुछ असाधारण उपाय चाहता है। पिछले लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जीत थी न कि भाजपा की। इसी तरह हाल ही के दिल्ली चुनावों में अरविन्द केजरीवाल की जीत थी, आम आदमी पार्टी की नहीं। भारत में संसदीय तथा विधानसभा चुनाव पूर्णतया अध्यक्षीय बन कर रह गए। किसी भी पार्टी या फिर गठबंधन को उस समय तक मौका नहीं मिलता जब तक कि यह वोटरों के समक्ष कोई स्वीकार्य चेहरा पेश नहीं कर लेती। केन्द्र में सत्ताधारी पार्टी को इस बात का ही बड़ा फायदा मिला। अब सवाल यह है कि गांधी परिवार का कोई सदस्य ऐसे सुझावों को मानेगा या फिर कोई भी कांग्रेसी नेता या नेत्री इस बात के लिए राजी होगा।-यशवंत सिन्हा

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!