क्या मोदी-शाह और शिवराज चौहान के बीच ‘दरार’ खत्म होगी

Edited By ,Updated: 16 Mar, 2020 04:27 AM

will the rift between modi shah and shivraj chauhan end

नरेन्द्र मोदी-अमित शाह ने शिवराज सिंह चौहान को माफ नहीं किया है, जिन्होंने 2014 में कुछ समय के लिए मोदी को चुनौती देते हुए अडवानी और सुषमा स्वराज के सहारे भाजपा का नेतृत्व करने के लिए वैकल्पिक ओ.बी.सी. चेहरा बनने की कोशिश की थी। दिसम्बर 2018 में हुए...

नरेन्द्र मोदी-अमित शाह ने शिवराज सिंह चौहान को माफ नहीं किया है, जिन्होंने 2014 में कुछ समय के लिए मोदी को चुनौती देते हुए अडवानी और सुषमा स्वराज के सहारे भाजपा का नेतृत्व करने के लिए वैकल्पिक ओ.बी.सी. चेहरा बनने की कोशिश की थी। दिसम्बर 2018 में हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के बाद चौहान को पूरा भरोसा था कि वह प्रदेश में सरकार बना लेंगे क्योंकि भाजपा और कांग्रेस में केवल 5 सीटों का अंतर था लेकिन अंतिम परिणाम घोषित होने से पहले ही मोदी ने हार स्वीकार कर ली और चौहान का बहुमत जुटाने का प्रस्ताव खारिज कर दिया। 

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करने के बाद अब भाजपा को एक और मौका मिला है। खास बात यह है कि इस बार भाजपा भी चौहान के समर्थन में है जोकि आर.एस.एस. के नजदीकी माने जाते हैं। यदि चौहान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर वापसी करते हैं तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि मोदी और शाह ने चौहान के प्रति पुराना मन-मुटाव भुला दिया है। 

राजस्थान में राज्यसभा सीटों के लिए कड़ा मुकाबला
भाजपा ने राजस्थान से राज्यसभा चुनाव के लिए दो उम्मीदवार उतार कर सरप्राइज दिया है। तीन सीटों के लिए 26 मार्च को होने वाले द्विवाॢषक चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला होने की सम्भावना है। हालांकि पहले भाजपा ने अपने प्रदेशाध्यक्ष राजिन्द्र गहलोत को एकमात्र उम्मीदवार बनाया था परंतु पूर्व सांसद ओंकार सिंह ने अंतिम दिन अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। दूसरी तरफ कांग्रेस ने अपने दो उम्मीदवारों के.सी. वेणुगोपाल और नीरज डांगी को चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस के 200 सदस्यीय सदन में 107 विधायक हैं तथा उसे राष्ट्रीय लोक दल और आजाद विधायकों का समर्थन प्राप्त है। कांग्रेस दो सीटें आसानी से जीत सकती थी परंतु भाजपा की ओर से दो उम्मीदवार उतारे जाने के बाद मुकाबला कड़ा होने की सम्भावना बन गई है। 

पश्चिम बंगाल में राज्यसभा चुनाव
पश्चिम बंगाल में 5 राज्यसभा सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होगा। इसके लिए तृणमूल कांग्रेस (टी.एम.सी.) ने 5 उम्मीदवार उतारे हैं जबकि कांग्रेस-वाम गठबंधन ने पूर्व वकील और मेयर बिकाश भट्टाचार्य को उम्मीदवार बनाया है। सी.पी.आई. (एम) के उम्मीदवार भट्टाचार्य ने चिटफंड घोटाले के खिलाफ काफी आवाज उठाई थी। टी.एम.सी. के पूर्व विधायक दिनेश बजाज भी आजाद उम्मीदवार के तौर पर राज्यसभा सदस्य के लिए चुनाव मैदान में उतर गए हैं। हालांकि वह तभी टक्कर दे पाएंगे यदि उन्हें भाजपा का साथ मिलता है। पश्चिम बंगाल में राज्यसभा का चुनाव जीतने के लिए 49 वोटों की जरूरत है। सी.पी.आई. (एम)-कांग्रेस के पास कुल मिलाकर 51 वोट हैं। इसके अलावा टी.एम.सी. के लगभग 10 विधायक या तो पार्टी के सम्पर्क में नहीं हैं अथवा भाजपा में जा चुके हैं। टी.एम.सी. के सूत्रों के अनुसार पार्टी इस समय इन 10 विधायकों के अलावा अन्य भाजपा सदस्यों तथा गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के दो सदस्यों को मनाने की कोशिश में जुटी है। 

समाजवादी पार्टी की साइकिल यात्रा
समाजवादी पार्टी (सपा) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शनिवार को हुई, जिसमें विभिन्न राजनीतिक मुद्दों के अलावा 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों पर चर्चा हुई। 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद यह राष्ट्रीय कार्यकारिणी की पहली बैठक थी। सपा ने 23 मार्च से प्रदेश भर में साइकिल यात्रा शुरू करने का फैसला लिया है जो 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए अभियान का हिस्सा होगा। 23 मार्च को राम मनोहर लोहिया का जन्म दिवस भी है इसलिए प्रत्येक गांव में साइकिल यात्रा का आयोजन किया जाएगा और इन बैठकों के लिए 22 सूत्रीय एजैंडा तैयार किया गया है। इस बीच सपा ने एक बैनर लगाया, जिस पर भाजपा के पूर्व विधायक और दुष्कर्म के दोषी पाए गए कुलदीप सिंह सेंगर तथा यौन उत्पीडऩ के आरोपी पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद की तस्वीरें लगाई गई हैं। इस बैनर की बैकग्राऊंड काली है। चिन्मयानंद और सेंगर के नाम वाले इस बैनर पर लिखा है ‘‘यह सरकार के अपराधी हैं इनसे बच कर रहें’’ रात को पुलिस ने इस बैनर को हटा दिया।-राहिल नोरा चोपड़ा                
            

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