चीन की अर्थव्यवस्था को नुक्सान पहुंचा रहे शी ‘जिनपिंग’

Edited By ,Updated: 29 Jul, 2021 06:29 AM

xi  jinping  hurting china s economy

अभी तक दुनिया की फैक्टरी बना चीन पूरी दुनिया को अपने देश में बना सामान सप्लाई कर रहा था जिससे वह विदेशी मुद्रा कमा कर अपना खजाना भर रहा था। लेकिन साल 2019 में आई कोरोना...

अभी तक दुनिया की फैक्टरी बना चीन पूरी दुनिया को अपने देश में बना सामान सप्लाई कर रहा था जिससे वह विदेशी मुद्रा कमा कर अपना खजाना भर रहा था। लेकिन साल 2019 में आई कोरोना महामारी ने सब कुछ बदल कर रख दिया, चीन ने जो कोरोना पूरी दुनिया को सौगात के रूप में दिया उसने पूरी दुनिया में जान और माल का जितना नुक्सान किया वैसा नुक्सान दुनिया ने पिछले सौ वर्षों में भी नहीं देखा था।

कोरोना काल के बाद से चीन में काम कर रही कई बड़ी विदेशी कंपनियां अब चीन को छोड़ कर जा रही हैं, दरअसल ये सब कुछ सिर्फ कोरोना के चलते नहीं हो रहा है बल्कि ये हो रहा है चीन के तानाशाह शी जिनपिंग की गलत नीतियों के कारण, कोरोना काल के बाद चीन को अभी तक कुल 831 अरब अमरीकी डॉलर का घाटा हुआ है। हालांकि ठीक इसी समय चीन को व्यापार में 3 फीसदी का लाभ भी हुआ है लेकिन चीन को तगड़ा घाटा भी हुआ है। जिसके चलते चीन का स्टॉक एक्सचेंज लगभग बर्बादी की कगार पर है। 

इसके पीछे वजह यह है कि चीनी बाजारों में बड़े-बड़े विदेशी निवेशकों ने पैसा निवेश किया था और शेयर बाजार में ढेर सारे शेयर खरीदे थे लेकिन अब वह अपने पैसों को निकालने लगे हैं। यही वजह है कि चीन को 831 अरब डॉलर का घाटा हुआ है इनमें प्रमुख कंपनियां आई.टी. क्षेत्र की हैं। इस वजह से चीन के शेयर बाजारों में इतनी अफरा-तफरी मची है कि चीनी निवेशक भी आज पहले अपना शेयर बेचना चाहता है और इस बात का आकलन बाद में करना चाहता है कि उसे घाटा कितना हुआ है।

इससे जिन प्रमुख चीनी कंपनियों को नुक्सान हुआ है उसमें ऐंट ग्रुप, दीदी ग्रुप, टेनसेंट होल्डिंग्स लिमिटेड, मेईथुआन, बाईदू इंक, जेडी डॉट कॉम इंक और अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग्स लिमिटेड शामिल हैं। चीन में इस समय बड़ी संख्या में विदेशी निवेश टैक्नोलॉजी सैक्टर से बाहर जा रहा है जिससे चीन की सरकार के साथ वहां का निवेशक भी परेशान है। जिनके पास टेक शेयर हैं वह जल्दबाज़ी में उसे बेच रहे हैं जिससे वह अपने घाटे को कम कर सकें। 

चीन में टेक शेयरों की हालत अब इस हद तक खराब हो चुकी है कि ऐंट ग्रुप के शेयर आई.पी.ओ. से भी नीचे के दामों पर आ गए हैं जिससे हांगकांग का शेयर बाजार हेंग-शेंग गिरता जा रहा है, फरवरी में अपनी ऊंचाई पाने के बाद अब तक 31 प्रतिशत नुक्सान में चल रहा है। हांगकांग के पेगासस फंड मैनेजर्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक पौल पोंग का कहना है कि इस वर्ष तीसरी तिमाही में भी लोग अपने शेयर बेचते नजर आएंगे क्योंकि उन्हें सरकार की तरफ से इन टेक कंपनियों के समर्थन की कोई बात सुनने को नहीं मिली है। पोंग ने बताया कि उन्होंने भी टेनसेंट और अलीबाबा के दो-तिहाई शेयर मई के महीने में बेच डाले थे क्योंकि चीन सरकार की इन कंपनियों को लेकर अपनी कार्रवाई जारी है। 

वैसे शी जिनपिंग की कार्यशैली एकदम तानाशाहों जैसी है,चीन के सुप्रसिद्ध रियल एस्टेट हुआयुआन ग्रुप लिमिटेड के मालिक रेन जीछियांग को शी की बुराई करने के बदले 18 साल की कैद हो गई। रेन जीछियांग क युनिस्ट पार्टी के शीर्ष सदस्य भी हैं बावजूद इसके उन्हें शी जिनपिंग ने कैद में डाल दिया, रेन का कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने कोरोना महामारी के फैलने पर चीन सरकार की बुराई कर दी थी। 

सोशल मीडिया पर लिखे अपने एक पत्र में रेन ने शी जिनपिंग को एक जोकर बोला था जिससे शी इतना चिढ़ गए कि उन्होंने रेन जीछियांग को 18 वर्ष के लिए कारावास में भेज दिया, रेन का सोशल अकाऊंट भी बंद कर दिया गया। रेन पर भ्रष्टाचार, घूस देने और पैसों के हेर-फेर के आरोप लगाए गए हैं। शी जिनपिंग सिर्फ यहीं नहीं रुके उन्होंने रेन जीछियांग के समर्थकों पर भी कोर्ट में मुकद्दमा चलवा दिया जिससे चीन में सी.सी.पी. की बुराई करने का साहस किसी में न बचे। बहुत से जानकार यह कह रहे हैं कि हो सकता है कि मामला ठंडा पडऩे के बाद रेन को जेल में ही मार डाला जाए। 

जैक मा के ऐंट ग्रुप के आई.पी.ओ. के साथ क्या हुआ हम सभी जानते हैं, जैक मा जो चीन के बहुत बड़े बिजनैसमैन हैं और उन्होंने चीन के बैंकिंग सिस्टम में खामियां गिनाई थीं साथ ही कहा था कि क युनिस्ट पार्टी अब भी पुराने ढर्रे पर काम कर रही है। पार्टी में बूढ़ों को हटाकर नए लोगों को मौका देना चाहिए। इस घटना के बाद शी जिनपिंग इतना नाराज हुए कि उन्होंने जैक मा के आई.पी.ओ. को लांच होने से पहले ही रद्द करवा दिया और जैक मा को गायब भी करवा दिया, जब चीन में लोग दबी जुबान से शी जिनपिंग की बुराई करने लगे तब कुछ समय बाद जैक मा को टैलीविजन पर थोड़ी देर के लिए दिखाया गया था जिसके बाद लोग शांत हुए। 

सत्ता के नशे में चूर शी जिनपिंग अपने देश में व्यापार को दबाने के लिए जो कुछ भी कर रहे हैं वह आने वाले दिनों में चीन की अर्थव्यवस्था के लिए घातक होगा, 1976 में माओत्सेतुंग की मौत के बाद तंग श्याओ फिंग ने देश की अर्थव्यवस्था को खोलने के साथ-साथ सामूहिक जि मेदारी की शुरूआत की, 1990 के दशक के बाद जैक मा इस आर्थिक खुलेपन से सबसे ज्यादा लाभ पाने वाले बिजनैसमैन बने, तंग श्याओ फिंग नहीं चाहते थे कि भविष्य में चीन में कोई भी तानाशाह जन्म ले। 

लेकिन शी जिनपिंग क युनिस्ट पार्टी की नीतियों का पालन करते हुए सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे और भ्रष्टाचारियों को हटाने के नाम पर वो अपने विरोधियों को सख्त से सख्त सज़ा देने से परहेज़ नहीं करते, लेकिन खुद की सत्ता को सुरक्षित रखने के लिए शी जिनपिंग चीन की अर्थव्यवस्था को जो नुकसान पहुंचा रहे हैं उससे सारे विदेशी निवेशक चीनी कंपनियों में निवेश करने से बचेंगे साथ ही देसी व्यापारियों को भी इसका नुक्सान उठाना पड़ेगा, बड़े स्तर पर इसका बुरा असर चीन की अर्थव्यवस्था को झेलना होगा।


 

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