उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना के तहत 12 लाख करोड़ रुपये के प्रस्ताव प्राप्त: प्रसाद

Edited By rajesh kumar,Updated: 19 Aug, 2020 04:42 PM

12 lakh crore proposals received production incentive scheme prasad

केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने मंगलवार को कहा कि देश में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण को बढ़ावा देने की नई योजना के तहत 12 लाख करोड़ रुपये के प्रस्ताव मिले हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान कुछ उत्पादों के विनिर्माण (विनिर्माण लाइन)...

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने मंगलवार को कहा कि देश में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण को बढ़ावा देने की नई योजना के तहत 12 लाख करोड़ रुपये के प्रस्ताव मिले हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान कुछ उत्पादों के विनिर्माण (विनिर्माण लाइन) को लेकर कंपनियां चीन से भारत आयी हैं। सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री ने उद्योग के एक कार्यक्रम में यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी का उपयोग बढ़ा है और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिये जरूरतमंदों के खातों में करीब 90,000 करोड़ रुपये हस्तांतरित किये गये हैं।

प्रसाद ने कहा, ‘सभी शीर्ष मोबाइल विनिर्माता और उनके लिये ठेके पर विनिर्माण करने वाली इकाइयों ने पीएलआई योजना के तहत आवेदन किये हैं। इसमें पांच दुनिया की प्रमुख और पांच राष्ट्रीय कंपनियां हैं। इन कंपनियों ने आने वाले पांच साल में 12 लाख करोड़ रुपये मूल्य का मोबाइल फोन और कल-पुर्जे बनाने का वादा किया है। इसमें से 7 लाख करोड़ रुपये मूल्य के उत्पाद निर्यात किये जाएंगे। इससे 12 लाख लोगों को सीधे और परोक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।’ उन्होंने कहा कि करीब 8-9 विनिर्माण सुविधाएं (खाते) चीन से भारत आई हैं।

सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये एक अप्रैल को तीन योजनाओं को अधिसूचित किया। ये योजनाएं इलेक्ट्रॉनिक कल-पुर्जों, सेमिकंडटर के विनिर्माण, बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण के लिये संशोधित इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण संकुल (ईएमसी 2.0) योजना, और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना हैं। इन योजनाएं के जरिये संयुक्त रूप से अगले पांच साल में करीब 50,000 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन देने का प्रस्ताव है। पीएलआई योजना के तहत आईफोन बनाने वाली एप्पल के लिये अनुबंध पर विनिर्माण करने वाली कंपनियों (फॉक्सकान और विस्ट्रोन) के अलावा सैमसंग, माइक्रोमैक्स, लावा और डिक्सन जैसी कंपनियों ने आवेदन दिये हैं।

प्रसाद ने कहा कि सरकार ने महामारी के दौरान नागरिकों को सहायता उपलब्ध कराने के लिये स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में प्रौद्योगिका का बड़े पैमाने पर उपयोग किया है। उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 संकट से राहत देने के इरादे से गरीबों के लिये घोषित 1,70,000 करोड़ रुपये के पैकेज में से करीब 90,000 करोड़ रुपये डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) के जरिये लोगों के खाते में डाले गये...पिछले साढे पांच साल में हमने करीब 11 लाख करोड़ रुपये भेजे हैं।’


 

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