Edited By ,Updated: 04 Apr, 2015 10:53 AM
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उसके और पश्चिमी देशों के बीच गतिरोध दूर होने से आयात की मात्रा तथा भुगतान प्रतिबंध हटने से भारत जैसे ईरानी तेल के बड़े खरीदारों को फायदा होने की संभावना है।
नई दिल्ली: ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उसके और पश्चिमी देशों के बीच गतिरोध दूर होने से आयात की मात्रा तथा भुगतान प्रतिबंध हटने से भारत जैसे ईरानी तेल के बड़े खरीदारों को फायदा होने की संभावना है।
अमरीकी तथा उसके सहयोगी देशों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर लगाम लगाने के लिये आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे जिसमें भारत जैसे देशों को खाड़ी देश से तेल खरीद में कटौती करना शामिल है। इसके बाद भारत ने तेल आयात में कटौती की और यह 2013 में घटकर 1.1 करोड़ टन पर आ गया जो पांच साल पहले 1.8 करोड़ टन था। भारत को तेल आपूर्ति करने वालों देशों में ईरान प्रमुख है।
ईरान और विश्व के कुछ अन्य प्रमुख देश स्विट्जरलैंड में लंबी वार्ता के बाद तेहरान के परमाणु अभियान पर नियंत्रण के उद्देश्य से एक एेतिहासिक समझौते की रूपरेखा पर कल सहमत हुए।
ईरान और पश्चिमी देशों के बीच 12 साल से चल रहे गतिरोध में इसे बड़ी सफलता माना जा सकता है। पश्चिमी देशों को आशंका रही है कि तेहरान एक परमाणु बम बनाना चाहता है।
यूरोपीय संघ में विदेश नीति प्रमुख फेड्रिका मोघरिनी ने आठ दिन की वार्ता के बाद कहा कि ईरान ने कठिन पाबंदियों को हटाने के बदले परमाणु कार्यक्रम पर लगाम कसने पर सहमति जता दी है। समझौते की जिस रूपरेखा पर सहमति बनी है उसे 30 जून तक एक व्यापक समझौते के तौर पर अंतिम रूप दिया जाएगा।