MNP के बाद अब आएगी है फ्री Roaming की बारी

Edited By ,Updated: 04 Jul, 2015 11:10 AM

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भाग-दौड़ की जिंदगी में आज सिर्फ मोबाइल फोन हमारे जीवन का आवश्यक हिस्सा बन चुका है बल्कि मोबाइल नंबर हमारी पहचान बन चुकी है।

नई दिल्लीः भाग-दौड़ की जिंदगी में आज सिर्फ मोबाइल फोन हमारे जीवन का आवश्यक हिस्सा बन चुका है बल्कि मोबाइल नंबर हमारी पहचान बन चुकी है। इसी के चलते राष्ट्रीय स्तर पर पूर्ण मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी शुरू किए जाने के बाेद टैलीकॉम सेक्टर में अगला बड़ा बदलाव पूरे ग्राहकों को देश में मुफ्त रोमिंग की सुविधा दिए जाने का हो सकता है।
 
पूर्ण एमएनपी के तहत उपभोक्ताओं को किसी भी नए शहर या स्थान पर अपना पुराना नंबर कायम रखने की सुविधा मिलेगी और वे इसका इस्तेमाल स्थानीय नंबर के रूप में कर सकेंगे। अभी तक यह सुविधा सिर्फ दूरसंचार सर्किल या सेवा क्षेत्र तक ही सीमित थी। राष्ट्रीय स्तर पर पूर्ण मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी को पहले 3 मई तक लागू किया जाना था। लेकिन सेवाप्रदाताओं की इसके लिए तैयारियां पूरी नहीं थीं, जिसके बाद इसे दो माह के लिए बढ़ा दिया गया।
 
इस साल दिसंबर से सेवाएं शुरू करने की तैयारी में जुटी मुकेश अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस समूह की टैलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो के बाजार में उतरने साथ ही टैलीकॉम सेक्टर के कदम फ्री रोमिंग की ओर बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। माना जा रहा है कि रिलायंस जियो के मैदान में उतरने के साथ ही देश के टेलीकॉम बाजार में काफी बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे, जो इस सेक्टर की दशा-दिशा को बदल कर रख देंगे। 
 
बाजार के बदले हुए समीकरणों के बीच कई छोटी टैलीकॉम कंपनियों के मैदान से बाहर हो जाने की आशंका भी जताई जा रही है। यही वजह है कि टेलीकॉम कंपनियां नंबर पोर्टेबिलिटी को लागू करने के बाद रिलायंस जियो के आने और बड़े धमाके करने से पहले ही 4जी सेवा शुरू करने की कवायद में जोर-शोर से जुट गई हैं।
अब से पहले ग्राहकों के पास किसी एक ही राज्य या टैलीकॉम सर्किल में रहते हुए अपना फोन नंबर बदले बिना ही अपनी संचार सेवा प्रदाता कंपनी (टैलीकॉम ऑपरेटर) को बदलने की सुविधा थी। 
 
अब वह ऐसा दूसरे राज्य या टैलीकॉम सर्किल में भी कर सकेंगे। इसके लिए ग्राहकों को इच्छित टेलीकॉम कंपनी के स्टोर में जाना होगा या फिर संबंधित कंपनी की कस्टमर सेवा को कॉल करना होगा। ऐसा करके ग्राहक पुराने ऑपरेटर से लिए गए अपने फोन नंबर को बरकरार रखते हुए नई कंपनी की सेवाएं ले सकेंगे। राष्ट्रीय स्तर पर एमएनपी की ऐसी सुविधा शुरू करने के लिए पहले 2 मई 2015 की तारीख निर्धारित की गई थी। बाद में टेलीकॉम कंपनियों के आग्रह पर दूरसंचार विभाग ने इसे दो माह के लिए बढ़ा दिया था, जिसके बाद 3 जुलाई से इसे लागू कर दिया गया
 है।
 
दूर संचार विभाग और दूरसंचार नियामक संस्था ट्राई द्वारा दरों में कमी लाने के प्रयासों का आमतौर पर टेलीकॉम कंपनियां विरोध करती दिखती हैं, पर आने वाले समय में बाजार के नए समीकरणों में उन्हें खुद को इसके लिए तैयार रखना होगा। इस बारे में कंसल्टिंग फर्म केपीएमजी के नेशनल हेड (टौलीकॉम) रोमल शेट्टी का कहना है कि ऑपरेटरों को इस नए चलन (ट्रेंड) को स्वीकार करना ही होगा। दो बड़ी कंपनियां अगर इस ओर कूदती हैं, तो वन इंडिया रेट अनुमानित समय से पहले भी लागू हो सकते हैं।
 
गौरतलब कि फ्री रोमिंग की सुविधा देने वाली वन इंडिया प्रणाली लागू होने पर देश भर के 22 टैलीकॉम सर्किलों के लिए अलग-अलग लाइसैंस की जरूरत भी खत्म हो जाएगी। इसके अलावा इससे अलग-अलग राज्यों व शहरों में रहने वाले ग्राहकों से अलग-अलग दरें वसूले जाने की असमानता का भी अंत हो जाएगा। अभी ग्राहकों को किसी दूसरे शहर में यात्रा के दौरान लोकल कॉल रेट के साथ ही रोमिंग शुल्क भी देना होता है। रोमिंग दरों के साथ ही उन पर एसटीडी या आईएसडी की दरें भी लागू होती हैं। साथ ही ग्राहकों को 14 फीसदी की दर से सेवा कर भी देना पड़ रहा है। वन इंडिया-वन रेट से इस सबका समाधान हो जाएगा।
 
 

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