Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Jan, 2018 04:09 PM
संसद में आज पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि बैंकों की कर्ज में फंसी राशि यानी एनपीए समस्या के समाधान के लिए 2017-18 में सामने आई नई दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता प्रक्रिया को पूरी सक्रियता के साथ इस्तेमाल में लाया जा रहा है। वित्त मंत्री अरुण...
नई दिल्लीः संसद में आज पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि बैंकों की कर्ज में फंसी राशि यानी एनपीए समस्या के समाधान के लिए 2017-18 में सामने आई नई दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता प्रक्रिया को पूरी सक्रियता के साथ इस्तेमाल में लाया जा रहा है। वित्त मंत्री अरुण जेतली ने आर्थिक समीक्षा में कि एनपीए समस्या के समाधान के लिये जो नया कानून लाया गया है उसके प्रभावी होने की एक वजह यह है कि इसमें न्यायिक कार्य न्याय पालिका द्वारा किया जा रहा है। इससे जुड़े कानून में विभिन्न प्रक्रियाओं के लिये सख्त समयसीमा तय की गई है।’’ नए दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता (आईबीसी) कानून में समस्या के समाधान के लिए ऐसा कानूनी ढांचा उपलब्ध कराया गया है जिससे कि कंपनियों को अपना कर्ज कम करने और लेखा खातों को साफ सुथरा बनाने में मदद मिलेगी।
सरकार ने कर्ज बोझ तले दबी कंपनियों और बैंकों के फंसे कर्ज की दोहरी समस्या से निपटने के लिए आईबीसी कानून के तहत प्रभावी तरीका अपनाया जिसमें ऐसी कंपनियों के रिण समाधान पर कारवाई शुरू की गई। इसके साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पूंजी आधार मजबूत बनाने के लिये उन्हें नई पूंजी उपलब्ध कराने का काम भी किया गया। समीक्षा में कहा गया कि इन सभी उपायों और पहले उठाये गये नीतिगत कदमों के साथ साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार आने से निर्यात की स्थति में भी सुधार आया जिसके परिणामस्वरूप दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था में सुधार आना शुरू हुआ।