मुखौटा कंपनियों के जरिए 80,000 करोड़ रुपए का दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ

Edited By ,Updated: 04 Feb, 2017 06:48 PM

cbdt chief allays fears of harassment by taxmen

सी.बी.डी.टी. ने आज खुलासा किया कि दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ नियमों का दुरपयोग करते हुए मुखौटा कंपनियों के जरिए करीब 80,000 करोड़ रुपए का लाभ हासिल किया गया।

नई दिल्लीः सी.बी.डी.टी. ने आज खुलासा किया कि दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ नियमों का दुरपयोग करते हुए मुखौटा कंपनियों के जरिए करीब 80,000 करोड़ रुपए का लाभ हासिल किया गया। बजट में इस संबंध में जो भी बदलाव किए गए हैं वह कर चोरी और नियमों का दुरुपयोग रोकने के लिए किए गए हैं। ईमानदार निवेशकों को इससे कोई परेशानी नहीं होगी।  

राजस्व विभाग ने स्पष्ट किया कि नियमों में जो बदलाव किए गए हैं वह दुरुपयोग रोकने के मकसद से किए गए हैं, आईपीआे निवेश और कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना के तहत वास्तविक निवेशकों को इससे कोई परेशानी नहीं होगी। उद्योग मंडल फिक्की की बजट-बाद संगोष्ठी को संबोधित करते हुए केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सी.बी.डी.टी.) के अध्यक्ष सुशील चंद्र ने कहा कि इस तरह के मामलों में ‘खोका’ (मुखौटा) कंपनियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ‘‘हमने इस मामले में काफी जांच-पड़ताल और शोध किया है, मैं आपको बता सकता हूं कि पिछले साल हमने फर्जी तरीके से 80,000 करोड़ रुपए का दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ हासिल किए जाने का पता लगाया है। यह छोटी रकम नहीं है और कैसे यह सब किया गया।’’ 

उन्होंने कहा कि देश में 15 लाख कंपनियां हैं, इनमें से केवल 6.8 लाख कंपनियां ही आयकर रिटर्न दाखिल करतीं हैं। चंद्र ने कहा, ‘‘इनमें से कई कंपनियां एेसी हैं जिनका इस्तेमाल खोका कंपनियों के तौर पर किया जाता है, परत दर परत ढांचे वाली फर्जी कंपनियां खड़ी की जाती हैं जिनके जरिए कालेधन को सफेद में बदला जाता है।’’ पहले एक मुखौटा कंपनी जिसे कारोबारियों की भाषा में ‘खोका’ कंपनी भी कहते हैं खड़ी की जाती है। उसमें काफी मुनाफा दिखाया जाता है, उसके बाद कंपनी को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराया जाता है और फिर उसके ऊंचे शेयर मूल्यों का फायदा उठाते हुए अपने निवेश को ऊंचे मूल्यांकन के साथ हासिल कर लिया जाता है।   

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